करा दो मेरी भी शादी, अरे अपनी भी हस्ती है, दिला दो कोई एक दुलहन, चढ़ी फाल्गुन की मस्ती है, जले हैं हाथ मेरे...साहित्य आजतक पर सुनिए व्यंग्य कवि बेबाक जौनपुरी की होली की मस्ती...जश्ने फाल्गुन जारी है..
Kara do meri bhi shadi chadhi falgun ki masti hai, a Holi Kavita by Hindi Kavi Bebak Jaunpuri