किताबः कैप्टन कूल (महेंद्र सिंह धोनी की कहानी)
लेखकः गुलू इज़िकियल
अनुवादः मोना पार्थसारथी
प्रकाशकः वेस्टलैंड लिमिटेड और यात्रा बुक्स
कीमतः 250 रुपये
कवरः पेपरबैक
रांची से मेलबर्न तक के सफर में महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में टीम इंडिया ने बड़े मुकाम हासिल किए. बतौर टेस्ट कप्तान और खिलाड़ी धोनी ने टीम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी सफलता की कहानी हजारों युवाओं को प्रेरित करती है. पेश है पूर्व टेस्ट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की जिंदगी से जुड़े अनजाने रोचक पहलू..
धोनी फैमिली
महेंद्र सिंह धोनी के पिता पानसिंह और मां देवकी देवी की शादी 1969 में हुई, उनके बेटे महेंद्र सिंह धोनी का जन्म रांची में सात जुलाई 1981 को हुआ. धोनी के एक बड़े भाई नरेंद्र और उनसे चार साल बड़ी बहन जयंती हैं.
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जब दिन भर की बल्लेबाजी
1994 में पहली बार विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी संभालने वाले धोनी पूरे एक दशक बाद टीम इंडिया के विकेटकीपर बने. इसके तीन साल बाद वे स्कूल के हीरो बन गए. जब उन्होंने 150 गेंदों में 26 चौकों और छह छक्कों की मदद से 213 रन बनाए. अपने सलामी जोड़ीदार शब्बीर हुसैन के साथ उन्होंने पूरे दिन बल्लेबाजी करते हुए 378 रन जोड़े और इंटर-स्कूल ट्रॉफी जीती.
पहली बाइक
धोनी ने 1998 में सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड की टीम के लिए खेलना शुरू किया. जहां उन्हें 2200 रूपये मासिक भत्ता मिलने लगा. इसी पैसे से अठारह साल के लड़के ने एक पुरानी मोटरबाइक खरीदी. आज उनके पास अत्याधुनिक मोटरबाइकों की पूरी कतार है.
इम्तिहान में बैठने का समय नहीं मिला
दसवीं की बोर्ड परीक्षा में 66 प्रतिशत अंक लाने वाले धोनी ने 1999 में बारहवीं का इम्तिहान पास किया. उन्होंने बी. कॉम (ऑनर्स) पहले साल के लिए रांची यूनिवर्सिटी के गोसेनर कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन उन्हें इम्तिहान में बैठने का समय नहीं मिला.
पहली नौकरी
धोनी ने पहली नौकरी 2001 में दक्षिण पूर्वी रेलवे के खड़गपुर डिविजन में टिकट कलेक्टर के रूप में की. इसी दौरान उन्हें रेलवे की रणजी टीम के चयन ट्रायल के लिए रेलवे के घरेलू मैदान दिल्ली के करनैल सिंह स्टेडियम बुलाया गया. ट्रायल का अनुभव बेहद खराब रहा. सिर्फ तीन गेंद की विकेटकीपिंग करने का और थोड़ी बल्लेबाजी के बाद उन्हें खारिज कर दिया गया. लेकिन 2004 की शुरुआत में जब दिलीप ट्रॉफी के लिए उनका चयन हुआ, तो रेलवे को दोबारा याद आई. लेकिन इस बार मना करने की बारी धोनी की थी.
ठुकराई नौकरियां
2004 में धोनी ने रेलवे की नौकरी छोड़ दी और मई 2005 में एंडियन एयरलाइंस में प्रबंधक हो गए. वनडे में पदार्पण के बाद उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से मिली डीएसपी बनने की पेशकश ठुकरा दी.
स्टेट टीम के कप्तान नहीं बने
धोनी कभी भी अपनी स्टेट टीम के कप्तान नहीं बने. उन्हें 2004-05 के सत्र में कप्तानी की पेशकश मिली थी लेकिन उन्होंने अपनी बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग पर ही ध्यान केंद्रित करना मुनासिब समझा. असम के खिलाफ 12 जनवरी 2000 को कीनन स्टेडियम पर रणजी मैच में धोनी को विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में पदार्पण का मौका मिला.
टीम इंडिया की पहली पोशाक
29 जुलाई 2004 को हरारे में जिम्बाब्वे चयन एकादश के खिलाफ धोनी ने विकेटकीपिंग का जिम्मा संभाला. यहां पहली बार उन्होंने भारतीय टीम की पोशाक पहनी, हालांकि यह पूर्ण अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं था. मैच में धोनी ने एक ही मैच में सर्वाधिक 11 बल्लेबाजों को पवेलियन भेजने के भारतीय रिकॉर्ड की बराबरी की. इसमें सात कैच और चार स्टंपिंग थे. उन्होंने 48 गेंद में 45 रन भी बनाए. विश्व रिकॉर्ड एक मैच में 13 खिलाड़ियों को आउट करने का है.
पहला कैच
महेंद्र सिंह धोनी ने अजित अगरकर की गेंद पर बांग्लादेश के सलामी बल्लेबाज नफीस इकबाल के रूप में अपना पहला कैच पकड़ा.
फर्स्ट पर्सन गेम है फेवरेट
बाइकिंग के अलावा धोनी को अपने प्ले स्टेशन पर कंप्यूटर गेम खेलना पसंद है. खासतौर पर फर्स्ट पर्सन शूटिंग खेल जैसे काउंटर स्ट्राइक, ब्लैक हाक डाउन र मैन ऑफ वेलोर पसंद है.
