e-साहित्य आजतक कार्यक्रम में लोकप्रिय गीतकार, स्क्रीनराइटर और कवि प्रसून जोशी के सेशन को श्वेता सिंह ने मोडरेट किया. प्रसून जोशी ने इस दौरान लॉकडाउन पर बात की. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन ने मानव सभ्यता पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. प्रसून जोशी ने लॉकडाउन पर खास कविता भी सुनाई.
लॉकडाउन पर प्रसून जोशी की कविता
प्रसून जोशी लॉकडाउन के दौरान काफी कुछ लिख रहे हैं. इन दिनों भी प्रसून जोशी ने लॉकडाउन पर एक कविता लिखी. जो कि इस प्रकार है...
सुनो कुछ देर ठहरकर सुनो, कुछ कहना चाह रही है हवा
कुछ सन्नाटे भी बोल रहे, कुछ सत्य गगन से उतरे हैं, जो बंद द्वार हैं खोल रहे
बुनो एक जीवन फिर से बुनो, सुनो कुछ देर ठहरकर सुनो
अपनी गहराई में कूदो, सच्चे सिक्के मिल जाएंगे
अपनी लहरों से बात करो, सब उत्तर भी मिल जाएंगे
चुनो खुद अपना रास्ता चुनो, सुनो कुछ देर ठहरकर सुनो
थी कब से मौन सृष्टि सारी, अब मिट्टी की गंध को कहने दो
अब मुक्त करो तुम स्वर सारे, हर दुख-ए-छंद को बहने दो
सुनो कुछ देर ठहकर सुनो, बुनी एक जीवन फिर से बुनो
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लॉकडाउन पर क्या बोले प्रसून जोशी?
प्रसून जोशी ने कहा- लॉकडाउन में बहुत सारे सवाल उठकर खड़े हो गए हैं. जीवन पर जो असर हुआ है उसपर भी बड़े सवाल खड़े हो गए हैं. आज प्रकृति के साथ लोगों का रिश्ता असंवदेनशील हो गया है. प्रकृति को हराने की होड़ सी लगी हुई है. मैंने कभी नदी, पहाड़ों से प्रतिस्पर्धा नहीं की. प्रकृति को पछाड़ने की कोशिश करने की वजह से तबाही के कहीं ना कहीं प्रमाण दिखे हैं.
''इस पर बहुत सोच की आवश्यकता है. लोग खुद के साथ ही सहजता खो चुके हैं. जिंदगी की लड़ाई में लोग अपने रिश्तों पर नजर नहीं डालते थे. जिनके बारे में लोगों को लॉकडाउन के दौरान मालूम चला और उन्हें अब इसपर अफसोस होता है.''