एक अध्ययन के अनुसार, अगर कोई महिला गर्भवती है और उसे मधुमेह और मोटापे की शिकायत हो गई है तो इसका असर बच्चे पर भी पड़ता है. इससे गर्भावस्था के छठे महीने में गर्भ में पल रहे बच्चे का आकार पांच गुना तक बढ़ जाता है जोकि सामान्य विकास नहीं है.
अध्ययन के अनुसार, ऐसे बच्चों में बाद में मोटापा और मधुमेह होने की आशंका भी ज्यादा होती है.
इस शोध के विशेषज्ञों का कहना है कि जब गर्भावस्था के दौरान मुधमेह का शिकार होने पर गर्भ में पल रहे भ्रूण का अत्यधिक विकास होने लगता है. इसी कारण गर्भ धारण करने से पूर्व और गर्भावस्था में हर जरूरी जांच करवानी चाहिए.
इस स्थिति को खानपान और व्यायाम से नियंत्रित किया जा सकता है और जरूरत पड़ने पर दवाई भी ली जा सकती है.
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख यूल्ला सोवियो के अनुसार, इस शोध से पता चला है कि अगर गर्भावस्था में मधुमेह के लक्षण पाए जाते हैं, तो गर्भ में पल रहे शिशु पर भी असर पड़ता है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर मधुमेह की जांच करवानी चाहिए.
यह शोध डायबिटिक केयर नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.