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छल-कपट, राजनीति और रोमांच की रहस्य कथा, आर्यवर्त क्रॉनिकल्स

साहित्य में 'माइथोलॉजी' की एंट्री नई नहीं है, लेकिन अमीश त्रिपाठी के सफल होने के बाद इसे जबरदस्त लोकप्रियता मिली. अब आर्यवर्त की कहानी कहती ऐसी ही एक नई किताब आई है, ' आर्यवर्त क्रॉनिकल्स'. इसे लिखा है सिंगापुर में भारतीय मूल की लेक्चरर कृष्णा उदयशंकर ने.

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he aryavarta chronicles book
he aryavarta chronicles book

साहित्य में 'माइथोलॉजी' की एंट्री नई नहीं है, लेकिन अमीश त्रिपाठी के सफल होने के बाद इसे जबरदस्त लोकप्रियता मिली. अब आर्यवर्त की कहानी कहती ऐसी ही एक नई किताब आई है, ' आर्यवर्त क्रॉनिकल्स'. इसे लिखा है सिंगापुर में भारतीय मूल की लेक्चरर कृष्णा उदयशंकर ने. यह किताब ट्रायॉलजी है, यानी इसके तीन खंड हैं. हाल ही में किताब का तीसरा खंड 'कुरुक्षेत्र' रिलीज हुआ है. इसमें लेखिका ने कुरुक्षेत्र के युद्ध का रूपांतरण करने की कोशिश की है.

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किताब को आर्यवर्त साम्राज्य की राजनीति, हत्या, प्रेम, षड्यंत्र, छल-कपट, रोमांच और मित्रता के निष्ठावान गठबंधनों की पृष्ठभूमि में बुना गया है. पेश हैं इसके पहले तीन खंडों के कुछ अंश.

किताब के अंश

एक: अग्निपुत्र
पीढ़ियों से यहां विद्वान संतों के ज्येष्ठ राजवंश, वशिष्ठवरुणी के वंशजों और पृथ्वी की दिव्य व्यवस्था के संरक्षकों का बोलबाला रहा है. अग्निपुत्रों का अंगिरासा परिवार, हथियार बनाने वालों से लेकर राजाओं तक और सक्षम अन्वेषकों तक ने उन्हें चुनौती दी है.

दो व्यवस्थाओं के बीच सदियों पुराने संघर्ष के नतीजे के तौर पर, कभी एकजुट रहा आर्यावर्त का साम्राज्य अपनी पूर्ववर्ती गौरवशाली छाया की तरह बिखरा पड़ा है. अब अग्निपुत्रों का आखिरी राजदार एक हिंसक हाथ के हाथों मारा जा चुका है और साम्राज्य में सर्वोच्च शक्ति का युद्ध शुरू होने को है.

शक्तिशाली ताकतें एक खूनी संघर्ष की ओर अग्रसर हैं. ग्वाले से राजकुमार बने और अब द्वारका की सेनाओं के नायक गोविंदशौरी को इस धोखे से पार पाने के लिए अपनी सारी चतुराई लगानी होगी. अगर वह अपने लोगों और प्रियजनों की जान बचाना चाहता है तो उसे छल का रास्ता भी लेना होगा.

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लेकिन अग्निपुत्रों के आश्चर्यजनक और अद्भुत ज्ञान की कुंजी किसके पास है, जो गलत हाथों में पहुंची तो राज्य की तबाही निश्चित है? और क्या गोविंदा में अपने भूत के स्याह रहस्यों का सामने करने और आर्य का सही अर्थ खोज निकालने का माद्दा है?

हत्या, प्रेम, राजनीति षड्यंत्र, छल-कपट, रोमांच और मित्रता के निष्ठावान गठबंधन. महाकाव्य की पृष्ठभूमि पर लिखा गया एक रोमांचकारी उपन्यास.

दो: कौरव
लड़ने और हारने के लिए कुछ भी नहीं बचा संगठित आर्यवर्त पर महाराज धर्म युधिष्ठिर और महारानी पांचाली द्रौपदी राज करते थे. यह साम्राज उनके लिए पहली संतान गोविंदाशौरी ने पहली संतानों के आशीष और उनके अग्निपुत्रों के सामर्थ्य के बल पर बनाया था. लेकिन धर्मयुधिष्ठिर जुए में साम्राज्य हार गए और द्रौपदी को निर्वासन झेलना पड़ा. साम्राज्य के प्रांत आपस में लड़ने और एक-दूसरे को खत्म करने पर उतारू हो गए.

खंड तीन: जंग के लिए तैयार आर्यावर्त?
कायनात की पारछाई में आर्यावर्त साम्राज्य मुरझाने लगा. बढ़ते संघर्ष के बीच साम्राज्य पर काबू पाने के लिए अग्निपुत्र की पहली संतान कृष्ण दवाईपायना व्यास को अंधेरे में रौशनी की तरह देखा गया. जीत हासिल करने और सभी मामलों से निबटने के लिए शासकों द्वारा सभी तरीके और नीतियां अपनाई गईं.

इस तूफान के बीच हारे हुए राजाओं, टूटे गठबंधनों के बीच गोविंद शौरी अंधेरों की कगार से निकलकर सामने आए. उसे परिस्थियों को बदलने के लिए तैयार रहने वाले शख्स के रूप में जाना गया. वो आखिरी उम्मीद को सच करने के लिए हर तरह का बलिदान देने के लिए तैयार नजर आया. जिनसे वो मोहब्बत करता था, उसे उनका बलिदान देकर मानवता के उदय की उम्मीद थी. आर्यावर्त क्रॉनिकल्स के इस आखिरी खंड में कृष्ण उदयशंकर ने महाभारत के संसार को दोबारा रचने की कोशिश की है. इमेजिनेशन और रचनात्मकता का उदय ने बखूबी इस्तेमाल करते हुए इस संसार को रचा है.

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