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इंसानी रिश्तों की कहानियां हैं आलोक श्रीवास्तव के कहानी संग्रह ‘आफरीन’ में

इंसानी रिश्तों के दर्द को बयां करता कहानी संग्रह ‘आफ़रीन’ मन को छू गया. अज़ीज़ दोस्त और युवा लेखक आलोक श्रीवास्तव ‘आफ़रीन’ के ज़रिए अल्लाह के पैगाम-ए-मुहब्बत को लुटाते नज़र आते हैं. यूं आलोक ने भोगे हुए यथार्थ को कुछ इस तरह पेश किया है कि पाठक ख़ुद को ‘आफ़रीन’ के पात्रों से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं. आलोक अच्छे ग़ज़लगो हैं. इसी रूप में मशहूर भी हैं. इसीलिए उनकी कहानियों की भाषा में काव्य जैसी लयात्मकता है.

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कहानी संग्रह आफरीन
कहानी संग्रह आफरीन

इंसानी रिश्तों के दर्द को बयां करता कहानी संग्रह ‘आफ़रीन’ मन को छू गया. अज़ीज़ दोस्त और युवा लेखक आलोक श्रीवास्तव ‘आफ़रीन’ के ज़रिए अल्लाह के पैगाम-ए-मुहब्बत को लुटाते नज़र आते हैं. यूं आलोक ने भोगे हुए यथार्थ को कुछ इस तरह पेश किया है कि पाठक ख़ुद को ‘आफ़रीन’ के पात्रों से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं. आलोक अच्छे ग़ज़लगो हैं. इसी रूप में मशहूर भी हैं. इसीलिए उनकी कहानियों की भाषा में काव्य जैसी लयात्मकता है.

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यह कहानियां दिली-जज़्बात का उजला आईना हैं. आलोक अपनी मां की यादों को शिद्दत से जीते हैं. इसीलिए वो नारी मन के बहुत क़रीब हैं. उनकी कहानी ‘सलाख’ ख़ुद्दार स्त्रियों के अस्तित्व को नकारती पुरुषों की मानसिकता को उजागर करती है. तो ‘फ़लसफ़ा’ में घर की तहज़ीब को मुश्किल वक़्त में भी संजोए रखने का शब्दचित्र है. जात-पात से दूर इंसानियत की गर्माहट को आलोक ख़ूब महसूस कराते हैं. संग्रह की ‘अम्मा’ कहानी बहुत मार्मिक है. घर के बुज़ुर्ग किस तरह अपने तजुर्बे से झीने रिश्तों को एक सूत्र में पिरोए रहते हैं. वहीं उनके न रहने पर रिश्तों के तार-तार होने पर दिल का दर्द आलोक एक शेर में समेट देते हैं –

घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे,
चुपके-चुपके कर देती है, जाने कब तुरपाई अम्मा.

कहानी ‘आफ़रीन’ सोचने को विवश करती है. रिश्तों के सोए दर्द को फिर उजागर कर देती है. कहानी का एक ही वाक्य सिहरन पैदा कर देता है - “ऊपर वाले से कहो न कि वो अगले जन्म में और आगे के सारे जन्मों के लिए तुम्हें मेरे नाम लिख दें.’’ कितना दर्द है. ये प्यार की कैसी पराकाष्ठा है जो न जाने कितनों के दबे घाव को हरा कर देती है. यही विजय है कहानीकार की कि पाठक ख़ुद को कहानी के पात्र में जीवंत पाता है.

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प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह ने ‘आफ़रीन’ की भूमिका बड़े मन से लिखी है. यह इस बात का प्रमाण है कि आलोक के लेखन पर उनके समकालीनों की ही नहीं, उनकी अग्रज पीढ़ी की भी गहरी नज़र है. रिश्तों की समझ, मानवीय संवेदनाओं की अद्भुत परख और हृदय में उनका संप्रेषण निश्चित रूप से आलोक को बहुत ख़ास बनाते हैं. कहानी के सार को अपने कलेवर में संजोए, हर कहानी के प्रारंभ से पहले, शेर लिखने की आलोक की कला पाठकों को बहुत पसंद आएगी. दिल को छूने वाली चीज़ ही दिल के क़रीब रह पाती है, यक़ीनन ‘आफ़रीन’ न सिर्फ़ पाठकों के दिल को छूएगी बल्कि उसके क़रीब भी रहेगी.

किताबः आफ़रीन (कहानी संग्रह) 2013
लेखकः आलोक श्रीवास्तव
प्रकाशकः राजकमल प्रकाशन, दिल्ली
मूल्य: 195.00

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