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बुक रिव्यू: जिंदगी की सार्थकता समझाती 'रबदा: माय साईं माय साय'

सत्य, धर्म, प्रेम, अहिंसा, निस्वार्थ सेवा और अपने ईश्वर पर अडिग विश्वास, जीवन के इन्हीं कुछ महत्वपूर्ण विषयों और मूल्यों को समझाने का प्रयास रूजबेह भरूचा ने किताब 'रबदा' में किया है. र

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Rabda
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किताब: 'रबदा: माय साईं माय साय'
लेखक: रुजबेह भरूचा
कीमत: 299 रुपये
पब्लिशर: पेंगुइन बुक्स
सत्य, धर्म, प्रेम, अहिंसा, निस्वार्थ सेवा और अपने ईश्वर पर अडिग विश्वास, जीवन के इन्हीं कुछ महत्वपूर्ण विषयों और मूल्यों को समझाने का प्रयास रूजबेह भरूचा ने किताब 'रबदा' में किया है. रबदा कहानी है 'रबदा' के शिरडी साईं बाबा के प्रति प्रेम और अपार निष्ठा की. भरूचा का मुख्य चरित्र 'रबदा' के अनेकों जन्मों का जिक्र किया गया है. इसमें पिछले कई सदियों में घटी अलग अलग घटनाओं के जरिये भक्त और उसके भगवान के बीच के प्रेम और विश्वास के अटूट रिश्ते को दर्शाया है.

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साईं बाबा के जीवन के अनेक पहलुओं के बारे में भी इस किताब में बेहतरीन ढंग से लिखा गया है. साईं बाबा के महाराष्ट्र के शिरडी में बिताये गए समय और उनके उपासकों के जीवन के बारे में बारीकी से लिखा गया है. किताब कई हिस्सों में इतनी बेहतरीन हो जाती है कि आप उसे बिना रुके लगातार पढ़ना चाहेंगे.

किताब में आध्यात्मिकता और धर्म के बीच के फर्क को बखूबी समझाया गया है. आजकल के परिपेक्ष्य में जहां धर्म और जाति के नाम पर ईश्वर के बनाये इंसानों के बीच हम फर्क करना सीख गए हैं, यह किताब उसी पर कटाक्ष करती है और जीवन के असली मूल्यों पर फोकस करती है.

क्यूं पढ़ें: यदि आपके मन में अध्यात्म, धर्म और आज समाज में बढ़ती बुराइयों से जुड़े सवाल उठते हैं और आप इन सवालों के जवाब जानना चाहते है, तो यह किताब जरूर पढ़ें. जीवन को सार्थक ढंग से जीने और उसकी सार्थकता को समझने में आपकी मदद करेगी 'रबदा'.

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जिंदगी में भरे अज्ञानता के अंधेरे से ज्ञान के प्रकाश की तरफ लेकर जाएगी यह किताब 'रबदा: माय साईं माय साय'. अंत में केवल यही कहना चाहूंगी कि यदि बाबा के विचारों और उनकी दी गई सीख को हम अपने जीवन में लागू करें, तो आत्मिक शांति की ओर अग्रसर हो जाएंगे. जिसकी कमी शायद हर इंसान आज महसूस करता है.

क्यूं ना पढ़ें: यदि आप स्प्रिचुअल नहीं हैं, तो यह किताब शायद आपके लिए नहीं है.

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