मध्य प्रदेश सरकार भले ही लाख दावे करे कि राज्य के बड़े हिस्से को खुले में शौच से मुक्त कर दिया गया है, मगर हकीकत इससे बिलकुल अलग है.
बुंदेलखंड के टीकमगढ़ जिले के हरपुरा मड़िया गांव की पहचान 'लड़कियों वाले गांव' के तौर पर है, मगर यहां शौचालयों का अभाव है और महिलाओं से लेकर लड़कियों तक को मजबूरी में खुले में शौच को जाना पड़ रहा है.
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जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित है हरपुरा मड़िया गांव. इस गांव की आबादी लगभग डेढ़ हजार है. यह लड़कियों का गांव इसलिए कहलाता है, क्योंकि हर घर में बेटों से ज्यादा बेटियां हैं.
यही कारण है कि इस गांव की पहचान बेटियों के गांव के तौर पर बन गई है. मगर यहां की बेटियों को हर रोज समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आलम यह है कि महिलाओं से लेकर बेटियों को सुबह चार बजे से हाथ में लोटा लेकर शौच के लिए निकलना पड़ता है.
गांव की महिला हरिबाई राजपूत बताती हैं कि घरों में शौचालय नहीं है, यही कारण है कि उन्हें खुले में शौच जाना पड़ता है. सरकार चाहे जो कुछ कहे, मगर उनके गांव के अधिकांश घरों में शौचालय नहीं है. खुले में शौच के लिए जाना एक महिला के लिए सबसे दुखदायी होता है.