किताब: अपने अपने अज्ञेय (2 खंड)
विषय: संस्मरण
सम्पादक: ओम थानवी
प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
कीमत: 1500 रुपये (दो खण्ड)
पेज: 1054 (दो खण्ड)
'समय कहीं ठहरता है तो स्मृति में ठहरता है. स्मृति के झरोखे में काफी कुछ छन जाता है. लेकिन इसी स्मृति को फिर से रचने की संभावनाएं खड़ी होती हैं.' सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की बातों और यादों का अपना ताप और उजास है. ‘अज्ञेय' की जन्मशती के मौके पर सौ लेखकों के संस्मरण ‘अपने अपने अज्ञेय’ (दो खण्ड) में प्रकाशित हो चुका है. इस नई किताब का संपादन ओम थानवी ने किया है.
अज्ञेय के साथ ओम थानवी के पारिवारिक सम्बन्ध भी रहे हैं, थानवी जी अज्ञेय से मिलते रहते थे. एक लगाव से वह अज्ञेय को कितना समझ पाए और अज्ञेय के बारे में कितना संकलन कर पाए. इन्होंने इसका सही रूप 'अपने अपने अज्ञेय' पुस्तक के माध्यम से पेश करने की कोशिश की है.
इस किताब को पढ़कर अज्ञेय को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा. यह किताब ऑनलाइन उपलब्ध है.