किताबः कहानी शाहरुख खान की (जीवनी)
लेखकः मुश्ताक शेख
अनुवादकः प्रणय कुमार
प्रकाशकः प्रभात प्रकाशन
मूल्यः 200 रुपये (पेपर बैक)
बॉलीवुड के 'किंग खान' शाहरुख नवंबर 2013 में पूरे 48 साल के हो गए. इस तरह उन्होंने अपने जीवन में अब तक 17 हजार 500 सौ से अधिक दिन बिताए हैं और यह कुल 4 लाख 20 हजार 500 से अधिक घंटों का समय है. अब यदि इनमें से प्रति दिन चार घंटे घटा दिए जाए जो कि शाहरुख के सोने का समय है, जैसा कि वह कहते आए हैं तो भी लगभग 3 लाख 50 हजार से अधिक घंटे उन्होंने जागते हुए या कुछ करते हुए बिताए हैं. मुश्ताक शेख ने 2006 में जब 'स्टिल रीडिंग खान' लिखी, (हिंदी अनुवाद 'कहानी शाहरुख खान की' 2012 में प्रकाशित) तब भी यह आंकड़ा इससे थोड़ा कम लेकिन ऐसा ही कुछ होगा. तो क्या शाहरुख जो एक नाम और शख्स से कहीं ज्यादा एक ब्रांड बन गए हैं के जीवन के ढाई से तीन लाख घंटों को एक पुस्तक की शक्ल में तीन सौ पन्नों में सहेज पाना आसान है?
दूसरी बात यह कि शाहरुख खान भारतीय सिनेमा के मशहूर नायक हैं, ऐसे में हफ्ते में सातों दिन किन्ही न किन्ही कारणों से वह खबरों में होते हैं. यानी उनके फैंस को अपने स्टार की निजी जिंदगी से लेकर व्यावसायिक जीवन तक की कोई न कोई खबर हर रोज मिलती है. दरअसल, मुश्ताख शेख जैसे अनुभवी पत्रकार और लेखक के लिए यहीं से किंग खान की जीवनी लिखने का संघर्ष शुरू होता है. क्योंकि अब उन्हें कुछ ऐसा लिखना है जो अब तक शाहरुख के बारे में नहीं लिखा गया हो और वह सच हो.
मुश्ताक का दावा
भले ही 'कहानी शाहरुख खान की' को आप उनकी जीवनी का दर्जा दें, लेकिन मुश्ताक इसे एक सफरनामा करार देते हैं. मुश्ताक के अनुसार यह किताब उनके और शाहरुख के बीच बिताए गए समय का लेखा-जोखा है और इसमें वह सब है जिससे उन्होंने शाहरुख को समझने और जानने की कोशिश की. हालांकि मुश्ताक स्पष्ट करते हैं कि शाहरुख का व्यक्तित्व ऐसा है कि वे उन्हें अब तक समझ नहीं पाए हैं.
बहरहाल, अपनी इस किताब के बारे में मुश्ताक शेख दावा करते हैं कि यदि आप शाहरुख के फैन हैं तो यह किताब आपके लिए किसी खजाने जैसी है. इसे सहेज कर लाइब्रेरी में रख लें. मुश्ताक इस मायने में बधाई के पात्र हैं कि जो बात वह ताल ठोंककर कह रहे हैं, उसे उन्होंने बखूबी निभाया है. यह किताब शाहरुख के जीवन को पेशावर के खवानी बाजार से लेकर मुंबई के मन्नत तक के सफर को किसी रत्न जडि़त माले की तरह पिरोती है.
क्या खास है किताब में
जहां तक शाहरुख खान के जीवन की बात है तो अमूमन उनके सभी फैंस अपने चहेते अभिनेता के संघर्ष के दिनों से लेकर सफलता तक की कहानी से कमोबेश परिचित होंगे. फिर वह थिएटर से छोटा पर्दा हो या शाहरुख का खुद बड़े पर्दे से बड़ा होना. कॉलेज के दिनों में उनका फुटबॉल, क्रिकेट और हॉकी के प्रति लगाव हो या गौरी के साथ प्रेम और फिर विवाह के लिए तमाम अड़चनों से पार पाने की कथा.
वहीं, जब हम इस किताब पर आते हैं तो बतौर फैन मुझे शाहरुख के विचार और जिंदगी को जीने के उनके नजरिए की बेहतर समझ होती है. मैं जान पाता हूं कि शाहरुख अपने पिता के लिए कितना आदर और सम्मान रखते हैं. क्यों उनके पिता उनके आइडल हैं. शाहरुख का अपनी मां के साथ रिश्ता और लगाव कितना गहरा है. शाहरुख कैसे और क्यों एक अभिनेता, एक बेटा, एक पति, एक पिता और एक सहकर्मी के तौर पर सबसे खास हैं. कैसे वह एक आम चेहरा बन कर मिलने वालों के साथ ऐसे घुलमिल जाते हैं, जैसे वे उनके परिवार से ही हों. और तो और आखिर क्यों वे अपने घर आए किसी मेहमान को जल्दी भगाना चाहते हैं.
