बुक: द अमेरिकन्स
लेखक: चित्रा वीराराघवन
पब्लिशर: हॉर्पर कॉलिन्स
पेज: 287
कीमत: 499 रुपये
बुक टाइप: हार्डकवर
एक सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर सरकार द्वारा खुद को वापस भेजने की साजिश को उजागर करने की कोशिश करता है. एक नौ साल का लड़का एक स्पेशल दुनिया की तुलना में अपनी समझ बनाने की कोशिश करता है. एक महिला जो इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि जिंदगी
रोमांटिक नॉवेल की तरह नहीं होती है. एक किशोर जो अपने घर छोड़कर चला जाता है. एक गृहिणी अपने अमेरिकन सपने से जाग
जाती है. एक कॉलेज छात्र अपनी जिंदगी को गाने की तरह जीता है. एक गीतकार पर हीरो बनने के लिए दबाव डाला जाता है. एक
डॉक्टर जो अपनी ही बीमारी का इलाज करता है. एक आईटी इंजीनियर की पत्नी के साथ नहीं बन पाती है. एक रिटायर्ड टीचर जो
विदेशी भूमि में अग्रणी बिजनेसमैन बन जाता है. और एक महिला तारा इन सभी किरदारों से मिलने के बाद नई दुनिया गढ़ती है...जिसमें
आप 'द अमेरिकन्स' से मिल पाते हैं.
किताबों की लेखिका तारा अमेरिका में अपनी बहन और उसके परिवार से मिलने जाती है. तारा के लिए यह एक पसंदीदा यात्रा होने की बजाय बहन के घर पर मौजूद न रहने पर उसके बच्चों की देखभाल के लिए जाने वाली यात्रा ज्यादा थी. प्लेन में तारा की मुलाकात मैथ्स के रिटायर्ड स्कूल टीचर सीएल नारायन से होती है. नारायन अपनी विवाहित बेटी से मिलने अमेरिका जा रहे होते हैं. किताब में कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, चित्रा नए किरदारों को पाठकों से मिलवाती हैं.
तारा की बहन कमला पेशे से डॉक्टर होती है, जिसके दो बच्चे राहुल और लवि होते हैं. लवि का जन्म और परवरिश अमेरिका में ही हुई थी. लवि की आदतों में संस्कारों की झलक नहीं होती है. 9 साल के राहुल को ऑटिज्म बीमारी से पीड़ित होता है. शांतनु को गाने लिखने का शौक है लेकिन वो एक रेस्टॉरेंट के रिसेप्शन में नौकरी करता है. अखिल अमेरिका में सिस्टम ऑपरेटर की नौकरी करता है. विनोद और मधुलिका विवाहित जोड़े में कुछ भी कॉमन नहीं होता है. विनोद शादी के बाद जिंदगी की खुशियों को गर्लफ्रेंड स्टेफी की आंखों में पाता है जबकि मधुलिका बॉलीवुड के गानों और रोमांटिक नॉवेल्स पढ़कर खुशियां देखती है. एरियल इजराइल की एक प्रशिक्षित नर्स जिसकी शादी अमेरिका के युवक से हो जाती है, जिसके बाद वो गृहिणी बनकर जीवन काटती है. तारा की जिंदगी पर सबसे गहरा प्रभाव उसकी स्टूडेंट दानिशा के आत्महत्या करने का पड़ता है.
किताब के हिस्से में शांतनु अपनी लैदर की नोटबुक सॉन्ग 878 खोलता है, जिसमें यह कहा जाता है कि तुम मेरे साथ रहो, सबसे दूर. 'द अमेरिकन्स' किताब ऐसे लोगों की कहानी है जो एक अलग देश में जाकर बस जाते हैं और अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से लड़ते हैं. किताब का हर किरदार अपनी जिंदगी को अपनी तरह से जी रहा होता है. ये किरदार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अमेरिका में बस तो जाते हैं, लेकिन जिंदगी के दर्द और अकेलेपन को दूर नहीं कर पाते हैं. चित्रा ने किताब के हर किरदार का बखूबी चित्रण किया है. किताब में जब हम आगे बढ़ते हैं तो मुख्य किरदार तारा की जिंदगी के बारे में भी जानने को मिलता है. किताब की भाषा आसान है, हालांकि कुछ शब्दों के अर्थ ढूढ़ने पड़ सकते हैं.
किताब की शुरुआत तारा के बिना मन के अमेरिका दौरे से शुरू होती है. लेकिन तारा जब अपने घर मद्रास लौटती है, तो उसके मन में संतोष का भाव होता है. 'द अमेरिकन्स' एक अच्छी किताब है, जिसे एक बार जरूर पढ़ा जाना चाहिए. पाठकों को शुरुआत में समझने में दिक्कत हो सकती है. किताब बीच में पाठकों को खुद से बेहतर तरीके से जोड़ती है और आखिर में पाठक को एक सोच के साथ छोड़ जाती है. विदेश में बसने को जो लोग एक सपने की तरह देखते हैं, यह किताब निश्चित तौर पर उन लोगों की आंख खोलने का काम करेगी. इसके अलावा यह किताब जिंदगी में रिश्तों की अहमियत को भी बखूबी बयां करती है.