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बुक रिव्यूः 'तुम्हारे सपने हुए अपने' एक प्यारी सी लव स्टोरी

सपना हर कोई देखता है. किसी का सपना होता है कुछ बड़ा करने का, समाज को बदलने का और दुनिया के लिए कुछ ऐसा करने का कि आपके जाने के बाद भी लोग आपको याद रखें. लेकिन क्या इन सपनों को पूरा करना इतना आसान है?

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तुम्हारे सपने हुए अपने
तुम्हारे सपने हुए अपने

किताब का नामः तुम्हारे सपने हुए अपने (Your Dreams are Mine Now)
लेखकः रविंदर सिंह
अनुवादः प्रभात रंजन
बुक कवरः पेपर बैक
मूल्यः 150 रुपये
रेटिंगः ***

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सपना हर कोई देखता है. किसी का सपना होता है कुछ बड़ा करने का, समाज को बदलने का और दुनिया के लिए कुछ ऐसा करने का कि आपके जाने के बाद भी लोग आपको याद रखें. लेकिन क्या इन सपनों को पूरा करना इतना आसान है? नहीं, ये इतना आसान नहीं है. लेकिन लेखक रविंदर सिंह ने अपनी नई किताब तुम्हारे सपने हुए अपने में इस मुद्दे को बहुत खूबसूरती से पिरोया है.

तुम्हारे सपने हुए अपने कहानी है रुपाली और अर्जुन की, दोनों के बीच दोस्ती और उनके प्यार की. जिंदगी को लेकर दोनों का नजरिया बिल्कुल अलग है. रुपाली बिहार की राजधानी पटना की लड़की है जिसका दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन होता है. दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन पाना उसका सपना था और उसने इसके लिए कड़ी मेहनत भी की थी. लेकिन रुपाली को क्या पता था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन के बाद से उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल जाएगी.

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अर्जुन दिल्ली का लड़का है और यूथ पॉलिटिक्स में उसका शुरू से इंटरेस्ट है. कॉलेज कैंपस में एक स्कैंडल होता है. जिसके बाद से रुपाली और अर्जुन करीब आते हैं. दोनों के बीच दोस्ती होती है और फिर प्यार. लेकिन प्यार की शुरुआत स्कैंडल के साथ होती है और इसके बाद दोनों दिल्ली यूनिवर्सिटी की राजनीति में उलझते हैं.

रुपाली किस तरह से दिल्ली राजनीति में फंसती है और क्या अर्जुन हर कदम उसका साथ दे पाता है? अगर आप रविंदर सिंह की आई टू हैड ए लव स्टोरी, कैन लव हैप्पन ट्वाइस पढ़ चुके हैं तो इस सरीज में ये भी एक अच्छी लव स्टोरी है.

क्यों पढ़ें: अगर लव स्टोरीज पढ़ना अच्छा लगता है तो इस किताब को जरूर पढ़ें. रविंदर सिंह की किताब है तो निश्चिंत हो जाइये क्योंकि आप बोर नहीं हो पाएंगे. बोर हो रहे हैं और कोई लाइट सी लव स्टोरी पढ़ने का मन है तो इस किताब को जरूर पढ़ें.

क्यों ना पढ़ें: किताब की सबसे बड़ी खामी है कि दिल्ली राजनीति और प्यार के बीच में बैलेंस बहुत अच्छा नहीं है. किताब में राजनीति को बस बैकग्राउंड में इस्तेमाल किया गया है जबकि प्यार को बहुत अच्छे से समझाया गया है.

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