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साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10: वर्ष 2023 के श्रेष्ठ 10 कविता-संग्रह और उनके रचनाकार कौन हैं, देखें सूची

'साहित्य तक: बुक कैफे टॉप 10' पुस्तकों की शृंखला जारी है. वर्ष 2023 में कुल 17 श्रेणियों की टॉप 10 पुस्तकों में श्रेष्ठ 10 कविता-संग्रह और उनके रचनाकारों की सूची में शकील आज़मी, तजेन्द्र सिंह लूथरा, रूपम मिश्र, जावेद आलम ख़ान, निर्देश निधि और यतीश कुमार के अलावा और किन कवियों के कौन से कविता-संग्रह शामिल हैं...साथ ही वह काव्य-शृंखला जो इन सबसे श्रेष्ठ होकर भी इस सूची में रखी नहीं जा सकी.

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साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10: वर्ष 2023 के श्रेष्ठ 10 कविता-संग्रह और उनके रचनाकार कौन हैं
साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10: वर्ष 2023 के श्रेष्ठ 10 कविता-संग्रह और उनके रचनाकार कौन हैं

'साहित्य तक: बुक कैफे टॉप 10' पुस्तकों की शृंखला जारी है. वर्ष 2023 में कुल 17 श्रेणियों की टॉप 10 पुस्तकों में श्रेष्ठ 10 कविता-संग्रह और उनके रचनाकारों की सूची में शकील आज़मी, तजेन्द्र सिंह लूथरा, रूपम मिश्र, जावेद आलम ख़ान, निर्देश निधि और यतीश कुमार के अलावा और किन कवियों के कौन से कविता-संग्रह शामिल हैं...साथ ही वह काव्य-शृंखला जो इन सबसे श्रेष्ठ होकर भी इस सूची में रखी नहीं जा सकी. 
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शब्द की दुनिया समृद्ध हो और बची रहे पुस्तक-संस्कृति इसके लिए इंडिया टुडे समूह के साहित्य, कला, संस्कृति और संगीत के प्रति समर्पित डिजिटल चैनल 'साहित्य तक' ने पुस्तक-चर्चा पर आधारित एक खास कार्यक्रम 'बुक कैफे' की शुरुआत वर्ष 2021 में की थी... आरंभ में सप्ताह में एक साथ पांच पुस्तकों की चर्चा से शुरू यह कार्यक्रम आज अपने वृहद स्वरूप में सर्वप्रिय है.
साहित्य तक के 'बुक कैफे' में इस समय पुस्तकों पर आधारित कई कार्यक्रम प्रसारित हो रहे हैं. इन कार्यक्रमों में 'एक दिन, एक किताब' के तहत हर दिन एक पुस्तक की चर्चा, 'शब्द-रथी' कार्यक्रम में किसी लेखक से उनकी सद्य: प्रकाशित कृति पर बातचीत और 'बातें-मुलाकातें' कार्यक्रम में किसी वरिष्ठ रचनाकार से उनके जीवनकर्म पर संवाद होता है. इनके अतिरिक्त 'आज की कविता' के तहत कविता पाठ का विशेष कार्यक्रम भी बेहद लोकप्रिय है. 
भारतीय मीडिया जगत में जब 'पुस्तक' चर्चाओं के लिए जगह छीजती जा रही थी, तब 'साहित्य तक' पर हर शाम 4 बजे 'बुक कैफे' में प्रसारित कार्यक्रमों की लोकप्रियता बढ़ती ही गई. हमारे इस कार्यक्रम को प्रकाशकों, रचनाकारों और पाठकों की बेपनाह मुहब्बत मिली. अपने दर्शक, श्रोताओं के अतिशय प्रेम के बीच जब पुस्तकों की आमद लगातार बढ़ने लगी, तो यह कोशिश की गई कि कोई भी पुस्तक; आम पाठकों, प्रतिबद्ध पुस्तक-प्रेमियों की नजर से छूट न जाए. आप सभी तक 'बुक कैफे' को प्राप्त पुस्तकों की जानकारी सही समय से पहुंच सके इसके लिए सप्ताह में दो दिन- हर शनिवार और रविवार को - सुबह 10 बजे 'किताबें मिलीं' कार्यक्रम भी शुरू कर दिया गया. यह कार्यक्रम 'नई किताबें' के नाम से इस वर्ष भी जारी रहेगा.  
