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बुक रिव्यू: भोपाल गैसकांड पर 'महाभियोग'

औद्योगिक विकास की जो निर्दय, निर्विवेक विरासत भोपाल गैस कांड के रूप में लगभग तीस साल पहले भोपाल वासियों के ऊपर टूट पड़ी थी, वही इस उपन्यास का मूल विषय है. दरअसल, यह न गैस कांड से शुरू होकर उसके बाद सालों तक इस त्रासदी को लेकर समाज, देश, सामाजिक कार्यकर्ताओं, प्रेस और न्याय व्यवस्था के चर्कव्यूह में जो चला उसकी कहानी है.

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पेश से पत्रकार हैं अंजली देशपांडे
पेश से पत्रकार हैं अंजली देशपांडे

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किताबः महाभियोग

लेखकः अंजली देशपांडे

पेज: 304

प्रकाशकः राजकमल प्रकाशन

कीमतः 225 रुपये

औद्योगिक विकास की जो निर्दय, निर्विवेक विरासत भोपाल गैस कांड के रूप में लगभग तीस साल पहले भोपाल वासियों के ऊपर टूट पड़ी थी, वही इस उपन्यास का मूल विषय है. दरअसल, यह न गैस कांड से शुरू होकर उसके बाद सालों तक इस त्रासदी को लेकर समाज, देश, सामाजिक कार्यकर्ताओं, प्रेस और न्याय व्यवस्था के चर्कव्यूह में जो चला उसकी कहानी है.

नब्बे और उसके बाद जन्मे लोग, बहुत संभव है कि इस घटना के बारे में बहुत मूर्त ढंग से कुछ न सोच पाते हों, उनके लिए यह उपन्यास सिर्फ इसलिए भी जरूरी है कि शायद पहली बार किसी उपन्यास में वे विवरण आए हैं, जो उन्हें उस त्रासदी की भयावहता को महसूस करने में मदद कर सकते हैं. साथ ही उस पूरे वैचारिक, सामाजिक और प्रशासनिक-न्यायिक विमर्श को जानने में भी, जो बरसों चलता रहा.

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लेखिका के बारे में
अंजली देशपांडे पेशे से पत्रकार हैं. वह छात्र आंदोलन से लेकर नारी मुक्ति आंदोलनों से जुड़ी रही हैं. अंजली दिल्ली पत्रकार संघ के लिए ‘26/11' यानी मुंबई पर आतंकी हमले की मीडिया में रिपोर्टिंग पर चर्चित समालोचना की सहलेखिका भी हैं. इन्होंने कई नुक्कड़ नाटक लिखे और उनमें अभिनय भी किया है.

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