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ये हुई न बात! यहां बेटियों के नाम से मिलती है परिवार को पहचान

हालिया सेंसस रिपोर्ट की मानें तो देश में अब भी कई ऐसे राज्य हैं, जहां पुरुष महिला लिंग अनुपात में काफी अंतर है. पर मध्यप्रदेश के एक छोटे जिले ने इस खाई को पाटने के लिए और बेटियों के सशक्त‍िकरण के लिए एक अनोखा काम कर दिखाया है. आप भी जानिये...

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नेपप्लेट पर बेटियों का नाम
नेपप्लेट पर बेटियों का नाम

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साल 2011 की सेंसस रिपोर्ट के अनुसार भारत के कुछ राज्यों में अब भी पुरुष-महिला लिंग अनुपात में काफी अंतर है. मध्यप्रदेश उनमें से एक है.

पर मध्यप्रदेश का एक जिला ऐसा है, जो स्थिति में बदलाव की पुरजोर कोशि‍श में लगा हुआ है. इस जिले का नाम है मंदसौर जिला.

महिला सशक्त‍िकरण और बेटियों को बचाने के लिए मंदसौर जिला के हर परिवार ने एक नायाब काम किया है.

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यहां का हर परिवार अपने घर के बाहर बेटों का नहीं, बल्क‍ि बेटियों के नाम की नेम प्लेट लगाता है.

पारंपरिक तौर पर, घर के बाहर हमेशा घर के प्रमुख पुरुष या बेटों के नाम की नेमप्लेट लगाई जाती है. पर नेमप्लेट पर बेटियों का नाम लिखाने की पहल संभवत: पहली बार शुरू की गई है.

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हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार मंदसौर जिला का हर परिवार अपने घर के बाहर अब बेटियों के नाम की नेमप्लेट लगाता है.

मंदसौर के लोगों ने यह मुहिम 24 जनवरी को शुरू की. दरअसल, 24 जनवरी को नेशनल गर्ल चाइल्ड डे के रूप में मनाया जाता है.

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मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की रहने वाली 12 साल की चैताली नीमा ने जब घर के बाहर अपने और अपनी छोटी बहन के नाम की नामप्लेट देखी तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा. चैताली ने कहा कि नेमप्लेट देखकर लगा कि इस घर पर हमारा भी कुछ अधिकार है.

भारत में महिलाओं के जीवन को आसान बनाने के लिए जहां संघर्ष चल रहे हैं, वहीं MP के इस छोटे जिले की यह पहल महिला विरोधी सोच रखने वाले लोगों की मानसिकता को बदलने में जरूर मददगार साबित होगी.

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