'साहित्य तक' ने वर्ष 2021 में ही पूरे वर्ष की चर्चित पुस्तकों में से उम्दा पुस्तकों के लिए 'बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला शुरू की थी, ताकि आप सब श्रेष्ठ पुस्तकों के बारे में न केवल जानकारी पा सकें, बल्कि अपनी पसंद और आवश्यकतानुसार विधा और विषय विशेष की पुस्तकें चुन सकें. तब से हर वर्ष के आखिरी में 'बुक कैफे टॉप 10' की यह सूची जारी होती है. 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' की यह शृंखला अपने आपमें अनूठी है, और इसे भारतीय साहित्य जगत, प्रकाशन उद्योग और पाठकों के बीच खूब आदर प्राप्त है. 
'साहित्य तक के 'बुक कैफे' की शुरुआत के समय ही इसके संचालकों ने यह कहा था कि एक ही जगह बाजार में आई नई पुस्तकों की जानकारी मिल जाए, तो पुस्तकों के शौकीनों के लिए इससे लाजवाब बात क्या हो सकती है? अगर आपको भी है किताबें पढ़ने का शौक, और उनके बारे में है जानने की चाहत, तो आपके लिए सबसे अच्छी जगह है साहित्य तक का 'बुक कैफे'. 
हमें खुशी है कि हमारे इस अभियान में प्रकाशकों, लेखकों, पाठकों, पुस्तक प्रेमियों का बेपनाह प्यार मिला. हमने पुस्तक चर्चा के कार्यक्रम को 'एक दिन, एक किताब' के तहत दैनिक उत्सव में बदल दिया है. वर्ष 2021 में 'साहित्य तक- बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला में केवल अनुवाद, कथेतर, कहानी, उपन्यास, कविता श्रेणी की टॉप 10 पुस्तकें चुनी गई थीं. वर्ष 2022 में लेखकों, प्रकाशकों और पुस्तक प्रेमियों के अनुरोध पर कुल 17 श्रेणियों में टॉप 10 पुस्तकें चुनी गईं. साहित्य तक ने इन पुस्तकों को कभी क्रमानुसार कोई रैंकिंग करार नहीं दिया, बल्कि हर चुनी पुस्तक को एक समान टॉप 10 का हिस्सा माना. यह पूरे वर्ष भर पुस्तकों के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता और श्रमसाध्य समर्पण का द्योतक है. फिर भी हम अपनी सीमाओं से भिज्ञ हैं. संभव है कुछ बेहतरीन पुस्तकें हम तक पहुंची ही न हों, संभव है कुछ श्रेणियों में कई बेहतरीन पुस्तकें बहुलता के चलते रह गई हों. संभव है कुछ पुस्तकें समयावधि के चलते चर्चा से वंचित रह गई हों. पर इतना अवश्य है कि 'बुक कैफे' में शामिल ये पुस्तकें अपनी विधा की चुनी हुई 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' पुस्तकें अवश्य हैं. 
पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने की 'साहित्य तक' की कोशिशों को समर्थन, सहयोग और प्यार देने के लिए आप सभी का आभार.
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साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10: वर्ष 2023 के श्रेष्ठ 10 कविता-संग्रह और उनके रचनाकार हैं-
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* 'बनवास', शकील आज़मी

सीता लछमन राम है जंगल
जैसे कोई धाम है जंगल...
शबरी के जूठे बेरों से
मीठा सुब्ह-ओ-शाम है जंगल...
पत्ते- पत्ते पर लिक्खा है
मीरा का घनश्याम है जंगल... शकील आज़मी का यह कविता संग्रह रामायण के लगभग सभी पात्रों और जंगल पर एक अनोखी दृष्टि डालता है. इस संग्रह में जहां राम, लक्ष्मण, सीता और रावण पर ग़ज़लें और नज़्में हैं तो वहीं शबरी और जामवंत जैसे किरदारों पर भी रचनाएं शामिल हैं. यह संग्रह एक अनूठा प्रयास है. 
- प्रकाशक: मंजुल पब्लिशिंग हाउस
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* 'एक नया ईश्वर' - तजेन्द्र सिंह लूथरा

