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मां को था कैंसर, मालिनी अवस्थी का हौसला बढ़ाने पहुंचे थे पिता!

मां को था कैंसर, मालिनी अवस्थी का हौसला बढ़ाने पहुंचे थे पिता!

साहित्य आजतक के डिजिटल संस्करण e-साहित्य आजतक के मंच पर तीसरे दिन लोक संगीत की नायब हस्ती मालिनी अवस्थी ने शिरकत की. e-साहित्य आजतक के मंच पर लोक गायिका मालिनी अवस्थी अपने पिता जी के निधन के बाद भी मौजूद हुईं और माटी कहे कुम्हार गाकर जीवन का सार सुनाया. इस दौरान मालिनी अवस्थी ने उन दिनों की चर्चा की जब उनका जीवन बहुत संघर्ष में बीता. उन्होंने अपनी गायिकी का श्रेय अपने पिता जी को देते हुए मलूक दास रचित उनका पसंदीदा भजन दीन बंधु दीना नाथ, मेरी सुधि लीजै भी गाकर सुनाया. देखिए वीडियो.

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