लड़कियों के लिए अक्सर कोमल और नाजुक जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है. महिलाओं के बारे में अगर आपकी भी कुछ ऐसी ही धारणा है तो आपको आईटीबीपी की महिला कमांडेंट्स से मिलने की जरूरत है, जो दुनिया का सबसे मुश्किल काम करती हैं.
सीमा पर सेना के जवान जब अपनी जान हथेली पर लेकर देश की रक्षा कर रहे होते हैं, तब आईटीबीपी की महिला कमांडेंट्स अपनी जान जोखिम में डालकर उनके लिए गोला-बारुद और दूसरे लड़ाई के सामान को पहुंचाने का काम करती हैं. यही नहीं वो सीमा पर तैनात जवानों के लिए खाने की समाग्री और पीना का पानी भी ले जाती हैं. यह काम अपनेआप में बहुत ही खतरनाक है. क्योंकि जवानों तक पहुंचने के लिए न तो रोड्स हैं और न ही ऐसे रास्ते हैं, जहां से वो आसानी से सीमा पर पहुंच पाएं. पीठ पर हथियारों, खाने और पानी का बोझ लिए, दुश्मनों की गोली से बचकर पथरीली राहों से गुजरकर महिला कमांडेंट्स सीमा तक पहुंचती हैं.
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भारत-चीन सीमा पर तैनाती
बर्फ से ढकी भारत-चीन की सीमा पर आईटीबीपी की महिला कमांडेंट्स, भारतीय सैनिकों के कंधे से कंधा मिलाकर देश की रक्षा कर रही हैं. उनमें से एक हैं, 27 साल की आईटीबीपी कमांडेंट स्वाति गुप्ता. 16000 फीट ऊंचाई पर देश की सीमा की रक्षा कर रही स्वाति कहती हैं कि देश की रक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण काम और जज्बा कुछ और हो ही नहीं सकता. बर्फ की आंधी चले या बर्फानी बारिश हो, सीमा पर महिला कमांडेंट्स मुस्तैदी से जुटी रहती हैं.
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