कितना कुछ हो सकता है
धीमे-धीमे
एक शान्त आलिंगन
तुम्हारे वक्ष की मन्द आंच
मेरी छाती दहका दे
मेरे कोसे हाथ
तुम्हारी पीठ में कसे ढीले से
बनकर गहरा आश्वासन... तजेन्द्र सिंह लूथरा का यह कविता-संग्रह अनूठी प्रेम कविताओं से भरा है. प्रेम को अपनी कविताओं में एक नया स्वरूप देने वाले कोमल हृदय के एक पुलिस अधिकारी कवि, जो अंग्रेजी और हिंदी दोनों में सृजनरत हैं, के इस नए संग्रह को पढ़ा जाना चाहिए. 
- प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
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* 'एक जीवन अलग से' -रूपम मिश्र

जब तुम साथ कहोगी तो वो प्रेम कहेगा
जब तुम प्रेम कहोगी तब वो प्रणय कहेगा
जब तुम प्रणय कहोगी तो
सावधान रहना वो पाप कह सकता है... कविता की समकालीनता में लगभग अकेली कवयित्री जो अपनी कविता में अपने इलाके के मनुष्य और मनुष्यता ही नहीं उस भूभाग के सांस्कृतिक पराभव के वर्णन के लिए इलाकाई जबान का बहुत नैसर्गिक और निहितार्थवान उपयोग करती हैं. विषम अवस्थितियों में लिखी जाती रूपम की कविता और बेहद प्रतिकूल हालात में निर्मित होता और नित निखरता उनका काव्य व्यक्तित्व किसी दन्तकथा से कम नहीं. 
- प्रकाशक: राधाकृष्ण प्रकाशन
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* 'स्याह वक़्त की इबारतें', जावेद आलम ख़ान

तुम्हारा जाना
मेरे जीवन की कोई
भीषण दुर्घटना नहीं है
न उस कागज़ के टुकड़े में
तुम्हारी ख़ुशबू आती है
मैंने इसलिए सहेजा
तुम्हारा आख़िरी ख़त
कि उसके हरेक हर्फ़ से
मेरी कविताएं जन्म लेती हैं... जावेद आलम ख़ान अपने इस कविता- संग्रह के बारे में कहते हैं कि- मेरी कविताएं मेरी नाकामियों की उपज हैं. ज़िंदगी की स्याह, सफ़ेद और कहीं- कहीं रंगीन झलकियां हैं, जिनमें महानगरीय अजनबीपन की उदासी है, रोजमर्रा की समस्याओं से जूझते फैमिली मैन की उबासी है, अपने ही मुल्क में बेगाने किए गए अल्पसंख्यक मन की तिक्तता है. 
- प्रकाशक: बोधि प्रकाशन
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* 'नदी नीलकंठ नहीं होती' - निर्देश निधि

रजवाहे के साथ लगी उस पुलिया से भी
हो गया है प्रेम मुझे
खड़े रहकर जिस पर
प्रतीक्षा करते हो तुम घंटों
मुझसे क्षणिक मिलन की
मेरी साइकिल के पहिये भी तो जैसे
खोने लगते हैं वृत्त अपना
होकर चौकोर,
हो जाना चाहते हैं स्थिर
ठीक सामने तुम्हारे... यह संग्रह अनूठी कविताओं से भरा है, जिनमें एक स्त्री मन की आशा, स्वप्न, संबंध, संवेदनाएं और समय सब कुछ दर्ज है. निर्देश निधि साहित्य की हर विधा में सक्रिय हैं. वे कविता, कहानी, समसामयिक लेख, संस्मरण आदि विधाओं में अपने भावों, विचारों को उकेरती रही हैं.  
- प्रकाशक: वनिका पब्लिकेशन्स
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* 'घो घो रानी कितना पानी' - रश्मि भारद्वाज

