हाथ में जरा सी चोट लग जाने पर हमें हमारे रोजमर्रा के काम करने में भी परेशानी होने लगती है. एक हाथ में चोट हो और दूसरा बिल्कुल ठीक तो भी लाचारी महसूस होती है लेकिन इस महिला की कहानी जानकर आप दंग रह जाएंगे. जन्म से ही उनके दोनों हाथ नहीं हैं लेकिन वो कुछ ऐसे कारनामे करती हैं जिसे हाथ होने के बावजूद अच्छे-अच्छे नहीं कर पाते.
जेसिका कॉक्स बिना हाथों के जन्मीं लेकिन उन्होंने इसे अपनी कमजोरी बनाने के बजाय ताकत बनाई. आज वो एक मार्शल आर्ट एक्सपर्ट हैं. उन्हें हवाई जहाज उड़ाने और गाड़ी चलाने में महारत है. इतना ही नहीं वो पियानो बजाने में भी कुशल हैं.
ये सारी बातें सुनकर आपके दिमाग में यही सवाल कौंध रहा होगा कि वो इतने सारे काम करती कैसे हैं? दरअसल, जेसिका ये सारे काम अपने पैरों से करती हैं. 32 साल की जेसिका कहती है कि दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं है जिसका विकलप मौजूद नहीं है.
पांच साल पहले वो दुनिया की ऐसी पहली महिला बनीं जिन्हें हाथ न होने के बावजूद पायलट लाइसेंस मिला. वो अपने पैरों से प्लेन उड़ाती हैं. American Tae Kwon Do Association में ब्लैक बेल्ट पाने वाली अपनी तरह की वो पहली महिला हैं.
जेसिका कहती है कि आमतौर पर जब लोग उन्हें देखते हैं तो उन्हें लगता है कि उनकी जिन्दगी कितनी सीमित है पर वो उन्हें गलत साबित करती हैं. वो बताती हैं कि जब वो तीन साल की थीं तो जिम्नास्टिक से जुड़ी. छह साल की उम्र में उन्हें डांस क्लासेज लीं. वो कहती हैं कि एक सामान्य शख्स जो कुछ भी सोच सकता है वो वे सारे काम कर सकती हैं.
पांच साल पहले उनकी मुलाकात अपने पति पैट्रिक से हुई थी. दोनों को ही Tae Kwon Do के प्रति विशेष आकर्षण था. उन्होंने महीनों तक एक-दूसरे को डेट किया और उसके बाद पैट्रिक ने उन्हें शादी के लिए प्रपोज किया. पैट्रिक मानते हैं कि जेसिका ऊर्जा का भंडार हैं.
वो कहती हैं कि ये सबकुछ इतना आसान नहीं था. कई चीजें ऐसी थीं जिन्हें करने में उन्हें परेशानी आती थी. उन्हें कपड़े पहनने में खासी मेहनत करनी पड़ती थी और ये एक चैलेंज होता था. पर पैट्रिक के होने से कई चीजें अपने आप आसान होती चली गईं. 2008 में पायलट लाइसेंस लेकर जेसिका ने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज कराया.
जेसिका और उनके पति साथ काम करते हैं और दुनिया के कोने-कोने में जाकर लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं. दोनों का मानना है कि लोगों को जागरूक करने की बहुत जरूरत है क्योंकि अब भी शारीरिक रूप से अपंग लोगों को दया के पात्र के रूप में देखा जाता है. इस सोच को बदलने की जरूरत है.