डायबिटीज और ज्यादा वजन वाली महिलाओं को न सिर्फ प्रेग्नेंसी के दौरान दिक्कत आती है बल्कि होने वाले बच्चे भी कई तरीके से प्रभावित होते हैं.
एक नए शोध में यह बात सामने आई है कि जो महिलाएं मोटापे और शुगर की मरीज होती हैं, उनके बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम की समस्या होने की ज्यादा संभावना रहती है. रिसर्च के निष्कर्ष बताते हैं कि बच्चों में इस समस्या से ग्रस्त होने की संभावना जन्म लेने से पहले ही हो जाती है.
शोध में यह बात आई सामने
अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने यह शोध कराया है. अध्ययन के मुख्य लेखक जियोबिन वैंग के अनुसार, 'हमें यह पता है कि मोटापा और डायबिटीज जैसी समस्याएं प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए अच्छा नहीं होतीं. लेकिन इस शोध से पता चला कि डायबिटीज और मोटापे से बच्चे का न्यूरोडेवलपमेंट भी लंबे समय तक प्रभावित हो सकता है.'
2,734 मां और उनके बच्चों पर शोध
इस शोध के दौरान वर्ष 1998 से 2014 के बीच शोधकर्ताओं ने 2,734 महिलाओं और उनके बच्चों को स्टडी किया.
शोध के दौरान इनमें से करीब 100 बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम की समस्या देखी गई. जिसे मोटापा और शुगर के पहले संभावित रिस्क फैक्टर्स के रूप में देखा गया.
ऐसे बच्चों में खतरा चार गुना ज्यादा
इस शोध के दूसरे लेखक एम डेनियेली फॉलिन के अनुसार, 'हमारे शोध बताते हैं कि ऑटिज्म का खतरा भ्रूण बनने के साथ शुरू हो जाता है.' सामान्य वजन वाली महिलाओं के बच्चों के मुकाबले जिन महिलाओं को मोटापा और शुगर, दोनों ही समस्याएं होती हैं उनके बच्चों में ऑटिज्म का खतरा चार गुना ज्यादा होता है. यह शोध पत्रिका 'पीडियाट्रिक्स' में प्रकाशित हुआ है.