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'लक्ष्मण रेखा तोड़ना बड़े साहस का काम,' 'साहित्य आजतक' में बोले मोरारी बापू

संत मोरारी बापू ने कहा कि रघुकुल की रीति है कि प्राण चले जाएं, मगर वचन नहीं जाना चाहिए. लेकिन लक्ष्मण की जो परंपरा है, वो केवल समांतर रेखाओं में नहीं चले, उसमें जीवन के लिए समाज के लिए नई नई रेखाएं निर्मित की हैं. राम की तो जय-जयकार होती है दुनिया में. लक्ष्मण को आलोचना का सामना करना पड़ता है.

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साहित्य आजतक 2022 में संत मोरारी बापू.
साहित्य आजतक 2022 में संत मोरारी बापू.

Sahitya Aaj Tak 2022: ठीक दो साल बाद साहित्य आजतक का मंच एक बार फिर सज गया है. आज से 20 नवंबर तक यानी पूरे तीन दिन दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में साहित्य का मेला लग गया है. इस कार्यक्रम में राम कथावाचक मोरारी बापू भी शामिल हुए. उन्होंने 'राम ही राम' कार्यक्रम में सवालों के जवाब दिए और धर्म के प्रति युवाओं के रुझान की तारीफ की. मोरारी बापू ने लक्ष्मण रेखा पर भी खुलकर चर्चा की. मोरारी बापू ने कहा कि लक्ष्मण रेखा जागरूक पुरुष ही रेखांकित करता है. लक्ष्मण रेखा तोड़ना बड़ा साहस है. 

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मोरारी बापू से पूछा गया कि हम राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं. रामायण से लक्ष्मण रेखा भी क्या है, वो सीखी जा सकती है. आज के समाज और युग में मर्यादा टूट रही है. लक्ष्मण रेखाएं लगातार भंग हो रही हैं. इन दोनों को वापस कैसे लाएं? इस सवाल पर मोरारी बापू ने कहा- इसलिए राम और लक्ष्मण को, इनके चरित्र को सुनना पड़ेगा, पढ़ना पड़ेगा. समरिक चरित्र से उनका अवलोकन करके मूल्याकन करना चाहिए. भगवान राम की मर्यादा ने जगत में राम राज्य दिया. जब इन दोनों के बीच में अपनी बात कहता हूं. राम की मर्यादा है कि रघुकुल रीति सदा चली आई. 

लक्ष्मणजी बोलते हैं तो उनके प्रति रोष होता है

उन्होंने कहा- रघुकुल की रीति है कि प्राण चले जाएं, मगर वचन नहीं जाना चाहिए. लेकिन लक्ष्मण की जो परंपरा है, वो केवल समांतर रेखाओं में नहीं चले, उसमें जीवन के लिए समाज के लिए नई नई रेखाएं निर्मित की हैं. राम की तो जय-जयकार होती है दुनिया में. लक्ष्मण को आलोचना का सामना करना पड़ता है. लक्ष्मण जी की आलोचना जनक महाराज ने की. परशुराम जी तो बहुत खफा हो गए थे. कहीं भी लक्ष्मण जी बोलते हैं तो उसके प्रति रोष होता है. जो लक्ष्मण रेखा तोड़ेगा, उसको अपमान को भोग बनना पड़ेगा. लेकिन, लक्ष्मण रेखा तोड़ना बड़ा साहस है. जागरूक पुरुष ही लक्ष्मण रेखांकित करता है. 

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ये चार चीजें होंगी तो राम राज्य आएगा

मोरारी बापू ने आगे कहा- लक्ष्मण के बारे में हम कहते हैं कि वे 14 साल सोये नहीं. इसका मतलब कि जागरूक. जीवन में राम की मर्यादा और लक्ष्मण जी की सावधानी... भरत का प्रेम. शत्रुघ्न का मौन... ये चारों चीजें होंगी तो वहां किसी भी व्यक्ति के जीवन में, परिवार और देश और विश्व के जीवन में राम राज्य आ सकता है. 

गांधीजी ने भी राम कीर्तन नहीं छोड़ी...

मोरारी बापू से एक और सवाल किया गया कि राम की बात करते हैं. राम सब बनना चाहते हैं. राम सबके आदर्श हैं. आज का समाज बिना लक्ष्मण-भरत के भी पूरा नहीं होगा. लेकिन, हनुमान, भरत, लक्ष्मण कोई नहीं बनना चाहता है? जिन्होंने राम को बनाया, वो मिसिंग हैं. इस पर उन्होंने कहा- राम नाम लेकर निरंतर काम करना चाहिए. लक्ष्मण और हनुमान जी सतत काम करते हैं. लेकिन, उसके पीछे राम नाम का बल है. तो हम क्या करते हैं कि हम तो सेवा करते हैं. काम करते हैं. राम नाम में हमारी रुचि नहीं है. राम पर भी प्रश्न चिह्न लगाते हैं. ये सब बातें आती हैं. लेकिन गांधी जी ने प्रार्थना जिंदगी भर छोड़ी नहीं. राम संकीर्तन छोड़ा नहीं. इसके कारण, कोई माने या ना माने, राम नाम की भूमिका से जो राम काम प्रगट हुआ था, इसके कारण हमें आजादी प्राप्त हुई थी. 