प्रेम पत्र लिखते हुए
मैं नहीं बचाऊंगी
खुद को थोड़ा भी
शरीर के साथ
शामिल हो जाएगी
वहां मेरी आत्मा भी
और
एक रूमानी ख़त
लिखने के गुनाह से
इस वसन्त भी मैं
वंचित ही रह जाऊंगी... रश्मि भारद्वाज का यह तीसरा कविता-संग्रह है. इनकी कविताएं समाज के नये प्रसंग में, विशेष तौर से अस्मिता के अन्याय संदर्भों में, जीवन की अर्थवत्ता की तलाश एक जरूरी और मुश्किल कार्य है. पर यह संग्रह  बखूबी यही कार्य करता है.
- प्रकाशक: सेतु प्रकाशन
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* 'उत्सव का पुष्प नहीं हूं' - अनुराधा सिंह

मैं उसकी मुट्ठी में बंद उंगली हूं
उसने थामा था सहारा देने के लिए
और मैं पसीने में तर
उसकी पकड़ से छूटने के लिए हूं बेचैन...
मैं उसके कण्ठ में थरथराती
वह आवाज़
जिसे वह बोलना नहीं चाहता
मैं एक शब्द बनने के लिए तरस रही हूं
और उसके ज़हन में मेरा समूचा अर्थ क़ैद है
मैं वह स्वप्न हूं जिसे 
वह रोज़ अपनी नींद में देखता है
उसके जागते ही
एक धुंधले अघटित में तब्दील हो जाती हूं... इस संग्रह की रचनाएं हर मायने में अव्वल दर्जे की हैं, जो प्रेम के साथ जीवन के विभिन्न रूपों, स्वरों, स्थान, यहां तक कि मूर्त-अमूर्त को अपनी संवेदनाओं के साथ कविता रूप में प्रस्तुत करती हैं.
 - प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
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* 'पांचाली की पंडवानी' - उर्मिला शुक्ल

कुरुक्षेत्र का विकराल युद्ध 
महत्वाकांक्षाओं का था मेल 
आरोप लगाना स्त्री पर पुरुषसत्ता का पुराना खेल
क्या द्वापर क्या युगत्रेता 
हरयुग की यही कहानी 
कथा कभी सीता बनी 
कभी द्रौपदी बनी कहानी
दोष लगाना नारी पर 
सदा ही रहा आसान 
दोषी बनाकर नारी को 
बन जाता पुरुष महान 
हस्तिनापुर का आसन जब 
बना युद्ध का कारण 
सत्ता की लालसा विकट 
युद्ध ही रहा निवारण 
पांचाली की पंडवानी... यह खण्ड काव्य, हर युग में खण्ड- खण्ड बिखरे स्त्री जीवन की उत्तरगाथा है. यह तीजन बाई के उद्दात कण्ठ में रलमल बहती हुई, एक सनातन गाथा भी है, जो अबूझ और अगाध स्त्री मन की पीड़ा का एक सजग रूपक रचती है. द्रौपदी से तीजन बाई, तीजन बाई से उर्मिला शुक्ल तक पीढ़ियां बदलती चली गयीं, पर स्त्री को मनुष्य न समझे जाने की दृष्टिबाधा वैसी की वैसी रही. 'पांचाली की पंडवानी' खण्ड काव्य बहुत ही मार्मिक ढंग से स्त्री स्वर, उसकी पीड़ा और उसके समय को दर्ज करता है. 
-प्रकाशक: न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन
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* 'मैं थिगली में लिपटी थेर हूँ' - ज्योति रीता

