किताब: एल्गा गोरस
भाषा: हिंदी और अंग्रेजी दोनों में उपलब्ध
लेखक: कुमार पंकज
प्रकाशक: क्विल्स इंक
कीमत: 350 रुपये
पन्ने: 578
बाबू देवकी नंदन खत्री की कालजयी रचना चंद्रकांता ने रहस्य और तिलिस्म की एक ऐसी दुनिया गढ़ी जिसका आज भी कोई सानी नहीं है. लेकिन हैरानी की बात है कि उसके बाद न तो उस स्तर की कोई किताब आई और न ही किसी ने उस तरह का कोई प्रयास किया. नतीजतन इस तरह की किताबें पढ़ने के इच्छुक पाठकों को निराश होना पड़ा.
लेकिन अब एक युवा लेखक ने इस ओर ध्यान देते हए एक नई रचना प्रस्तुत की है जिसका नाम उन्होंने रखा एल्गा-गोरस रखा है. यह रहस्य-रोमांच के साथ-साथ तिलिस्म की एक अद्भुत दुनिया गढ़ती है. इसके पात्र विचित्र हैं और हर ओर तिलिस्म का जाल बिखरा पड़ा है. और इसलिए लेखक कुमार पंकज ने इसे स्याह मिथकों की रहस्य गाथा कहा है. यह सच भी है क्योंकि इसमें तमाम घटनाएं और पात्र रहस्य के आवरण से ढंके हैं. लेखक इस किताब के माध्यम से हमें रहस्यमयी ताकतों और पुरातन प्राणियों के एक करिश्माई जगत में ले जाता है जो बौनों और दानवों की हैरतअंगेज दुनिया है.
यह किताब एक बूढे़ फकीर और तीन नौजवानों के इर्द-गिर्द घूमती है जो एक रोमांचक अभियान में रहस्यमय जगहों, जंगलों, रेगिस्तानों, रहस्मय प्राणियों की बस्तियों में जाते हैं और भीषण युद्ध में हिस्सा लेते हैं. अजीबोगरीब प्राणियों का जबर्दस्त मुकाबला और रहस्यमय घटनाएं इस किताब के मूल में है. कैसे वे तीन उस पवित्र पुस्तक एल्गा-गोरस को जो मोम की हजार चोकोर पट्टियों पर उकेरी गई थी, जान हथेली पर रखकर तलाश कर अपने गांव में वापस लाते हैं. इस दौरान उनेक अभियानों को लेखक ने बहुत अच्छी तरह सहेजा है.
लेखक ने इस उपन्यास में सैकड़ों नए शब्दों का इस्तेमाल किया है. भाषा पर उसकी पकड़ और उपमाओं का इस्तेमाल बेहतरीन है. उसने शब्दों के चयन और इस्तेमाल में बला की प्रतिभा दिखाई है. इस तरह के उपन्यास में पाठक की दिलचस्पी बनाए रखने के लिए जिस तरह की भाषा चाहिए, वह लेखक के पास है. इस किताब में समस्या एक ही है कि पाठक के सामने इतने चरित्र हैं कि वह उन्हें याद रख पाएगा या नहीं, यह कहना कठिन है.
इस किताब की खासियत यह है कि यह एक नई अंधेरी और ग़जब की रहस्यमयी दुनिया में हमें ले जाती है जहां अगले पल क्या होगा, किसी को पता नहीं. अनजान प्राणियों और रहस्यमय जीवों के बारे में लेखक बड़ी बेफिक्री से बताता जाता है जैसे कि वह खुद उस दुनिया का हिस्सा हो. यह किताब उन्हें जरूर पसंद आएगी जो तिलिस्म और रहस्य की दुनिया में दिलचस्पी रखते हैं.
लेखक ने अपना जीवन साहित्य और काव्यपाठ को समर्पित कर दिया है. उनकी कविताएं और गीत रेडियो-टीवी में प्रसारित होते रहे हैं. प्रेमगीतों उनका एक एल्बम "तुम छत पर चले आओ" रिलीज हो चुका है. कुमार पंकज ने इसमें काफी मेहनत की है जो साफ झलकती है.