वो दिन गए जब महिलाएं घूंघट में रह कर घर का काम किया करती थीं और पुरुष बाहर जाकर पैसे कमाते थे. बल्कि आज की महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलती हैं.
हमारा समाज शुरू से ही पितृसत्तात्मक (पुरुषप्रधान) रहा है जिसमें महिलाओं को हमेशा से ही पुरुषों से कमतर आंका जाता है. लेकिन इसी धारणा को गलत साबित कर दिखाया है पटना के एक कस्बे में रहने वाली कुछ महिलाओं ने.
ये हैं 'ग्रीन लेडी ऑफ बिहार', जिसे कहते हैं पर्यावरण का पहरेदारदरअसल, पटना के दानापुर कस्बे के ढिबड़ा गांव की महिलाओं ने अपना एक बैंड बनाया है. इस बैंड का नाम 'सरगम' है और इस ग्रुप में 10 दलित महिलाएं शामिल हैं. महिलाओं द्वारा बनाए गए इस बैंड का उद्देश्य महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ अपनी एक अलग पहचान बनाने का है. इस बैंड की मुखिया सविता देवी हैं.
Bihar: Breaking stereotypes, women in Dhibra village of Patna's Danapur form a band of drummers to promote women empowerment pic.twitter.com/UXUSi7Wc2q
— ANI (@ANI) December 17, 2017
बैंड की मुखिया सविता देवी कहती हैं, 'लोग हम पर हंसते थे कि हम पुरुषों का काम कर रहे हैं, लेकिन हमारा कहना था कि आजकल महिलाएं हर काम कर रही हैं, ऑटो चलाने से ट्रेन चलाने तक तो फिर हम बैंड ड्रमर्स क्यों नहीं बन सकतीं.'
ये है दुनिया कि सबसे दुर्गम पहाड़ी पर चढ़ने वाली पहली महिलापटना की इन महिलाओं के लिए यह सब इतना आसान नहीं था. शुरुआत में लोग उन पर हंसा करते थे, मजाक बनाते थे. लेकिन उपहास और विरोध के बावजूद भी इन महिलाओं ने अपनी जुनून नहीं छोड़ा. इन महिलाओं ने करीब 10 महीने तक अपने बैंड के लिए रोजाना 2 घंटे के लिए अभ्यास करना जारी रखा. इस बैंड ने ना केवल इन महिलाओं को एक नई पहचान दी है बल्कि इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हुई है.