'शहीदी की चिताओं पर हर बरस लगेंगे मेले. वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा.' भगत सिंह की आज 84वीं पुण्यतिथि है. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर जेल में फांसी दी गई. इन तीनों ही क्रांतिवीरों ने बहुत ही छोटी उम्र में देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए. मशहूर जवकवि अवतार सिंह संधू 'पाश' ने भगत सिंह पर एक कविता लिखी. आगे पढ़िए पाश की मशहूर कविता भगत सिंह.
भगत सिंह
पहला चिंतक था पंजाब का
सामाजिक संरचना पर
जिसने
वैज्ञानिक नजरिए से विचार किया था
पहला बौद्धिक
जिसने सामाजिक विषमताओं की, पीड़ा की
जड़ों तक पहचान की थी
पहला देशभक्त
जिसके मन में
समाज सुधार का
एक निश्चित दृष्टिकोण था
पहला महान पंजाबी था वह
जिसने भावनाओं व बुद्धि के सामंजस्य के लिए
धुंधली मान्यताओं का आसरा नहीं लिया था
ऐसा पहला पंजाबी
जो देशभक्ति के प्रदर्शनकारी प्रपंच से
मुक्त हो सका
पंजाब की विचारधारा को उसकी देन
सांडर्स की हत्या
असेम्बली में बम फेंकने और
फांसी के फंदे पर लटक जाने से कहीं अधिक है
भगत सिंह ने पहली बार
पंजाब को
जंगलीपन, पहलवानी व जहालत से
बुद्धिवाद की ओर मोड़ा था
जिस दिन फांसी दी गई
उसकी कोठरी में
लेनिन की किताब मिली
जिसका एक पन्ना मोड़ा गया था
पंजाब की जवानी को
उसके आखिरी दिन से
इस मुड़े पन्ने से बढ़ना है आगे
चलना है आगे.