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60 हजार गांवों में महिलाओं को 'साथी' बन चुका है इंटरनेट

देश को डिजिटल बनाने का सपना तभी पूरा होगा जब इसके गांवों में, खासतौर पर ग्रामीण महिलाओं के बीच इसकी पहुंच बढ़ेगी. 'इंटरनेट साथी' का मकसद भी यही है...

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Representational image
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ग्रामीण भारत में डिजि‍टल वर्ल्ड में मौजूद लिंगभेद को खत्म करने के लिए 'इंटरनेट साथी' योजना शुरू की गई है. अभी तक इसका फायदा 60 हजार गांवों तक पहुंचा है.

गूगल के मुताबिक, भारत की पूरी इंटरनेट जनसंख्या में केवल 30 प्रतिशत हिस्सेदारी ही महिलाओं की है बाकी बचे 70 प्रतिशत लोग पुरुष हैं. गांवों में स्थिति इससे भी ज्यादा खराब है. इंटरनेट चलाने वाले सिर्फ 10 लोग,जिसमें महिला केवल एक . पारिवारिक दबाव और जानकारी या इंटेरेस्ट का ना होना इसकी बड़ी वजह रही.

इस प्रोग्राम के अंर्तगत महिलाओं को इंटरनेट की जानकारी देने के साथ ही स्मार्टफोन और टैबलेट चलाना सिखाया जाता है. बाद में वो महिलाएं जाकर गांव की दूसरी महिलाओं से ये जानकारी साझा करतीं हैं. जिसमें उन्हें हेल्थ, इनरटेमेंट, कुकिंग जैसी तमाम जानकारियों की पहुंच तक लाया जाता है. अभी तक 60,000 गांव इसका हिस्सा बन चुके हैं और गूगल का लक्ष्य आने वाले 2 सालों में 3 लाख गांवों तक पहुंचाना है.

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पिछले साल जून के महीने में यह कार्यक्रम वेस्ट-बेंगाल के गांव में गूगल ने टाटा ट्रस्ट के साथ मिलकर शुरू किया था. आज यह कार्यक्रम अपनी एक अलग पहचान बना चुका है. फर्स्ट पोस्ट की खबर के मुताबिक, कुछ महिलाओं से बातचीत के आधार पर ये पता चला कि नई टेक्नोलॉजी सीखकर उन्हें मजा आया और जानकारी भी मिली. अब वे अपने आपको पहले से भी ज्यादा सशक्त महसूस कर रहीं हैं.

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