भारत सरकार के पूर्व अधिकारी चंद्रमौली राय की नई किताब 'मैं कहां से आया हूं' प्रकाशित हो गई है. वे इससे पहले 'चंद्रमौलिका', ‘परिणाम’, 'मृगतृष्णा' और 'मृत्यु' लिख चुके हैं और ये उनकी पांचवीं किताब है. परिणाम और मृगतृष्णा जहां कहानी संग्रह हैं वहीं मृत्यु में लेखक ने दर्शन पर बात की थी. उनकी ये नई किताब 'मैं कहां से आया हूं' भी दर्शन पर ही है.
मृत्यु में जहां उन्होंने मौत से जुड़े उन तमाम सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की थी जो सदैव से मानव की जिज्ञासा का विषय रहे हैं. मृत्यु में एक तरह से वे इसके उलट जन्म की बात करते हैं. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है ये किताब 'मैं कहां से आया हूं' दरअसल मनुष्य के रूप में जन्म और उस जन्म के उद्देश्य से जुड़े सवालों के जवाब तलाशती है.
किताब में लेखक खुद को अपने भीतर ही तलाशने, आत्मा को देह के भाव से अलग देखने और चेतन और अचेतन मन की सोच और काम करने के तरीके में अंतर पर बात करते हुए जीवन के सही उद्देश्य पर बात करते हैं. वे आत्मा को ईश्वर की बजाय देह से जोड़ने को ही दुखों का मूल कारण बताते हैं और इससे बचने का रास्ता सुझाने का प्रयास भी करते हैं.
किताब का संपादन उमेश सहगल ने किया है. हालांकि संपादन के लिहाज से और कसावट की जरूरत इस किताब को पढ़ते वक्त महसूस की जा सकती है. प्रूफ की गलतियां भी पाठकों का तारतम्य तोड़ती हैं, जिससे बचा जा सकता था. किताब महज 48 पेज की है, जिसे सारगर्भित बनाने का प्रयास किया गया है.
पुस्तक: मैं कहां से आया हूं
लेखक: चंद्रमौली राय
भाषाः हिंदी
प्रकाशक: रिगी प्रकाशन
मूल्य: 200 रुपए
पृष्ठ संख्याः 48