किताब: सत्य की खोज
लेखक: प्रवीण तिवारी
प्रकाशक: ज्ञान गंगा
सत्य क्या है और ये मानव मात्र के लिए क्यों आवश्यक है, जैसे प्रश्नों का जवाब देती है, 'सत्य की खोज'. यह खोज इसलिए आवश्यक है क्यूंकि सत्य ही जीवन है. आप 'सत्य की खोज' की आवश्यकता महसूस नहीं करते तो आप जीवन से ही विमुख हैं.
मानव जीवन बहुमूल्य है क्योंकि उसमें विवेक का प्रकाश है. मानव और पशु में भोग के विषय में तो समानता दिखाई देती है लेकिन ज्ञान के विषय में वह पशु से बेहतर है. जो मनुष्य सिर्फ भोग का जीवन जी रहा है वह इस अंतर को समझ नहीं पाया है. जो विवेक की शक्ति को समझ गया है वो सत्य की खोज में है और सत्य उसे अवश्य मिलेगा.
भाग्य को लेकर कई मान्यताएं हैं आखिर भाग्य क्या होता है और 'सत्य की खोज' में इसका क्या योगदान है इस विषय पर भी सारगर्भित जानकारी इस पुस्तक के माध्यम से दी गई है. अंत में निर्विचारता को प्राप्त कर वर्तमान में ही जीने की विभिन्न विधियों का विवेचन भी किया गया है. मन को काबू करना किसी मदमस्त हाथी को काबू करने से भी मुश्किल है एक बार उसे काबू कर लिया तो वर्तमान और आपके विचार आपकी मुठ्ठी में होते हैं. विचारों को काबू करने की असरदार विधियों पर भी इस पुस्तक में चर्चा की गई है.
लेखक परिचय
डॉ. प्रवीण तिवारी विगत 16 वर्षों से टीवी और प्रिंट पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं. वे आध्यात्मिक विषयों पर सतत लेखन कर रहे हैं. कई अखबारों और पत्रिकाओं में उनके कॉलम प्रकाशित होते हैं. वे नाद ब्रह्म योग धाम संस्थान के साथ जुड़े हुए हैं और देश भर में नाद ब्रह्म की ध्यान विधि पर जागरूकता फैलाने का कार्य भी कर रहे हैं. सेवादीप फाउंडेशन के जरिए वे देश के युवाओं और बच्चों को प्रेरित करने के लिए भी सक्रिय रूप से कार्यरत हैं.