किताब: सुपर सरवाइवर द सरप्राइजिंग लिंक बिटवीन सफरिंग ऐंड सक्सेस
लेखकः डेविड बी. फेल्डमैन और ली डेनिएल करावेट्ज़
पब्लिकेशनः रैंडम हाउस इंडिया
पृष्ठः 239
कीमतः 399 रुपये
यह कहानी है उनसे जुड़ी जिन्होंने अपने जीवन के बहुत बड़े संकट से उबरते हुए ऐसी कामयाबी हासिल की जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. उनके अदम्य साहस ने उन्हें शोहरत और सम्मान दिया और हमेशा के लिए अनुसरणीय बना दिया. सुपरसर्वाइवर्स की इस किताब में ऐसी 10 सच्ची कहानियां हैं जो आपके रोंगटे खड़े करने के साथ ही आपमें कुछ कर गुजरने का जज्बा पैदा करती हैं.
एक युवा इस महिला की ओर बढ़ा और उसे बधाई दी. उन्होंने कहा, ‘बधाई हो, मिस विलियम्स.’
बेट्टी ने उसे आश्चर्य से देखा. वो अभी तक सुन नहीं सकी थीं.
उस लड़के ने फिर कहा, ‘मैम, आपको अभी अभी नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.’
अभी एक साल पहले तक बेट्टी एक आम महिला थीं. आज वो दुनिया में बदलाव के एजेंट की सबसे मशहूर लोगों में शामिल कर दी गईं. उत्तरी आयरलैंड में 1943 में एक कसाई के घर जन्मीं बेट्टी विलियम्स एक रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करती थीं. तब आयरलैंड राजनीतिक हिंसा और दंगे से ग्रस्त था.
10 अगस्त 1976 का दिन था. उस दिन धूप खिली थी. वो अपनी गाड़ी ड्राइव कर अपने घर पहुंचने ही वाली थीं कि फिनाघी सड़क पर उन्हें ब्रिटिश ऑर्मी के राइफल से थर्र...थर्र...थर्र... निकली गोलियों की आवाज सुनाई पड़ी. कुछ ही दूर पर उन्हें आइरिश रिपब्लिकन आर्मी के दो लोग चोरी की नीली फोर्ड में ब्रिटिश आर्मी से भागते दिखे. कुछ ही देर बाद एक बार फिर गोली की आवाज आई. गोली कार को चीरती हुई उसके ड्राइवर डैनी लिनॉन को जा लगी और मौके पर ही उसकी मौत हो गई.
इसके अगले पांच सेकेंड में जो हुआ वो बेट्टी की पूरी जिंदगी बदल देने वाला था. फोर्ड गाड़ी अब बिना ड्राइवर की सरपट और बेलगाम दौड़ रही थी. पास के पटरी को पार करती हुई वो एक युवा मां को अपने चपेटे में ले ली. यह मां अपने तीन बच्चों के साथ वॉक पर निकली थी. बेट्टी उस मां की मदद को लपकी, लेकिन जल्द ही उसे यह अहसास हो गया कि वो कुछ भी नहीं कर सकतीं. इस दुर्घटना में मां तो बच गई लेकिन उसके तीनों बच्चे मारे गए. इनमें से एक बच्चा महज डेढ़ महीने का था. इस दुर्घटना में बच गई मां ने भी बाद में आत्महत्या कर ली.
इस घटना से बेट्टी इतनी विचलित हो गईं कि उन्होंने अगले दो दिनों तक प्रांत में शांति स्थापित करने के लिए एक सिग्नेचर कैंपेन चलाया और 6,000 लोगों के हस्ताक्षर जुटाए. इससे मीडिया का उन पर ध्यान गया. उन तीन बच्चों, जिसे वो जानती भी नहीं थी, ने बेट्टी के जीवन को पूरी तरह से नई दिशा में मोड़ दिया. उस दिन से पहले वो राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं थीं और न ही कभी वो संकटग्रस्त आयरलैंड के मुद्दे पर खड़ी हुई थीं. लेकिन इसके बाद उन्होंने ‘द वुमन फॉर पीस’ संस्था की स्थापना की. मृत बच्चों की समाधि तक शांति प्रदर्शन आयोजित किया. जिसमें 10 हजार से ज्यादा प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक महिलाओं ने भाग लिया. हालांकि इस प्रदर्शन को आयरिश रिपब्लिकन आर्मी ने ‘ब्रिटिश छलावा’ करार देते हुए बलपूर्वक तितर बितर कर दिया. अगले ही हफ्ते विलियम्स ने एक बार फिर प्रदर्शन आयोजित किया. इस बार कोई हिंसा नहीं हुई और बड़ी संख्या में 35,000 लोगों ने भाग लिया.
इसके बाद लोग उनके इस शांति आंदोलन से जुड़ते गए और यह देशव्यापी आंदोलन में तब्दील हो गया. बेट्टी के प्रयासों की सराहना की गई और 1977 में उन्हें उनकी मित्र मेरिड कोरिगेन के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया.
सुपरसर्वाइवर्स की इस किताब में ऐसीही एक कहानी है 20 से कुछ अधिक साल के एलेन लॉक की. आंखों में धब्बेदार विकृति पैदा होने के कारण वो नेत्रहीन हो गए. उन्हें अपने नेवी की जॉब से वंचित होना पड़ा. लेकिन इस बड़ी समस्या से जूझ रहे लॉक ने अपनी जिंदगी में कुछ विस्मयकारी करने का बीड़ा उठाया और ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसकी वजह से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड को उन्हें अपने रिकॉर्ड बुक में शामिल कर सम्मानित करना पड़ा. रॉयल नेवी का यह पूर्व नौसैनिक पहला ऐसा नेत्रहीन व्यक्ति बना जिसने नाव के जरिए अटलांटिक सागर को पार किया.
कई लोगों ने उनकी इस उपलब्धि को ‘सकारात्मक सोच’ की परिणति बताया लेकिन लॉक बताते हैं कि वो एक ‘निराशावादी’ और यही उनकी इस सफलता का राज है. बेहद प्रेरणास्पद और मिसाल पेश करने वाली कहानियां हैं इस किताब में. जरूर पढ़ें.