scorecardresearch
 

7वीं के छात्र ने किया चेतन भगत की किताब 'हाफ गर्लफ्रेंड' का रिव्यू

पुणे डीपीएस में कक्षा सात में पढ़ने वाले अमृत रंजन ने चेतन भगत की नई किताब 'हाफ गर्लफ्रेंड' का रिव्यू किया है. यह रिव्यू हमने प्रभात रंजन के साहित्यिक ब्लॉग 'जानकीपुल' से लिया है.

Advertisement
X
Amrit ranjan
Amrit ranjan

पुणे डीपीएस में कक्षा सात में पढ़ने वाले अमृत रंजन ने चेतन भगत की नई किताब 'हाफ गर्लफ्रेंड' का रिव्यू किया है. यह रिव्यू हमने प्रभात रंजन के साहित्यिक ब्लॉग 'जानकीपुल' से लिया है.

Advertisement

यह मेरी पहली चेतन भगत की किताब थी और शायद यह आखिरी भी होगी. चेतन भगत, मैं आपकी बुराई या कुछ, नहीं कर रहा लेकिन इस किताब की कहानी क्या है? एक लड़का था माधव, एक लड़की थी रिया. माधव को दोस्ती से बढ़कर कुछ और चाहिए था. लेकिन रिया बस एक दोस्त बनना चाहती थी. मुझे पूरी किताब पढ़ते हुए लगा कि सर चेतन भगत इस कहानी को बस खींचते जा रहे हैं. कहानी के मसाले में उपन्यास.

मैं जब किताब के बीच में था, तो एक स्थान आया जहां सर चेतन भगत ने अपनी ही तारीफ की है, यह उन्होंने तब किया जब रिया माधव को अंग्रेजी सीखने के गुर बता रही थी. उन्होंने रिया से बुलवाया कि उसे अंग्रेजी की आसान किताबें पढ़नी चाहिए जैसे कि लेखक चेतन भगत की किताबें. मुझे इस बात पर बहुत हंसी आई, खुद की किताब में अपने ढोल. वह अपने नाम की जगह अर्नेस्ट हेमिंग्वे या चार्ल्स डिकैन्स या किसी का नाम ले सकते थे.

Advertisement

मुझे एक बात इस किताब में बहुत बुरी लगी. लड़का अंग्रेजी नहीं जानता, हिन्दी में बात करता है. इस बात में क्या खराबी है? उसके दिल को, उसकी भाषा को, सब वह लड़की बदल देती है. चेतन भगत को हिन्दी की तरफ अपनी नाव की दिशा खींचनी चाहिए थी. हां मैं मानता हूं कि अंग्रेजी लेखक हैं लेकिन फिर भी, भारतीय हैं. जो चेतन भगत के प्रशंसक हैं, माफ कीजिएगा. अब किताब की अच्छी बातों पर आता हूँ. माधव के दोस्त जो उसे सलाह देते हैं वह मुझे बहुत 'सच्ची' लगी. मेरे दोस्त भी मुझे ऐसी ही सलाह देते हैं जिससे मैं हमेशा प्रिंसिपल की ऑफ़िस के सामने खड़ा रहता हूं.

माधव बिहार का एक सीधा-सादा लड़का है जो बस पढ़ने आया था. लेकिन पहले ही दिन उसकी नजर एक खूबसूरत लड़की पर पड़ी और वह उस पर फिदा हो गया. एक दिन उस लड़की को माधव अपने हॉस्टल में ले आया. उसने यह बात अपने दोस्तों को बताई और वे उससे सवाल पूछने लगे कि उसने उस लड़की के साथ क्या-क्या किया. इसी से सारी कहानी शुरू हुई और खत्म उस दिन हुई जब रिया के साथ वह कुछ करना चाहता था और रिया ने मना कर दिया और माधव ने गुस्से में आकर कहा, 'देती है तो दे वरना कट ले.' उस दिन के बाद उनका रिश्ता टूट गया. रिया की शादी जल्दी हो जाती है, न चाहते हुए भी उसे लंदन के रोहन से शादी करनी पड़ती है जो रिया को बहुत सताता है. उधर अकेला माधव बस पढ़ाई करता रह गया.

Advertisement

कहानी का दूसरा हिस्सा माधव के बिहार लौटने का है. अपनी मां के कारण वह बिहार लौटता है. फिर स्कूल में टॉयलेट फैसिलिटी के लिए गेट्स फाउंडेशन को बुलाता है. कहानी में शौचालय पर जोर कुछ ज़्यादा ही दिखता है, पता नहीं क्यों? और उस फंक्शन में बोलने के लिए अंग्रेजी सीखने पटना जाता है. जहां उसका सामना रिया से होता है. माधव की फिर वही कोशिश कि किसी तरह वह रिया को हासिल कर ले. दिल्ली-बिहार के बाद अमेरिका भी कहानी में आता है. आखिर में मुझे तब अच्छा लगा जहां रिया और माधव की शादी हो जाती है और उनका एक बेटा होता है. माधव और रिया उसे बास्केटबॉल खेलना सिखा रहे होते हैं. उनका बेटा बहुत कोशिश करता है और आखिर में हार मान जाता है. लेकिन माधव उसे कहता है कि सफल होते रहने के लिए लगातार कोशिश करना होता है. मुझे एक बात समझ नहीं आई. इस किताब से क्या सीख मिलती है? कोशिश करते रहना, लेकिन माधव ने किस चीज की कोशिश की. इस बात को अपने मन में दोहरा कर देखिए.

Advertisement
Advertisement