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विभीषण को हनुमान जी ने दिया था ये संदेश

उन्होंने कहा- आज के समाज को राम नाम के साथ राम का काम करना ही चाहिए. हनुमान जी लंका में गए और विभीषण से मिले. विभीषण ने कहा कि आज मुझे पक्का हो गया कि हनुमानजी आप मुझे मिले. राम ने मुझ पर कृपा की. हनुमान जी ने डांटा और कहा कि तेरे जैसे आदमी पर राम कृपा कभी कर ही नहीं सकते हैं. इस पर विभीषण ने कहा कि महाराज आप मुझे दुख देने आए हैं या सुख देने आए हैं. मैं निरंतर राम नाम लेना लेता हूं. देखो पूरी दीवार पर राम नाम लिखा है. तुलसी का गमला लगाया है. मंदिर है. मुझे पर कृपा नहीं? हनुमान जी बोले- कभी नहीं होगी. फिर विभीषण ने कहा कि तुम सिर्फ राम का नाम लेते हो, राम का काम नहीं करते हो. जिसका नाम लेता है, उनकी धर्मपत्नी मां जानकी को तेरा भाई रावण चुराकर ले आया. रावण के खिलाफ तूने कभी आवाज नहीं उठाई. विभीषण सहमत होते गए. अगर आप राम नाम लेते हैं और राम का काम नहीं करते हैं तो राम कृपा नहीं करते हैं. विभीषण ने उसी समय संकल्प किया कि मैं आज से राम का काम शुरू करूंगा. हनुमानजी बोले- उसके बाद तो कभी नहीं करेंगे. सिर्फ राम प्रेम करेंगे और कृपा से प्रेम का दर्जा बहुत ज्यादा है.

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आलोचना पर क्या बोले मोरारी बापू

मोरारी बापू से सवाल पूछा गया कि आप एक प्रोग्रेसिव गुरु माने जाते हैं. आपने कई पुरानी परंपराओं को तोड़ा. जैसे- आप सेक्स वर्कर्स से मिलने गए. ट्रांसजेंडर्स से मिलने गए. आपने उनके लिए बहुत काम किया. लेकिन, आपकी भी आलोचना हुई. राम राज्य में भी आलोचक थे, आज के युग में भी आप भले मानवता के लिए करते हैं, लेकिन उसकी भी आलोचना होती है. इस आलोचना को आप किस रूप में लेते हैं. हम सबको किस रूप में लेना चाहिए?

इस पर उन्होंने कहा- अलोचना में आलोचन शब्द है. इसको संस्कृत के शब्द के रूप में लो. आज की जो आलोचना है, उसमें लोचन नहीं है. अंधी आलोचना है. आंख के बिना जो भी आप अवलोकन करोगे, उसमें सत्य नहीं निकलेगा. उसमें कम से कम दृष्टि तो होनी चाहिए. मैं एक सांस्कारित दृष्टांत देता हूं- जिसको सबसे बड़ी कमाई होती है, कोई उद्योगपति हो या अन्य- उसकी कमाई ज्यादा होती और उसको टैक्स ज्यादा चुकाना पड़ता है- दुनिया में जिसको बहुत आदर मिलता हो, ऊंचाई मिलती हो, लोग उसकी पवित्रता, पूज्यनीयता और उसकी प्रियता को प्रणाम करता हो, उसको ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता है. आलोचना भी ऐसी ही होगी. लेकिन अगर कोई आलोचना करे और हमें ये पता लगे कि ये हम सत्य हैं तो ये आलोचक हमारी आलोचना नहीं कर रहा है, अपने खानदान का परिचय दे रहा है.

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मैं भी इंसान, कमजोरियां सबमें होती हैं

दुखी या व्यथित होने के सवाल पर मोरारी बापू ने कहा- दुख होता है. मैं राम, रामकथा और रामकथा देने वाला मेरा बुद्ध पुरुष, मेरा परम सदगुरु, इतनी आस्था रखता हूं कि मुझे ये द्वंद्व ज्यादा असर नहीं करता है. बाकी तो इंसान हूं. कमजोरियां तो सबमें होती हैं. लेकिन ये ज्यादा टिकाऊ नहीं होती हैं. ये तुरंत निकल जाती हैं. जिस पर वस्तु का तुरंत प्रभाव पड़ता है, वो आगे नहीं बढ़ सकता है. ये मुश्किल कहना है. लेकिन, राम नाम और राम कथा दी है, उसके दृढ़ाश्य से हम आगे निकल सकते हैं.

 

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