दिल्ली में यूं तो काफी बाजार हैं, लेकिन ये एक ऐसा बाजार है, जहां सिर्फ महिलाएं ही दुकान लगाती हैं. यही वजह है कि इस बाजार का नाम भी 'महिला बाजार' है. दिल्ली के सिविक सेंटर के पीछे टैगोर रोड पर लगने वाले इस बाजार को महिला बजार के नाम से जाना जाता है.
ये बाजार साल 2007 से यहीं लगता आ रहा है. ये बाजार, बाकी बाजारों की तुलना में कुछ अलग है. सैकड़ों की संख्या में यहां महिलाएं अपनी खुद की रेडी और पटरी पर दुकान लगाती हैं और हजारों की आमदनी करती हैं. यहां बाजार लगाने ये पहले रेखा, ऊषा, लक्ष्मी, और माला जैसी सैकड़ों महिलाएं घर के खर्च को लेकर परेशान रहा करती थीं. फिर ट्रेड यूनियन ने उनके लिए इस बाजार की व्यवस्था कर दी.
इस संस्था के निदेशक संजय कुमार सिंह ने बताया कि इन महिलाओं की परेशानी को देखते हुए 2007 में इस बाजार को खोला गया. बाजार खुलने के साथ ही महिलाओं को रोजगार मिल गया और उनकी परेशानी दूर हो गई.
इस बाजार में महिलाएं अपने घर के आस-पास की कालोनियों में बर्तन बेचकर मिले पुराने कपड़ों को लाकर बेचती हैं. ये महिलाएं बाजार से दो से ढाई हजार रूपये तक कमा लेती हैं.
पहले यही औरतें लालकिले के संडे बाजार में जाकर अपना सामान बेचती थीं. यहां सामान बेचने के दौरान इन औरतों को कई तरह की परेशानी उठानी पड़ती थी. सुरक्षा के साथ ही जगह को लेकर भी कई तरह की दिक्कतें पेश आती थीं. लेकिन अब उन्हें ऐसी परेशानियां नहीं उठानी पड़ती हैं.
यहां दुकान लगाने वाली महिलाएं गरीब परिवारों की हैं. इस बाजार में कपड़े से लेकर जूते तक सब कुछ मिलता है. यहां खरीदारी करने आने वालों की मानें तो यहां सबकुछ मिल जाता है. दाम भी ठीक है और सामान भी अच्छा मिल जाता है. इस तरह के और भी बाजार स्थापित करने की जरूरत है. इससे महिलाएं तो आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगी ही साथ लोगों को भी सहूलियत होगी.