स्त्री त्याग के लिए बनी थी
त्याग से स्त्री का खोईछा हमेशा भरा रहा
झुकी नज़रों वाली स्त्री को कुलीन कहा गया
बोलने वाली स्त्रियों को पतिता कहा गया
मूक बधिर स्त्री को देवी स्वरूपा माना गया
नरम कदमों से चलने वाली स्त्री लक्ष्मी थी
ख़्वाब को लिफाफे में बंद कर दरिया में बहाने वाली स्त्री शीतला माता 
उन लिफाफों को खोल कर चूमने वाली स्त्री बे-गैरत थी
बच्चे पालती
दूध पिलाती 
बिस्तर सहेजती स्त्री 
घर के लिए खाद पानी थी
खानसामा की तरह रोटी पर मक्खन लगाती स्त्री को 
रात बिस्तर पर प्रेम से देखा जाता 
कुछ पल बांहों का साथ मिलता 
ख़्वाहिश का परचम लहराते ही 
करवट से पीठ तर होती
स्त्री का जीवन
गर्म तवे पर रोटी सेंकने भर से था
उसकी तरबियत में ही कुछ खामी है...  ये कविताएं आमजन की कविता हैं. कवयित्री के शब्दों में रास्ते चलते हुए जिन चीज़ों को महसूस कर पाई उन विषयों पर लिखती चली गई. बिना उकेरे बेचैनी का कोई समाधान भी नहीं था. उन पीड़ाओं से उबरने का एक ही रास्ता माकूल लगा, वह था लेखन.
-प्रकाशक: संभावना प्रकाशन
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* 'आविर्भाव', यतीश कुमार

एक ख़ाली सिगरेट का पैकेट हूं
जिसमें धुआं भरा पड़ा है
और देखते देखते मैं
कवि की बेचैन बुदबुदाहट में बदल जाता हूं
कविता धुएं से जादुई बुदबुदाहट में
तब्दील हो जाती है
और फिर बुदबुदाहट एक स्पार्क में
उस कौंध को पीने के लिए,
उस जादुई ट्रांस में कुछ पल
और ठहरने के लिए
मैं सौ बार मरने को तैयार हूं
पर उस अपारदर्शी धुएं में
वह कोण हर कोने से तिर्यक ही दिखता है
और मैं इसे ठीक करने की कोशिश में
360 डिग्री से 180 डिग्री में बदल जाता हूं...  हिंदी साहित्य की 11 प्रसिद्ध कृतियों पर कविताई रूप में रची गई ये रचनाएं कवि के रूप में कुमार को अनूठी मेधा के साथ स्थापित करती हैं. उपन्यास और कविता को अमूमन अपनी संरचनाओं में एक-दूसरे का विपरीत और विलोम माना जाता रहा है. लेकिन बहुत मौलिक तरीक़े से रचनाकार के रूप में यतीश दोनों को किसी कृतिकार की पारस्परिकता में देखना शुरू करते हैं, और उसकी श्रेष्ठ परिणति के रूप में इस संग्रह के साथ आते हैं. 
-प्रकाशक: राधाकृष्ण प्रकाशन
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विशेष - टॉप 10 की इस सूची में राजपाल एंड संस द्वारा 'कालजयी कवि और उनका काव्य' शृंखला की माधव हाड़ा द्वारा संपादित गुरुनानक देव, बुल्लेशाह, रहीम और जायसी की महत्त्वपूर्ण चयनित कृतियां इसलिए नहीं शामिल की जा सकीं कि संत साहित्य के इन महानतम रचनाकारों की श्रेष्ठता किसी भी सूची में समाई नहीं जा सकती.
* मेरे लाल रंगीले हम लालन के लाले
गुर अलखु लखाइआ अवरु न दूजा भाले - गुरु नानक देव
* 'उन को मुख दिखलाए हैं, जिन से उस की प्रीत  
उनको ही मिलता है वोह, जो उस के हैं मीत'- बुल्लेशाह.
* 'रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय'- रहीम
* 'जुग- जुग बीतै पलहि पल, अवधि घटति निति जाइ
मीचु नियर जब आवै, जानहुँ परलय आइ'- जायसी
संपादक/ प्रकाशक को बधाई!
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वर्ष 2023 के 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' में शामिल सभी पुस्तक लेखकों, प्रकाशकों, अनुवादकों और प्रिय पाठकों को बधाई!

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