किताब: रेड हैंडेड- 20 क्रिमिनल केस दैट शूक इंडिया
भाषा: अंग्रेजी
लेखक: पिंगल खान और सौविक भद्र
प्रकाशक: रूपा पब्लिकेशन्स
पन्ने: 216
कीमत: 295 रुपये
'रेड हैंडेड- 20 क्रिमिनल केस दैट शूक इंडिया' दो वकीलों सौविक भद्र और पिंगल खान की कलम से निकली एक रोचक किताब है. यह भारत के 20 चर्चित आपराधिक मामलों के बारे में विस्तार से बताती है. इन मामलों में हत्या के सस्पेंस से लेकर, आतंकी वारदात और आर्थिक घोटाले तक शामिल हैं.
जैसा कि किताब का शीर्षक है ये 20 बहुचर्चित केस हैं और इनके बारे में आप खबरों में पढ़-देख चुके होंगे. लेकिन इनकी जटिलताओं और बारीकियों से शायद आप न वाकिफ हों. इनमें राजीव गांधी की हत्या, निठारी कांड, जेसिका लाल मर्डर केस, बेस्ट बेकरी, आतंकी अजमल कसाब का ट्रायल, हर्षद मेहता स्कैम, संसद पर हमला और संजय दत्त का ट्रायल जैसे केस शामिल हैं.
इसमें कुछ मामले ऐसे भी हैं जिनकी बदौलत नए कानून और निर्देश अस्तित्व में आए. विशाखा केस के बाद ही दफ्तरों में महिलाओं को यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा देने वाला कानून आया. चंद्रिमा दास केस ने प्रत्येक व्यक्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार पर तय की. इसके मुताबिक, 'अगर सरकार किसी की जान बचाने में नाकाम रहे तो उसकी जवाबदेही तय की जा सकती है और उसके खिलाफ मुकदमा दायर किया जा सकता है.'
तेलगी स्टांप पेपर घोटाले ने सरकार को स्टांप ड्यूटी जमा किए जाने की प्रक्रिया पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर कर दिया. सिस्टम को आसान और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए ही ई-स्टांप लाया गया.
किताब 'रेड हैंडेड' कानूनी शब्दजाल से मुक्त है और हर केस को आसानी से समझाते हुए आगे बढ़ती है. हालांकि संतुलन बनाने के लिए बीच-बीच में कानूनी संदर्भ और प्रक्रिया की भी जानकारी दी गई है. इसमें सभी मामलों को कुशलतापूर्वक समाहित किया गया है और उनके कानूनी पहलुओं की भी पर्याप्त जानकारी दी गई है. हर केस के आखिर में लेखकों की टिप्पणी है जिसमें केस को सामाजिक परिप्रेक्ष्य में समझने की कोशिश की गई है. साथ ही, हर केस के 'प्लस-माइनस' को रेखांकित किया गया है और ऐसे मामलों को सुलझाने की सलाह भी दी गई है.
किताब में उन मुद्दों पर भी चर्चा की गई है जो अकसर जांच को प्रभावित करते हैं. इसमें मीडिया की ओर से किए जाने वाले ट्रायल का भी जिक्र है. जब मीडिया किसी केस को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है, पहले ही उस पर फैसला सुनाता हुआ सा लगता है या आरोपी को ही अपराधी मान लेता है तो यह मामले की निष्पक्ष सुनवाई को प्रभावित कर सकता है. किताब में नारको टेस्ट में मानवाधिकारों के उल्लंघन और सख्त टाडा एक्ट पर भी चर्चा की गई है.
आपने 'डेथ रो सिन्ड्रोम' के बारे में सुना है? 'रेड हैंडेड' को पढ़िए और जानिए कि यह सिंड्रोम क्या है और किस केस में एक शख्स को इसी सिंड्रोम के चलते फांसी की सजा मिली थी.