तीन दिवसीय e-साहित्य आजतक के तीसरे दिन मंच पर आमंत्रित थी मखमली आवाज़, सुरों की दिलफरेब शहजादी और लोक संगीत की मलिका मैथिली ठाकुर. मैथिली ठाकुर ने इस मंच पर पहला गीत मिथिला को समर्पित किया. मैथिली ठाकुर ने एंकर श्वेता झा के अनुरोध पर अमीर खुसरो का कलाम- छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके...भी सुनाया. देश में प्रवासी मजदूरों के दर्द को अभिव्यक्त करने के लिए मैथिली ठाकुर ने मिथिले में रहिबे, हमरा न चाही चारे धाम, मिथिले में रहिबे...सुनाकर e-साहित्य आजतक के मंच से जुड़े दर्शकों का दिल जीत लिया.