किताबः पहाड़ (पेपरबैक)
लेखक: निलय उपाध्याय
पब्लिशरः राधाकृष्ण प्रकाशन
कीमतः 275 रुपए
नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म 'मांझी: द माउंटेनमैन' दशरथ मांझी के जीवन पर आधारित है. इन्हीं दशरथ मांझी के जीवन पर निलय उपाध्याय ने किताब लिखी है- 'पहाड़'.
कौन था दशरथ मांझी? बिहार के गया शहर के पास एक छोटे सा गांव है- गेहलौर. इस गांव और सबसे पास वाले कस्बे के बीच एक पहाड़ था जिसे भेद पाना नामुमकिन था. गांव में किसी भी तरह की सुविधाएं न होने के कारण कस्बे तक पहुंचने के लिए 70 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता था. इसी गांव में रहता था एक गरीब मजदूर, दशरथ मांझी. समय पर अस्पताल न पहुंच पाने की वजह दशरथ की पत्नी की मौत हो गई. फिर उसने फैसला किया कि वह पहाड़ को तोड़कर वहां सड़क बनाएगा. 22 साल की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार वह ऐसा करने में सफल हुआ और 'माउंटेनमैन' कहलाया.
सिर्फ प्रेम कहानी ही नहीं है पहाड़
दशरथ मांझी की कहानी जज्बे और संघर्ष की कहानी भी है और प्रेम कहानी भी. लेकिन दशरथ और पिंजरी का प्रेम मात्र एक-दूसरे को 'पा लेने' और 'लिव हैप्पिली एवर आफ्टर' के मिथक पर आधारित नहीं है. उनके जीवन की डोर एक-दूसरे के साथ-साथ समाज से भी बंधी हुई है. उपन्यास में उनकी सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां सामने आती हैं जो उन्हें एक गरीब और प्रताड़ित जीवन जीने पर मजबूर करती हैं. प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ने के लिए दशरथ के सभी छोटे-बड़े संघर्ष एक पूरे समुदाय के संघर्षों को चित्रित करते हैं.
प्रकृति भी एक चरित्र है
पर्यावरण के साथ प्रेम-भाव से रहना चाहिए, लेखक का यह दृष्टिकोण उपन्यास में देखा जा सकता है. साथ ही, ये उल्लेखनीय है कि किस प्रकार एक मूक-स्थिर पहाड़ उपन्यास में एक चरित्र की तरह उभर कर आता है, जो दशरथ का बैरी भी बनता है और साथी भी.
क्यों पढ़ें?
आप किसी भी उम्र के हों, एक अच्छी प्रेम कथा हमेशा आपका दिल छूती है. 'पहाड़' पढ़ते हुए भी ऐसा ही लगेगा. साथ ही यह कहानी है मानव दृढ़ता और गरिमा की, असंभव को संभव बना सकने की क्षमता की. लेखक ने दशरथ मांझी के जीवन का गहरा अध्ययन तो किया ही है, साथ ही उसमें अपनी भाषा और किस्सागोई की खुशबू जोड़ी है. सहज और सरल भाषा का प्रयोग करते हुए भी लेखक ने बहुत सूक्ष्मता से एक छोटे से गांव की राजनीतिक समस्याओं को भी दिखाया है.
लेखक के बारे में
निलय उपाध्याय की सबसे लोकप्रिय पहचान तो यही है कि उन्होंने 'देवों के देव महादेव' समेत कई टीवी सीरियल और फिल्में लिखे हैं. लेकिन अदब की दुनिया में वह कविताओं और उपन्यासों, दोनों के लिए जाने जाते हैं. मुंबई में रहने वाले निलय का लिखा नाटक 'पॉपकॉर्न विद परसाई' काफी चर्चित रहा है. 'पहाड़' इनका तीसरा उपन्यास है.