वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक हर साल 1 से 7 अगस्त के बीच मनाया जाता है. ये एक वार्षिक उत्सव के रूप में 120 से अधिक देशों में आयोजित किया जाता है. बच्चों के स्वास्थ्य और ब्रेस्टफीडिंग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ये सप्ताह मनाया जाता है. इस वर्ष, ब्रेस्टफीडिंग वीक की थीम 'प्रोटेक्ट ब्रेस्टफीडिंग: एक साझा जिम्मेदारी' है.
कब हुई ब्रेस्टफीडिंग वीक की शुरुआत?
ब्रेस्टफीडिंग को प्रोत्साहित करने और दुनिया भर के शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाया जाता है. सप्ताह भर चलने वाले इस उत्सव का इतिहास 1990 के दशक का है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन फंड (यूनिसेफ) ने ब्रेस्टफीडिंग को बढ़ावा देने और समर्थन करने के लिए इनोसेंटी घोषणा पत्र बनाया था. बाद में 1991 में, यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ ब्रेस्टफीडिंग एक्शन नामक एक संघ का गठन किया गया था. 1992 में, इस कैंपेन को बढ़ावा देने के लिए एक पूरा सप्ताह समर्पित किया गया.
मां का दूध बच्चे के लिए अमृत:
ब्रेस्टफीडिंग को नर्सिंग के रूप में भी जाना जाता है. ब्रेस्टफीडिंग शिशुओं के विकास के लिए बेहद आवश्यक होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मां का दूध शिशुओं के लिए एक संपूर्ण आहार है, जिसमें बच्चे के विकास के लिए सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में पाए जाते है. मां का दूध बच्चे के लिए किसी अमृत से कम नहीं है. इसलिए ये बच्चे के लिए वैक्सीन के रूप में काम करता है, जो उन्हें बचपन में होने वाली कई सामान्य बीमारियों से बचाता है.
मां को ब्रेस्टफीडिंग के फायदे:
भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) के अनुसार शिशुओं में ब्रेस्टफीडिंग के कई फायदे हैं. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 1 अगस्त को अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट करते हुए ब्रेस्टफीडिंग से मां और शिशु को होने वाले फायदों के बारे में लोगों को जागरूक किया है. ब्रेस्टफीडिंग की वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, प्री-मोनोपोज ओवेरियन कैंसर, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और पोस्टपार्टम डिप्रेशन यानी प्रसवोत्तर अवसाद का खतरा कम हो जाता है. इसके अलावा, ब्रेस्टफीडिंग, गर्भाशय को पूर्व आकार में लाने में मदद करती है, जिससे प्लेसेंटा आसानी से बाहर निकल जाए.
इस #WorldBreastfeedWeek पर आइये, मातृत्व को सराहें और स्तनपान से माँ और शिशु को होने वाले लाभ के बारे में लोगों को जागरूक करें। #SwasthaBharat #BreastFeedBestFeed pic.twitter.com/S3rAxFcCWQ
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) August 1, 2021
बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग के फायदे:
ब्रेस्टफीडिंग से शिशु की इम्यूनिटी बढ़ती है. शिशु के मृत्यु दर को कम करता है, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट के संक्रमण, डायबिटीज, एलर्जी और बचपन में होने वाला ल्यूकेमिया जैसे इंफेक्शन के खतरे को कम करता है. इसके अलावा, मां का दूध अत्यंत पौष्टिक होने के साथ बच्चे को हेल्दी रखने में मदद करता है.
कोविड- 19 और ब्रेस्टफीडिंग:
जहां कोविड -19 महामारी के बीच, लोगों में ब्रेस्टफीडिंग को लेकर बहुत सारी गलत धारणाएं है. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि "मां के दूध और ब्रेस्टफीडिंग के माध्यम से कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन का आज तक पता नहीं चल पाया है. इसलिए, ब्रेस्टफीडिंग से बचने या इसे रोकने का कोई कारण नहीं है.
कोविड- 19 पॉजिटिव महिला ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बरते ये सावधानियां:
इसके अलावा, यदि कोई कोविड -19 पॉजिटिव या सस्पेक्टेड महिला ब्रेस्टफीडिंग करवाना चाहती है तो वे कुछ सावधानियों का पालन करके ऐसा कर सकती है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, ब्रेस्टफीडिंग कराने से पहले मां को कम से कम 20 सेकेंड तक साबुन और पानी से हाथ धोना चाहिए. पानी ना होने की स्थिति में, कम से कम 60 प्रतिशत अल्कोहल की मात्रा वाले हैंड सैनिटाइजर का उपयोग किया जा सकता है. इसके अलावा, बच्चे के साथ किसी भी संपर्क में आने के दौरान और दूध पिलाते समय भी हमेशा मास्क का उपयोग करें.