मुश्ताक कहते हैं कि यही शाहरुख हैं. पल भर में खास और पल भर में आपसे दूर. उन्हें समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. यही शाहरुख की कला भी है और यह उन्होंने विकसित नहीं की. और शायद कोई कर भी नहीं सकता.
कुछ रोचक किस्से
1 आपने शाहरुख के स्टारडम की दास्तान तो सुनी होगी, लेकिन कैसे हर फिल्म के साथ किसी अभिनेता का जुड़ाव हो जाता है यह किस्सा या किस्से का सच उसी के मुंह से सुनना रोचक है. किसी फिल्म का चुनाव करने के पीछे की कहानी, किसी फिल्म को ना करने की इच्छा के बावजूद उससे जुड़ जाना. अपने साथी कलाकारों के बारे में राय बनाना और राय बदलना. यह सब मुश्ताक की किताब के रोचक पहलू हैं.
शाहरुख और गौरी ने प्रेम विवाह किया था यह तो सभी जानते होंगे, लेकिन एक किस्सा वह भी है, जब शाहरुख गौरी के भाई से बुरी तरह पिटे थे. हालांकि इसकी वजह गौरी नहीं कुछ और थी.
2 आज शाहरुख एक आलीशान घर में रहते हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब कार्टर रोड पर एक फ्लैट खरीदने में शाहरुख के पसीने छूट गए थे. खास बात तो यह है कि इसके पीछे पैसा ही एकमात्र वजह नहीं थी. मुंबई सपनों का शहर है, लेकिन वे कौन लोग थे जो शाहरुख के लिए फरिश्ता बनकर आए. कैसे शाहरुख से उनकी मुलाकात हुई. किताब में एक जगह शाहरुख बताते हैं कि वह आमिर खान और सलमान खान की छोड़ी गई फिल्म का प्रस्ताव तुरंत स्वीकार कर लेते हैं. इसके पीछे कोई प्रतिस्पर्धा नहीं बल्कि रोचक किस्से हैं जिसे पढ़ना शाहरुख के व्यक्तित्व को पाठक की नजरों में कहीं और ले जाता है.
कुछ इंटरव्यू जैसा भी
मुश्ताक पेशे से पत्रकार रहे हैं. शाहरुख से उनकी मित्रता पुरानी है. जाहिर है ऐसे में दोनों के बीच कई तरह के सवाल जवाब भी हुए होंगे. बातचीत के इस सिलसिले को किताब में खास तौर पर शामिल किया गया है. यह पठनीय है और शाहरुख के फैंस के लिए इस मायने में महत्वपूर्ण है कि यह दो दोस्तों की विभिन्न विषयों को लेकर गुफ्तगू है, जिसमें विचार हैं, सवाल हैं, जवाब हैं लेकिन कोई लाग-लपेट नहीं है.
हिंदी में अनुवाद
मुश्ताक ने अंग्रेजी में 'स्टिल रीडिंग खान' के नाम से किताब लिखी जो बेस्ट सेलर साबित हुई. फिर इसके दूसरे संस्करण में किताब में कुछ नए अध्याय जोड़कर उसे 'शाह रुख कैन' नाम दिया गया. अब प्रणय कुमार इसका हिंदी अनुवाद 'कहानी शाहरुख खान की' लेकर आए हैं. अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद में जितने सरल अंदाज में किताब के नाम को देसी अवतार दिया गया है. भाषा की यही सहजता किताब के पहले पन्ने से लेकर आखिरी पन्ने तक बनी रहती हैं. हालांकि कहीं-कहीं प्रणय हिंदी के थोड़े जटिल शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कुल मिलाकर अनुवाद की भाषा में भी उन्होंने लेखन की नवीनता को बनाए रखा है.
क्यों पढ़ें
अगर आप शाहरुख खान के फैन हैं. अगर आप हिंदी सिनेमा के प्रशंसक हैं. अगर आप 90 के दशक के सबसे बड़े स्टार और रोमांस किंग को जानना चाहते हैं. अगर आप शाहरुख की हाजिर जवाबी को पसंद करते हैं. अगर आपको सफल लोगों की कहानी पढ़ना पसंद है. अगर आपकी अंग्रेजी थोड़ी लचर है या फिर हिंदी को ज्यादा पसंद करते हैं और आखिकार इसलिए कि यह कहानी 'शाह रुख खान' की है.
क्यों ना पढ़ें
यूं तो कोई खास वजह नहीं है. फिर भी अगर आपको पढ़ने का शौक ना हो और शाहरुख से ज्यादा फिल्मी दुनिया में उनके विरोधी खेमे के अभिनेता को पसंद करते हैं तो आपके पास सॉलिड वजह है.