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पुराणों से पशु पक्षियों की रोचक कथाएं

हमारी पौराणिक कहानियों में दुनिया भर के तमाम जानवरों और उनके पैदाइश के अनगिनत किस्से भरे पड़े हैं लेकिन सवाल उठता है कि आखिर उन्हें हमारे वेद-पुराण और महाग्रन्थों के पन्नों के भीतर से निकालकर कौन लाए.इसी तरह के सवालों से उलझने के बाद देवदत्त पटनायक ने अपनी पौराणिक शोध को एक नया अध्याय देने का प्रयास किया और जीव जंतुओं का हमारे जीवन में किस तरह कितना और कैसा महत्व है.

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किताब का कवर
किताब का कवर

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अक्सर ये कहानी सुनी गई है कि गिलहरी की पीठ पर जो धारियां हैं दरअसल वो राम की उंगलियों के निशान हैं. इस बात में कितनी सच्चाई है और इस किवदंती का हमारी पौराणिक कथाओं से क्या रिश्ता है. किसी राजा की राजगद्दी को सिंहासन ही क्यों कहा जाता है. उसके पीछे का किस्सा क्या है.

किसी युद्ध का जंगल के राजा शेर से क्या नाता होता है और इनका संबंध किस ग्रह से माना जाता है और क्यों सीता हरण के बाद जटायू नाम के गिद्ध ने रावण का रास्ता रोकने की कोशिश की थी, इसका पूरा बखान रामायण में मिलता है. उसी जटायू का भाई संपाति भी बताया गया है लेकिन ये कभी किसी से कहते नहीं सुना गया कि संपाति ने अपना जीवन देकर जटायू का जीवन सूरज की तपती किरणों से बचाया था.

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जानवरों से जुड़े ऐसे न जाने कितने किस्से हैं. जिनके बारे में अक्सर कई सवाल हमारे मन को झकझोरते हैं, हमें बेचैन करते हैं, हमारी जिज्ञासा को बढ़ाते हैं और हमारी उत्सुकता को नई ऊंचाई देते हैं कि आखिर उन सवालों के जवाब कहां से मिलेंगे?

हालांकि हमारी पौराणिक कहानियों में दुनिया भर के तमाम जानवरों और उनके पैदाइश के अनगिनत किस्से भरे पड़े हैं लेकिन सवाल उठता है कि आखिर उन्हें हमारे वेद पुराण और महाग्रन्थों के पन्नों के भीतर से निकालकर कौन लाए.

इसी तरह के सवालों से उलझने के बाद देवदत्त पटनायक ने अपनी पौराणिक शोध को एक नया अध्याय देने का प्रयास किया और जीव जंतुओं का हमारे जीवन में किस तरह कितना और कैसा महत्व है. इसका हमारी पौराणिक कथाओं में कैसा चित्रण किया गया है. हमारी आधुनिक जिंदगी में उनकी क्या भूमिका है, इसके बारे में हर तरह के उत्तर देने की कोशिश की है अपनी पशू नामक किताब में.

देवदत्त पटनायक को पौराणिक विषयों का जानकार कहा जाता है. उनके विषय में तो ये भी मशहूर हो चुका है कि अगर किसी पंडित को किसी पौराणिक किस्से में संदेह होता है तो वो भी अपना संदेह दूर करने के लिए देवदत्त पटनायक से ही संपर्क करता है ताकि वो अपने अध्ययन और शोध के आधार पर उस शंका का समाधान कर सकें.

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अपनी इस किताब में देवदत्त पटनायक ने इस बात को वर्गीकृत तरीके से समझाने का भी प्रयास किया है कि जीव जंतुओं को कम से कम पहले तो कितने भागों में विभक्त करना चाहिए. हिन्दू पौराणिक कथाओं में पशुओं के महत्व के हिसाब से ही उनका वर्गीकरण किया और फिर उस वर्गीकरण में शामिल किए गए जीवों से जुड़े पुराने और पौराणिक किस्सों के जरिए उनकी उपयोगिता बताने का प्रयास किया है. देवी देवता, असुर और ऋषियों से जुड़े किस्से वैसे भी रोचकता के मामले में किसी से भी बेहतर साबित होते हैं और अगर उन किस्सों में ऐसी जानकारियों का समावेश होता है तो यकीनी तौर पर पढ़ने वाले को दोहरा लाभ मिलता है.

प्राचीन इतिहास जिसे हम सभी पुराण के नाम से जानते हैं. उनमें ये रहस्योद्धाटन भी होता है कि सभी जानवरों के पिता एक ही थे. यकीनी तौर पर ये बात सुनने में अचम्भा पैदा करती है लेकिन किताब बताती है कि ब्रह्मा के पुत्र कश्यप को ही तमाम जानवरों का पिता कहा जाता है. ये और बात है कि सबकी माताएं अलग अलग थी.

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