विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान और बच्चे के जन्म के समय हर पांच मिनट पर एक भारतीय मां की मौत होती है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, हर साल बच्चे के जन्म से जुड़ी 5 लाख 29 हजार महिलाओं की मौत होती है. उनमें 1 लाख 36 हजार यानी 25.7 फीसदी अकेले भारत में मरती हैं.
हेवी ब्लीडिंग होना है एक बड़ी वजह
डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा, 'वास्तव में दो तिहाई मौतें बच्चा पैदा होने के बाद होती हैं. बच्चे को जन्म देने के बाद हेवी ब्लीडिंग होना एक बड़ी समस्या है. इमरजेंसी डिलीवरी के बाद यूट्रस के फट जाने से प्रति एक लाख में 83 माताएं मौत की शिकार हो जाती हैं मातृत्व मृत्यु दर 17.7 प्रतिशत है जबकि नवजात मृत्यु दर 37.5 प्रतिशत है. बच्चे के जन्म के 24 घंटे के अंदर यदि महिला का 500 मिली लीटर या 1000 मिली लीटर ब्लड निकले तो वह हेवी ब्लीडिंग में काउंट होता है.
मातृत्व मृत्यु दर कम करने की योजना
भारत में ज्यादा ब्लीडिंग की घटनाएं बहुत अधिक होती हैं. देश सहस्राब्दी विकास लक्ष्य (एमडीजी) के तहत मातृत्व मृत्यु कम करने और सबको प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. बयान में कहा गया, 'भारत में मातृत्व मृत्यु दर के वर्ष 2011-13 के ताजा आकलन के अनुसार हर एक लाख बच्चा पैदा होने के दौरान 167 माताओं की मौत हो जाती है. सबसे अधिक 300 मौतें असम में और सबसे कम 61 मौतें केरल में हुई हैं.'
ब्लड बैंक बढ़ाने की जरूरत
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत में खून की आपूर्ति बहुत कम है. हर देश को कम से कम एक प्रतिशत खून आरक्षित रखने की अपेक्षा की जाती है. बयान में यह भी कहा गया है, एक अरब 20 करोड़ आबादी वाले भारत को हर साल 1 करोड़ 20 लाख यूनिट खून की जरूरत है लेकिन केवल 90 लाख यूनिट एकत्र किया जाता है. इस तरह 25 प्रतिशत खून की कमी रह जाती है.