गर्भावस्था और मातृत्व महिलाओं के दिमाग को हमेशा के लिए बदल देता है. मातृत्व में कदम रखने से महिलाओं के ज्ञान, ध्यान, याददाश्त, समस्याएं सुलझाने और निर्णय लेने की क्षमता पर असर पडता है. ये बातें एक स्टडी में सामने आई हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया की डॉ. लीसा गैलिया द्वारा किए गए एक नए रिसर्च से पता चला है कि महिलाएं जब गर्भधारण करती है तब उनका दिमाग स्थायी रूप से बदल जाता है. इससे उनकी याददाश्त और निर्णय लेने की क्षमता पर गहरा असर पड़ता है.
रिसर्च के मुताबिक, हार्मोन का दिमाग पर गहरा असर पड़ता है. गर्भावस्था जीवन को बदलने वाली प्रक्रिया है. इससे एक महिला की मनोवृति और जीवन पद्धति में बदलाव आता है. दिमागी बीमारियों का इलाज करते समय इन तथ्यों का ध्यान रखना चाहिए.
इससे पहले एक अन्य स्टडी में डॉ. लीसा गैलिया ने बताया था कि मां बन चुकी महिलाएं, बिना बच्चों वाली महिलाओं की अपेक्षा याददाश्त परीक्षण और दूसरे कार्यों में बेहतर प्रदर्शन करती हैं. गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के बाद के दिनों में मां के मस्तिष्क में काफी सारे बदलाव आते हैं. दिमाग पर भी प्रभाव पड़ता है. इससे शारीरिक क्रिया विज्ञान में कई सारे नाटकीय परिवर्तन होते हैं.
उन्होंने कहा कि एक महिला का मस्तिष्क गर्भावस्था के दौरान चार से आठ प्रतिशत तक सिकुड़ जाता है. ऐसा गर्भवती महिला के शरीर में नौ महीनों के दौरान स्रावित होने वाले हार्मोनों के कारण होता है. गर्भावस्था के दौरान यादाश्त और दिमाग से जुड़ी दूसरी छोटी मोटी मुश्किलों का कारण मस्तिष्क में होने वाला परिवर्तन है, जो आने वाले बच्चे के लिए तैयार हो रहा होता है.