किताबः नार्निया की कहानियां (7 किताबें)
प्रकाशकः हार्पर हिंदी
लेखकः सीएस ल्यूईस
कीमतः हर किताब की 95 रुपये
एक दिन बदहाली के दिनों में अपने अंकल के घर रहने वाले लड़के डिगोरी की मुलाकात पड़ोसी लड़की पॉली से होती है. दोनों मिलकर घर के पीछे के हिस्सों में बनी पाइपनुमा गली में चले जाते हैं. वह पहुंचते हैं डिगोरी के अंकल के गुप्त कमरे में. यहां अंकल के जादू और दो अंगूठियों का शिकार हो वह एक अनजान दुनिया में पहुंच जाते हैं. यहां से फिर वह एक तालाब में डुबकी लगाते हैं और एक जादूगरनी की काली दुनिया में पहुंच जाते हैं. वहां से किसी तरह बचते हैं और अपनी दुनिया में लौटते हैं. मगर साथ में वह जादूगरनी भी लौट आती है.
इसके साथ ही मुसीबतों का दौर शुरू हो जाता है. अंगूठियों के सहारे ये दोनों बच्चे उस जादूगरनी को फिर उसकी दुनिया में धकेलने की कोशिश करते हैं. मगर इस बार वह एक और नई दुनिया में बच जाते हैं. यहां उनकी मुलाकात होती है एक शेर से. उसका नाम है आस्लान. ये शेर दिव्य है. हाथी जैसा बड़ा शरीर. सोने जैसे चमकीले बाल. और इंसानों की आवाज. ये सर्वशक्तिमान शेर आस्लान एक नई दुनिया बसाता है. इसमें जानवर बोलते हैं. पेड़ बोलते हैं. और सभी लोग आपस में बराबरी का व्यवहार करते हैं. इस देश का नाम रखा जाता है नार्निया.
नार्निया की दुनिया में आपका स्वागत है. ये जादू की, शेर की, बोलते जानवरों की, अनजान खतरों की, कुछ इनसानी बच्चों की, राजाओं की, प्रजा की, साहसी यात्राओं की, काले खतरों की दुनिया है. कुल सात हिस्सों या कहें कि किताबों में बंटी. इसके शीर्षक इस तरह हैं-
1. आस्लान का गीत
2. शेर बब्बर, जादूगरनी और वो अल्मारी
3. आर्कनलैंड में शास्ता
4. राजकुमार कैस्पियन
5. भोर के राही का सफर
6. चांदी की कुर्सी
7. आखिरी युद्ध
इन शानदार किताबों को लिखा है क्लाईव स्टेपल्स लुइस ने. उनका जन्म इंग्लैंड में 1898 में हुआ था. ल्यूइस इंकलिंग्स नाम के एक क्लब का हिस्सा थे. इस क्लब में उनके साथी थे टॉलकियन. ये वही टॉलकियन हैं, जिन्होंने लॉर्ड ऑफ द रिंग्स सीरीज की किताबें लिखीं. इंकलिंग्स क्लब के मेंबर एक पब में मिलते और परियों की कहानियों सरीखी प्राचीन दंतकथाओं पर बातें करते. उसी सिलसिले में ये किताबें लिखी गईं. इनका कॉमन टाइटल था क्रॉनिकल्स ऑफ नार्निया. इनमें से दूसरी और तीसरी किताबों पर फिल्में भी बन चुकी हैं. सच कहा जाए तो हिंदुस्तान और दूसरे गैर इंग्लिश मुल्कों में नार्निया की कहानियां इन फिल्मों के बाद ही ज्यादा मकबूल हुईं.
नार्निया की ये सात किताबें हर बार नए किरदारों और नए सफर के साथ नई कहानी सुनाती हैं. इन सबमें कॉमन हैं कुछ इंसान, जो बारी बारी से इस दुनिया में पहुंचते हैं. पहले डिगोरी और पॉली पहुंचते हैं. वे जब आखिर में लौटते हैं तो एक अमृतमयी सेब के साथ लौटते हैं. इससे डिगोरी की बीमार मां स्वस्थ हो जाती है. सेब का बीज एक बगीचा में डाल दिया जाता है. पेड़ पनपता है जो सैकड़ों साल पनपता और हरियाता है. फिर आंधी में गिरता है, कटता है और एक अलमारी बनती है. अब ये अलमारी आस्लान की दुनिया में जाने का रास्ता है. मगर कभी कभी ही. और यहां की दुनिया के मुकाबले वहां का वक्त भी ज्यादा रफ्तार से भागता है. इस वक्त में कभी एडमंड, पीटर, सूजी और लूसी पहुंचते हैं. तो कभी यूस्टस और जिल.
पहली किताब के बारे में आपको ऊपर बताया. दूसरी किताब में चार बच्चे नार्निया की दुनिया को बर्फ काल और जादूगरनी से बचाते हैं. तीसरी में एक नाविक का बेटा अपनी असल पहचान हासिल करता है और अपने राजा पिता तक पहुंचता है. चौथे में वह अपने खोए हुए साम्राज्य और दगाबाज पड़ोसी राज्यों को सबक सिखाता है. पांचवे में वह राजकुमार कैस्पियन अपने पिता के सात बिछड़े साथियों की खोज के लिए दुनिया के अंत तक पहुंच जाता है.
छठवीं किताब में इंसानी बच्चे एक हरी नागिन उर्फ जादूगरनी से राजकुमार को बचाकर वापस लाते हैं. इस दौरान वह जमीन के नीचे की दुनिया का हाल जानते हैं. आखिरी किताब में एक महायुद्ध होता है और फिर दुनिया खत्म हो जाती है. आस्लान की दुनिया. मगर ये उसकी बनाई दुनिया है. उसकी असल दुनिया तो हमेशा हमेशा रौशन रहती है.
ये किताबें बेहद मजेदार हैं. इन्हें सिर्फ बच्चे ही नहीं, बड़े भी पढ़ सकते हैं. इनके जरिए हम दोस्तों पर भरोसा, साहस, नई चीजों को जानने का लगाव और समता का मानवीय मूल्य सीखते हैं. अगर हिंदी अनुवाद की बात करें तो वह औसत है. इसमें कठिन शब्द तो नहीं हैं, मगर हैरी पॉटर सीरीज जैसा शानदार प्रवाह भी नहीं है. किताबों में प्रूफ की गलतियों की भरमार है. इतने सब के बावजूद नार्निया की इन किताबों को एक बार जरूर पढ़ा जाना चाहिए. क्योंकि किस्सों की किताबें पढ़ना एक जादू से दो चार होने जैसा होता है. ये आपकी कल्पना के जमीन पर हर बार कुछ दमदार बीज रोपता है. आपको एक बार फिर से किसी अकल्पनीय पर यकीन करना सिखाता है.