किताब: अ रोमांस विद केऑस (फिक्शन)
लेखक: निशांत कौशिक
प्रकाशक: रूपा पब्लिकेशन
कीमत: 140 रुपये (पेपरबैक)
निशांत कौशिक की कहानी 'अ रोमांस विद केऑस' केऑस ट्रायलॉजी की पहली कहानी है. हर कहानी की तरह इसमें भी एक नायक है. लोगों की भीड़ में उसका अकेलापन है. अनिश्चितताओं से संघर्ष है और एक घुटन है कि जाने आगे क्या होने वाला है.
'जिंदगी कोई सुपरमार्केट नहीं है, जहां साइनबोर्ड लगे हों और आपको राह दिखाएं.' नकुल कपूर के जीवन रूपी रोमांच से आप यही निष्कर्ष निकालते हैं. नकुल उम्र के तीसरे दशक के दरमियान है. वह मुंबई स्थित एक आईटी कंपनी 'बाइटस्फेयर' में एग्जीक्यूटिव है. उसकी तरह कंपनी में और भी कई हजार लोग काम करते हैं. सभी इस जुगत में हैं कि वह अपने बॉस पर अच्छा प्रभाव बना सके ताकि उन्हें बोनस प्वॉइंट्स मिले या उनका अप्रेजल सबसे अच्छा हो. हालांकि यह सब तब है जब हर कोई लंबे अरसे से अपने काम से असंतुष्ट है. खासकर इसलिए कि उनका बॉस चिरायु 'चीपो' चौधरी उन लोगों में से है, जो दूसरों के काम को अपना बताता है और आपकी मेहनत की कभी तारीफ नहीं करता.
यकीनन नकुल भी खुद को सफलता की इस दौड़ का हिस्सा मानता है. विशाल और लेखा बाइटस्फेयर में उसके दो साथी हैं, जो दुविधा की घड़ी में उसका साथ देते हैं. इन सब के बीच काव्या है. काव्या, उसका प्यार. वह नकुल को गुपचुप ढंग से ही सही, लेकिन प्रेरित करती है कि वह जिम जाए और अपना वजन कम करे. वह यह भी चाहती है कि नकुल उसके लिए महंगे और ब्रांडेड उपहार लेकर आए.
काव्या नकुल से कहती है कि वह नई और बेहतर नौकरी ढूंढे़ ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो. जब वह ऑफिस आता है तो बाइटस्फेयर में उसके दोस्त उसे साहस और सांत्वना देते हैं, लेकिन वे खुद भी अपने भविष्य को लेकर मुरझाए से हैं.
यह कहानी आपको अपनी से लग सकती है. यह लेखक निशांत कौशिक का विश्वास है. उनका मानना है कि किताब के पन्नों में हर किसी को अपनी कहानी दिखेगी, फिर चाहे वह आईटी कंपनी में हो या नहीं हो. जिन परिस्थितियों में नकुल है, कोई भी खुद को उसके बराबर ही असंतुष्ट समझेगा.
खैर, हम कहानी में आगे बढ़ते हैं और पाते हैं कि नकुल नौकरी बदल पाने में असफल साबित होता है. उसे ऑफिस के काम से विदेश जाने का सौभाग्य मिलता है, लेकिन दुर्भाग्य से वापस बुला लिया जाता है. काव्या उसे छोड़ देती है और यह उसके घाव पर नमक छिड़कने का काम करता है. कहानी आगे बढ़ती है, लेकिन क्या नकुल का जीवन फिर से सही राह पर आता है? क्या कोई अपना या अनजाना शख्स उसकी परेशानियों में उसका साथ देता है? क्या वाकई उसे जीवन में कोई साइनबोर्ड मिलता है, जिस पर सही राह की जानकारी हो? या फिर उसकी जिंदगी यूं ही बदस्तूर चलती रहती है, बहती रहती है?
'रोमांस विद केऑस' नकुल के इसी कोलाहल रूपी रोमांच की कहानी है. यह वह यात्रा है जो जीवन की सबसे जरूरी शिक्षा से रूबरू करवाती है. कहानी में एक रफ्तार है और यह आपको थकने नहीं देती. नकुल के जीवन के अनुभव और परेशानियों से जूझने की दास्तान आपको रोमांचित करती है. नकुल की पंजाबी मां से बातचीत, जो उसकी शादी के लिए परेशान है या फिर उसके रूममेट के विचारों को जानना 'बाइटस्फेयर' में काम के दबाव और परेशानियों के बीच सुखद अहसास लेकर आता है.
हालांकि कई स्तरों पर कहानी थोड़ी धीमी होती है, लेकिन कौशिक अपनी लेखन कला से पाठक को फिर से रोमांचित कर देते हैं. कहानी में कई ट्विस्ट हैं और यह मजेदार हैं. कहानी कहने का अंदाज साधारण है, जिससे इसे समझने में आसानी होती है. 'रोमांस विद केऑस' जीवन के उस सच से सामना करवाती है, जहां ऑफिस में दोस्तों की दोस्ती आगे बढ़ने के क्रम में दगा दे जाती है. अनसुलझे परिस्थितियों को सुलझाने की यह दास्तान आपको पसंद आएगी और इसे कम से कम एक बार पढ़ना हितकारी रहेगा.