मां बनना हर महिला के लिए काफी खुशी की बात होती है, लेकिन कई कारणों के चलते कुछ महिलाएं मां नहीं बन पाती. मां ना बन पाने के कई कारण हो सकते हैं जैसे मिसकैरिएज या प्रेग्नेंसी में दिक्कतें आदि. ऐसे में कई महिलाएं सरोगेसी के जरिए मां बनती हैं. दुनियाभर में ऐसे बहुत से कपल हैं जो सरोगेसी का ऑप्शन चुनते हैं. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे देश के बारे में बताने जा रहे हैं जहां सरोगेसी (Surrogacy) को एक कारोबार की तरह चलाया जा रहा है.
बीते कुछ सालों में माता-पिता बनने की ख्वाहिश रखने वाले कई लोग इस देश में जा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं यूक्रेन की. यूक्रेन में सरोगेसी को कानूनी मान्यता मिलने के बाद से यहां हर साल हजारों की संख्या में बच्चों को जन्म दिया जाता है. इसी कारण से यह देश सरोगेसी की फैक्ट्री के नाम से भी जाना जाने लगा है.
सरोगेट मदर बनने के लिए महिलाओं को हर महीने दिए जाते हैं इतने रुपए
आपको बता दें कि यूक्रेन की तमाम कंपनियां इस बिजनेस में लगी हुई हैं. इसके लिए प्रमोशनल वीडियोज और इवेंट चलाए जाते हैं, जिसमें बच्चों के साथ खुश कपल्स को देखकर लोग आकर्षित होते हैं. अपनी इच्छा से सरोगेट बनने वाली महिलाओं को कंपनियां एक बार प्रेग्नेंट होने के लिए 11000 डॉलर ( लगभग 8,00,000 रुपए) और इसके अलावा हर महीने 250 डॉलर (लगभग 18,000 रुपए) स्टाइपेंड के तौर पर देती हैं. साल 2002 में लीगल होने के बाद से अफोर्डेबल सरोगेसी सेवाओं की तलाश में कई विदेशी जोड़े यूक्रेन जा रहे हैं. यहां एवरेज पैकेज कॉस्ट लगभग 30,000 डॉलर (लगभग 22 से 23 लाख रुपए) है.
साल 2015 के बाद से भारत, नेपाल, बांग्लादेश समेत कई देशों में कॉमर्शियल सरोगेसी को लेकर सख्ती होने के बीच यूक्रेन में इसका लीगल होना उन कपल्स के लिए राहत की बात है, जिनके बच्चे नहीं हो पा रहे हैं. यूक्रेन में सरोगेसी इस हद तक बढ़ गई है कि यहां के स्वास्थ्य मंत्रालय भी सरोगेट मदर्स की संख्या के आंकड़े उपलब्ध कराने में असमर्थ है.
यूक्रेन में हर साल सरोगेसी से पैदा होते हैं 2,000 से 2,500 बच्चे
मेडिकल और रिप्रोडक्टिव फील्ड में विशेषज्ञता रखने वाले कीव स्थित वकील सर्गेई एंटोनोव के अनुसार, यूक्रेन में हर साल 2,000 से 2,500 बच्चे सरोगेसी के माध्यम से पैदा होते हैं. जिनमें से लगभग आधे बायोटेक्सकॉम के माध्यम से होते हैं. बच्चों की मांग करने वालों में से एक तिहाई ग्राहक चीन के हैं. एंटोनोव का कहना है कि जैसे-जैसे बच्चों की मांग बढ़ रही हैं, सरोगेट मदर्स के साथ होने वाले शोषण की खबरें भी सामने आ रही हैं.
झकझोर देगी यूक्रेन में सरोगेट मदर्स की स्थिति
सरोगेट बनने का विकल्प चुनने वाली कई महिलाओं का कहना है कि उनके लिए स्थितियां बहुत खराब हैं. उन्हें कभी-कभी दूसरी सरोगेट मदर्स के साथ बिस्तर शेयर करने के लिए मजबूर किया जाता है. ज्यादातर महिलाएं छोटे गांवों से आती हैं और निराशाजनक स्थितियों में हैं. इन महिलाओं को तय की गई राशि का भुगतान नहीं किया जाता और गर्भावस्था के बाद उन्हें काफी भयानक परिस्थितियों में रखा जाता है. इन महिलाओं को अपने घर वालों से बात करने की भी इजाजत नहीं होती है. कुछ मामलों में, माता-पिता ने पाया है कि सरोगेट से पैदा हुए बच्चों के साथ उनका कोई आनुवांशिक संबंध नहीं है.
अथॉरिटीज को इस बात का संदेह भी है कि कुछ क्लिनिक अवैध कमर्शियल अडोप्शन पर पर्दा डालने के लिए सरोगेसी का इस्तेमाल कर रहे हैं. देश के एक कमिश्नर मायकोला कुलेबा ने चेतावनी देते हुए कहा कि "यूक्रेन एक अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन बेबी स्टोर बन रहा है". उन्होंने यूक्रेन की महिलाओं के साथ हो रहे इस शोषण की निंदा की और इस बिजनेस पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है.