अपनी मर्जी का काम करने के लिए मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़ना आसान नहीं है. खासतौर जब आप उस काम में पूरी तरह सेटल्ड हों.
लेकिन चेन्नई में एचसीएल कंपनी में इंजीनियर के तौर पर करने वाली शर्मिला जयराम शर्मा का सपना सफल इंजीनियर बनने का नहीं, बल्कि कुछ और ही बनने का था. वो कुत्तों को ट्रेनिंग देना चाहती थीं. यानी वो डॉग ट्रेनर बनना चाहती थीं. इसलिए साल 2015 में शर्मिला ने नौकरी छोड़ दी और चेन्नई की संभवत: पहली महिला डॉग ट्रेनर बन गईं.
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हालांकि भारत में डॉग ट्रेनर की स्क्रीनिंग नहीं की जाती. लेेकिन शर्मिला ने अमेरिका की इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ केनाइन प्रोफेशनल (IACP) से बकायदा सर्टिफिकेट लिया.
30 साल की शर्मिला ने चेन्नई के वुडस्टाॅक डॉग ट्रेनिंग स्कूल से 8 महीने का कोर्स किया और वहां फुल टाइम ट्रेनर के तौर पर काम किया.
शर्मिला इंस्टीट्यूट में आने वाले सभी कुत्तों को बिहवियर ट्रेनिंग देती हैं और साथ ही उनके मालिकों को भी व्यवहार करना सिखाती हैं.
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TOI के अनुसार शर्मिला ने बताया कि वो अपने पार्लर में कुत्तों को हाथ मिलाना नहीं सिखातीं. बल्कि उन्हें अपने मालिक के प्रति कैसे वफादार रहना है, इसकी ट्रेनिंग दी जाती है. उन्हें अपनी सीमाएं पता होनी चाहिए.
शर्मिला ने कहा कि शुरुआत में इस काम को लेकर मेरे परिवार और दोस्तों में बड़ा कंफ्यूजन था. मेरे दोस्त और माता-पिता ये समझ नहीं पा रहे थे कि डॉग ट्रेनिंग के लिए मैं अपनी हाई अर्निंग नौकरी को क्यों छोड़ना चाहती हूं.
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धीरे-धीरे यह बात उन्हें भी समझ आ गई कि अगर आप में काम करने का जज्बा और जुनून है और साथ में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट का सर्टिफिकेट भी है तो आपकी आय बढ़ना तय है.