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झंझावातों से जूझते परिवार में बालमन को टटोलती है 'फैमिली लाइफ'

अखिल शर्मा भारतीय मूल के लेखक हैं. दिल्ली में जन्मे और अमेरिका जाकर बस गए. उनका पहला उपन्यास 'एन ओबिडिएंट फादर' सन 2000 में आया था.

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किताब: फैमिली लाइफ
लेखक: अखिल शर्मा
प्रकाशक: पेंगुइन इंडिया
पृष्ठ: 228
मूल्य: 499 (हार्ड कवर)

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अखिल शर्मा भारतीय मूल के लेखक हैं. दिल्ली में जन्मे और अमेरिका जाकर बस गए. उनका पहला उपन्यास 'एन ओबिडिएंट फादर' सन 2000 में आया था. 2014 में आए उनके उपन्यास 'फैमिली लाइफ' को द न्यूयॉर्क टाइम्स बुक रिव्यू ने 2014 की शीर्ष दस किताबों की सूची में शामिल किया. अखिल को इसी किताब के लिए 2015 का फोलियो पुरस्कार भी मिला है.

मिश्रा परिवार दिल्ली में रहा करता था. ये वो दौर था. जब इमरजेंसी के बाद इस आम भारतीयों का सरकार से मोहभंग हो जाता है. इस मोहभंग को अखिल ने अजय की मां के मुंह से कहलवाया है 'वो औरत इंदिरा हमें खा जाएगी.'

मिश्रा परिवार दिल्ली से जाकर अमेरिका के क्वींस में बस जाता है. अभी वो वहां ढंग से जम भी नहीं पाते कि अजय के बड़े भाई बिरजू का एक्सीडेंट हो जाता है और वो कोमा में चला जाता है. बाकी कहानी अजय के अकेलेपन, उसकी धार्मिक हो चली मां और शराबी पिता के बारे में है.

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अजय अपराधबोध से घिर जाता है. स्कूल में अपने भाई के बारे में झूठ बोल सहानुभूति बटोरने की कोशिश करता है. पेड़ों से बातें करता है. काल्पनिक भगवान बनाता है. कम्बल में छुपकर अपने भगवान से बातें करता है. एक जगह अजय कहता है. 'भगवान क्लार्क केंट की तरह दिखते हैं. वो भूरा कार्डिगन और स्लैक्स पहनते हैं. एक्सीडेंट के बाद पहले मैंने जब उनसे बात शुरू की तो वो कृष्ण की तरह दिखते थे. पर बेवकूफाना लगता है कि आप ऐसे किसी के साथ ब्रेन डैमेज की बात करो जो नीला है, बंसी रखता है और उसके सिर पर मोर का पंख लगा रहता है.'

अखिल शर्मा ये दिखाने में पूरी तरह सफल हुए हैं कि एक दुर्घटना का घर के बच्चे पर कैसा असर पड़ता है. कुल जमा किताब ऑटोबायोग्राफिकल है, जो त्रासदी झेल रहे एक परिवार के हर पहलू को दिखाती है.

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