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फैयाज अश्क की किताब 'फसल-ए-ख्याल' का हुआ विमोचन

इस अवसर पर पुस्तक से ही गजल, हम्द और दोहे के अंशों का पाठ भी किया गया. उर्दू अदब और साहित्य की दुनिया से प्रख्यात हस्तियां भी इस अवसर पर उपस्थित थीं.

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फैयाज अश्क की किताब फसल-ए-ख्याल का हुआ विमोचन
फैयाज अश्क की किताब फसल-ए-ख्याल का हुआ विमोचन

अर्शिया प्रकाशन की ओर से प्रकाशित बिहार के प्रख्यात कवि और लेखक फैयाज रश्क के उर्दू शायरी के नवीनतम संग्रह ‘फसल-ए-ख्याल (ए हार्वेस्ट आॉफ इमैजिनेशन’) का दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में लोकार्पण किया गया. इस अवसर पर पुस्तक से ही गजल, हम्द और दोहे के अंशों का पाठ भी किया गया. उर्दू अदब और साहित्य की दुनिया से प्रख्यात हस्तियां भी इस अवसर पर उपस्थित थीं.

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पुस्तक का विमोचन प्रख्यात लेखिका और प्रकाशन की सह संस्थापक नमिता गोखले, पूर्व मंत्री डॉ. मोनाजिर हसन, लेखक डॉ. तरन्नुम रियाज, लेखक और निदेशक कमलेश कुमार कोहली और लेखक अनीस आजमी ने किया. साहित्य सेवा सम्मान से सम्मानित, फैयाज रश्क बिहार के ऐतिहासिक शहर मुंगेर के निवासी हैं. उर्दू फोरम के सक्रिय सदस्य फैयाज रश्क ने 45 से अधिक वर्षों तक अपने गृहनगर में उर्दू साहित्यिक आंदोलन में योगदान दिया. डॉ मोनाजिर हसन ने फैयाज रश्क को सम्मानित किया और उर्दू अदब में उनके योगदान की प्रशंसा की. युवा कवि और फैयाज रश्क के पुत्र अजहर हाशमी ने अपने पिता के सम्मान में बहुत ही मार्मिक गजल पढ़ी.

फसल- ए- खयाल में कल्पनाओं को बुना गया है. यह फैयाज रश्क के समर्पित सृजन कर्म का परिणाम है जिसे उन्होंने सीमित समय में मौजूदा स्वरूप में इसे पेश किया. कल्पनाओं पर आधारित ‘फसल- ए- ख्याल’ शीर्षक वाली यह पुस्तक हर पाठक की कल्पना को थाह लेने की कोशिश करती है और मानवीय संबंधों के दैनिक मुद्दों से परे कल्पनाओं की छानबीन करती है. लेखक श्री अनीस आजमी ने अपने संबोधन में कहा, ‘एक लेखक के लिए, उसकी पुस्तक का विमोचन एक चिरस्थायी स्मृति हाती है। मैं अब भी अपनी पहली पहली पुस्तक के विमोचन को याद करता हूं। मैं उस संध्या को कभी नहीं भूल सकता। शादी की सालगिरह और पुस्तक के विमोचन की तिथियाँ को एक लेखक कभी नहीं भूल सकता है। एक पुस्तक लेखक के व्यक्तित्व को तब भी जीवित रखता है जब वह जीवित नहीं रहता है.’

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क्या है ‘फसल-ए- खयाल’
फसल-ए-ख्याल कविताओं का संग्रह है जो फैयाज रश्क की काव्य यात्रा को दर्शाता है. यह गजल, नज्म, हम्द, नाट, दोहा, श्रद्धांजलि और दुआ का एक संकलन है. पुस्तक समाज में मानव संबंध, दर्द, साहस, राजनीति और असहिष्णुता की बात करती है. फैयाज रश्क ने सरल और स्पष्ट अर्थ वाले उर्दू शब्दों में भावनाओं के विभिन्न सार को समेटा है. अश्क ने 1969 में इस क्षेत्र में कई नवोदित लेखकों के संरक्षक प्रो. मेहदी अली द्वारा आयोजित एक साप्ताहिक आयोजित ‘बज़्म- ए- अदब’ में उन्होंने अपनी पहली कविता पढ़ी. फैयाज रश्क की कृतियों को प्रमुख उर्दू साहित्यिक जर्नल और पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है.

साहित्य में उनके जुनून ने उन्हें 1994 में उनके अपने ‘फोल्डर (लीफलेट) गजल’ प्रकाशित करने के लिए प्रेरित किया और इसे 19वें संस्करण तक प्रकाशित किया गया. वह उर्दू फोरम के एक सक्रिय सदस्य हैं जो मुंगेर में साहित्य प्रेमियों का मिश्रित समूह है और घरों में तथा सार्वजनिक स्थलों पर कविता सत्र का आयोजन करके उर्दू अदब को बढ़ावा देने की दिशा में काम करता है। भारतीय रेलवे में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने बीस साल तक रेलवे कवि सम्मेलन आयोजित करने में अहम भूमिका निभाई.

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