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घर की सीलन को नजरअंदाज ना करें, आपके लिए हो सकती है खतरनाक

घर में मौजूद दीवारों की सीलन को आमतौर पर हम गम्भीरता से नहीं लेते लेकिन यह जानने के बाद घर में किसी भी रूप में मौजूद सीलन श्वास सम्बंधी गम्भीर रोगों को जन्म दे सकती है.

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घर की सीलन को ना करें नजरअंदाज
घर की सीलन को ना करें नजरअंदाज

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घर में मौजूद दीवारों की सीलन को आमतौर पर हम गम्भीरता से नहीं लेते लेकिन यह जानने के बाद घर में किसी भी रूप में मौजूद सीलन श्वास सम्बंधी गम्भीर रोगों को जन्म दे सकती है. कोई भी अपने घर में पानी के रिसाव और उससे होने वाली सीलन को कभी पनपने नहीं देना चाहेगा. घर चाहे नया हो या पुराना, उसे सीलन से बचाना जरूरी है और इसके लिए वाटरप्रूफिंग कराना अनिवार्य होता है. इससे सभी प्रकार की सीलन से बचा जा सकता है और साथ ही बचा जा सकता है अस्थमा जैसी श्वास सम्बंधी गम्भीर बीमारी से, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह जान लेने के साथ ही शरीर से जाती है.

तो फिर अपने आशियाने को पानी के रिसाव या फिर सीलन से कैसे बचाया जाए? पिडीलाइट इंडस्ट्रीज लिमिटेड के ग्लोबल सीईओ (कंस्ट्रक्शन केमिकल डिवीजन) संजय बहादुर के मुताबिक, वॉटरप्रूफिंग के जरिए इस समस्या से निजात पाया जा सकता है लेकिन आज की तारीख में वॉटरप्रूफिंग को निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए न कि लागत के रूप में.

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वाटरप्रूफिंग क्यों जरूरी है? बकौल संजय, किसी भी निर्माण सतह पर पानी का आना दरार जैसे मुद्दों का कारण बनता है, जो लंबे समय तक घर की क्षति का कारण बन सकता है. इसी प्रकार, दीवारों पर नमी मोल्ड वृद्धि में योगदान देती है, यह उन अनेक कारणों में से एक है जो अस्थमा जैसे श्वसन रोगों को जन्म देते हैं. इसलिए भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए घर में वाटरप्रूफिंग करना बेहद महत्वपूर्ण है.

ऐसे में नए घर के मालिकों को लंबे समय तक चलने वाली और सुंदर संरचना सुनिश्चित करने के लिए अपने घरों के लिए जलरोधक और अन्य सक्रिय उपायों की आवश्यकता होती है.

वाटरप्रूफिंग कहां की जाए?

कुछ नए घरों में बेसिक वाटरप्रूफिंग की जाती है, लेकिन यह सिर्फ छतों तक सीमित होती है. लेकिन अपने घर को ह्यए 5-प्वाइंट लीक-फ्री होम बनाने के लिए जरूरी है कि घर के उन सभी हिस्सों में वाटरप्रूफिंग कराई जाए, जहां से पानी के घुसने की आशंका हो. ह्यए 5-प्वाइंट लीक-फ्री होम का अर्थ है कि सिर्फ छत पर ही वाटरप्रूफिंग नहीं हो, बल्कि अंदरूनी गीले हिस्सों जैसे बाथरूम, किचन और बॉलकनी, बाहरी दीवारों, कंक्रीट वाटर टैंक और तल के निचले हिस्से में भी वाटरप्रूफिंग कराई जाए.

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यह समझना महत्वपूर्ण है कि विभिन्न सतहों को विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इसलिए इन सतहों में से प्रत्येक को वाटरप्रूफ बनाने के लिए अपनी श्रेणी के सर्वोत्तम समाधान का इस्तेमाल करना चाहिए. घर पूरी तरह से संरक्षित तभी होगा जब सभी पांच संभव जल प्रवेश क्षेत्रों में ठीक से वाटरप्रूफिंग कराई जाए. ये पांच सतह महत्वपूर्ण हैं और इसके कुछ कारण हैं, जो इस प्रकार हैं-

1. जमीन के नीचे - सतह का पानी समय की अवधि में बढ़ता जाता है और आपके घर में प्रवेश कर सकता है, यह आंतरिक दीवारों को नुकसान पहुंचाता है.

2. आंतरिक गीले क्षेत्र (स्नानघर, रसोई और बालकनी) - ये क्षेत्र 365 दिनों तक यानी लगातार पानी के संपर्क में आते हैं, जिससे आंतरिक दीवारों पर पेंट खराब हो जाता है और पपड़ी देने लगता है.

3. छत - तापमान में होने वाले परिवर्तन के साथ ही छत की सतह में भी बदलाव होता है, जिससे आपकी सुंदर छत पर पानी का रिसाव होने लगता है और इससे पूरे घर में नमी आती है.

4. कंक्रीट वाटर टैंक - दरारों के गठन के कारण ये पानी के टैंक सतह के माध्यम से रिसाव का कारण बनते हैं. इसलिए इस क्षेत्र की सही ढंग से वाटरप्रूफिंग करना महत्वपूर्ण है.

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5. बाहरी दीवारें - तापमान में परिवर्तन के कारण बाहरी दीवारों में दरारें पैदा होने लगती है, जिससे नमी आने लगती है और इसलिए आपके घर का लुक भी बिगड़ने लगता है.

संजय ने कहा कि वाटरप्रूफिंग का उचित तरीके से किया गया काम यह सुनिश्चित करता है कि भविष्य में आपके घर को कोई नुकसान नहीं होगा और घर पूरी तरह सुरक्षित है. हालांकि वाटरप्रूफिंग के काम को अतिरिक्त बोझ के रूप में देखा जाता है और बहुत सारे लोग इसके व्यापक फायदों पर विचार ही नहीं करते, खास तौर पर नए घर के निर्माण के मामले में. लोगों को वाटरप्रूफिंग को एक निवेश के रूप में ध्यान में रखा जाना चाहिए, न कि लागत के रूप में.

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