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कोरोना से जंग पर बोले प्रसून जोशी, प्रकृति संग रिश्ते पर सोचने की जरूरत, सुनाई कविता

प्रसून ने आगे कहा- सबसे पहला प्रशन जो खड़ा हुआ वो प्रकृति के साथ हमारा जो रिश्ता है वो बहुत असवेंदनशील हो गया है. प्रकृति को हराने को लेकर मानव होड़ करने लगा. प्रकृति को जीतने की होड़ शुरू हो गई.

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प्रसून जोशी
प्रसून जोशी

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प्रसून जोशी ने शनिवार को ई-साहित्य आजतक में शिरकत की. यहां उन्होंने कोरोना वायरस से जंग, प्रकृति और लॉकडाउन पर बातचीत की. साथ ही उन्होंने अपनी शानदार कविता सुनाई. कविता का नाम है हम हार नहीं मानेंगे.

प्रसून ने गाई कविता...

एक दिया तुम्हारा और एक लौ है मेरी

टल जाएगी ये काली रात अंधेरी

हम डोर-डोर साहस बटोर लाएंगे

हम हार नहीं मानेगे, हम हार नहीं मानेगे कह दो

जिनके रिश्ते गहरे-गहरे होते हैं उनके पंख सुनहेरे होते हैं

दूरी उनको और पास ले आती है, और उड़ान भी और खास हो जाती है

हम बिखरा एक संसार नहीं मानेगे

हम हार नहीं मानेगे, हम हार नहीं मानेगे कह दो

वो दिये जो तूफानों से शर्त लगाते हैं इतिहास उन्हीं को दोहराते हैं

हम दिल से बस उनको ही सलामी देते है, खुद से आगे जो औरों को रख पाते हैं

हम सूरत हैं अंधकार नहीं मानेंगे

हम हार नहीं मानेगे, हम हार नहीं मानेगे कह दो


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इसके अलावा प्रसून ने कहा- जब भी कोई विपत्ति आती है तो बहुत परिवर्तन होते हैं. आप 13-14वीं शताब्दी की बात करें तो प्लेग के बाद सामनंतवाद घटा और लेबर की पावर बढ़ी. फिर सार्स आया. उस वक्त ई-कॉमर्स बढ़ गया था. 9/11 के बाद आपने देखा कि एयरपोर्ट सिक्योरिटी, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते थे वो आज हमारे जीवन का हिस्सा बन गई. लॉकडाउन के दौरान भी बहुत सारे प्रशन मानव सभ्यता के सामने आकर खड़े हुए.

प्रकृति के साथ मानव का रिश्ता हुआ असवेंदनशील
प्रसून ने आगे कहा- सबसे पहला प्रशन जो खड़ा हुआ वो प्रकृति के साथ हमारा जो रिश्ता है वो बहुत असवेंदनशील हो गया है. प्रकृति को हराने को लेकर मानव होड़ करने लगा. प्रकृति को जीतने की होड़ शुरू हो गई. इसके परिणाम आपको दिखे हैं. प्रकृति के साथ मानव का कैसा रिश्ता इस पर सोचने की जरूरत है.

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