मुकेश अंबानी से ज्यादा कमाई
आईपीएल 2008 की नीलामी में चेन्नई सपर किंग्स ने धोनी को अपने कप्तान के तौर पर डेढ़ मिलियन डॉलर यानी छह करोड़ रुपये में खरीदा. एक आर्थिक अखबार ने अनुमानित आंकड़ा दिया कि धोनी को आईपीएल के दौरान खेलने के प्रति घंटा के हिसाब से 56.818 रुपये मिलेंगे. यह उस समय भारत के सबसे धनवान व्यक्ति मुकेश अंबानी की प्रतिघंटा कमाई से अधिक था.
धोनी का हर रन 3623.19 डॉलर का
आईपीएल के पहले संस्करण के बाद आंकड़ों के मुताबिक धोनी का हर रन 3623.19 डॉलर का था. इस मामले में भी वह सबसे आगे निकल गए. लेकिन यह टूर्नामेंट कमाई से भी कहीं अधिक था. फ्रेंचाइजी के लिए उनकी इससे कहीं ज्यादा थी. आखिरकार ब्रांड धोनी की वजह से ही उन्हें इतने अधिक प्रायोजक जो मिले थे.
15 महीने में 1,12,000 किलोमीटर की यात्रा
मार्च 2008 में सीबी सीरीज खेलकर ऑस्ट्रेलिया से लौटने के बाद यह अनुमान लगाया गया कि धोनी ने 15 महीने के दौरान करीब 1,12,000 किलोमीटर की यात्रा कर ली थी, जिसमें आठ देशों और पांच महाद्वीपों का दौरा शामिल है. इसके लिए उन्हें करीब 50 उड़ानें बदलनी पड़ी.
अपनी मर्जी से आराम का फैसला
जुलाई 2008 में दक्षिण अफ्रीका की सीरीज के बाद धोनी ने श्रीलंका के खिलाफ आराम करने का फैसला लिया. देश भर में इस फैसले पर वाद विवाद का दौर आरंभ हो गया. क्योंकि किसी भी भारतीय क्रिकेटर द्वारा अपनी मर्जी से किसी सीरीज से पीछे हटने का यह पहला किस्सा था.
यूं मिली टेस्ट कप्तानी
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच से आधा घंटा पहले धोनी को बताया गया कि चोटिल कुंबले की जगह उन्हें कप्तानी संभालनी होगी. धोनी ने अपना शत प्रतिशत रिकॉर्ड कायम रखा और भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 320 रनों से धुन दिया.
शादी में मेहमानों की लिस्ट
धोनी की शादी में मेहमानों की फेहरिस्त चौंकाने वाली थी. इसमें दो मूवी स्टार जॉन अब्राहम और बिपाशा बसु और क्रिकेट जगत से जुड़े उनके सिर्फ दो दोस्त आर.पी. सिंह और सुरेश रैना और झारखंड के दो राजनेता. न तो भारतीय क्रिकेट से जुड़े किसी बड़े नाम को और ना ही बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारियों में से किसी को आमंत्रित किया गया था.
भारतीय खेल जगत का सबसे बड़ा समझौता
2008 में जुलाई का महीना धोनी के लिए काफी व्यस्त रहा. शादी के एक दिन बाद धोनी ने रीति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट और माइंडस्केप वन के साथ तीन साल के लिए 210 करोड़ रुपये में भारतीय खेल जगत के इतिहास का सबसे बड़ा समझौता किया.
मोहिंदर अमरनाथ का खुलासा
जनवरी 2013 के आसपास भूतपूर्व चयनकर्ता और महान बल्लेबाज मोहिंदर अमरनाथ ने खुलासा किया कि 2011 में इंग्लैंड से और फिर 2012 में ऑस्ट्रेलिया से 4-0 से हारने के बाद चयनकर्ताओं ने धोनी को हटाने का फैसला कर लिया था. अमरनाथ का दावा था कि इस फैसले को बोर्ड के अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन ने पलट दिया था. जिनके बारे में माना जाता था कि चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक होने के नाते वो धोनी की स्टार वैल्यू की रक्षा करना चाहते थे.
'मेरे पास धोनी है’
चेन्नई में छात्रों के सामने एक बार भाषण के दौरान श्रीनिवासन की एक टिप्पणी ने उनकी सामंतवादी मानसिकता की पोल खोल दी. श्रीनिवासन ने कहा, ‘आपके ख्याल से लोग सीएसके से क्यों जलते हैं. उन्होंने अपने युवागत श्रोताओं से भाषणगत सवाल किया.’ ‘धोनी की वजह से. मुझ पर बर्बरतापूर्वक आक्रमण हुआ क्योंकि मेरे पास धोनी हैं.’
वनडे के महानतम फिनिशर
धोनी एकदिवसीय क्रिकेट के महानतम फिनिशर हैं. सफल दूसरी पारियों में 72 जीतों के दौरान 89.63 के स्ट्राइक रेट पर उनका औसत 100.09 है. अभी तक दूसरी पारी में किसी भी खिलाड़ी से उनका औसत (52.45) सबसे अधिक है. और सबसे बढ़कर उन 33 मैचों में जिनमें उन्होंने अविजित रहते हुए भारत को जीत दिलाई है, उनमें उनका स्ट्राइक रेट दुनिया में सर्वश्रेष्ठ 93.75 है.
(सारे फैक्ट और किस्से खेल पत्रकार गुलू इजिकियल की किताब कैप्टन कूलः महेंद्र सिंह धोनी से)