'साहित्य का महाकुंभ' के नाम से खुद को स्थापित कर चुके 'साहित्य आजतक' का मंच सज चुका है. तीन दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम के पहले दिन इंडिया टुडे के एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी ने कला और साहित्य को समर्पित सलाना अंक 'साहित्य वार्षिकी' का नौवां अंक लॉन्च किया.
इस मौके पर इंडिया टुडे हिन्दी के संपादक अंशुमान तिवारी ने कहा कि पिछले अंक को मिली प्रतिक्रिया से प्रेरणा लेते हुए इस वर्ष का 'साहित्य वार्षिकी' के 9वें अंक का दायरा और बड़ा किया गया है. 'रचना का जनतंत्र' शीर्षक वाले इस अंक में देश और दुनिया की तमाम भाषाओं- हिंदी, उर्दू, पंजाबी, बंगाली, असमी, कश्मीरी, राजस्थानी, फारसी, मराठी, उड़िया और अंग्रेजी की रचनाओं को शामिल किया गया है. इस अंक में छत्तीसगढ़ की कुदुख, अरुणांचल प्रदेश की नीशी, त्रिपुरी की मोघ और ओडीशा की सांथाली भाषा की रचनाओं को भी शामिल किया गया है.
इसके अलावा इस अंक में डेनमार्क और ब्रिटेन की दो एनआरआई महिला लेखकों की रचनाओं को भी जगह दी गई है. इस अंक के इंटरव्यब सेक्शन 'रू-ब-रू' में साहित्य जगत की बड़ी हस्तियों- अशोक वाजपेयी, पुरुषोत्तम अग्रवाल, आलोक धन्वा, पद्मा सचदेव, चित्रकार-अंजली इला मेनन, डॉ कर्ण सिंह, नृत्यांगना-अदिति मंगलदास और संगीत से नूरन बहनें और गोकुलोत्सव महाजार का साक्षात्कार शामिल किया गया है.
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संस्मरण के सेक्शन में 'देश के बंटवारे' के प्रत्यक्षदर्शी का एक लेख, इसके अलावा एक अफगानी चित्रकार की तालिबान के आतंक के दौर की कहानी और एक छायाकार की निगाहों से नर्मदा नदी की यात्रा का उल्लेख शामिल की गई है. विचार के सेक्शन जयप्रकाश नारायण (जेपी) और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के टकराव का दिलचस्प विश्लेषण है तो वहीं सिनेमा सेक्शन में मजाने माने डायरेक्टर, लेखक और गीतकार गुलजार, अभिनेत्री कामिनी कौशल, निर्देशक अनुभव सिन्हा और अभिनेता पंकज त्रिपाठी पर विभिन्न मुद्दों पर बातचीत शामिल है. साहित्य वार्षिकी अंक 225 पृष्ठों को 11 खंडों में बांटा गया है.
'लल्लनटॉप की कहानियां' भी लॉन्च
साहित्य वार्षिकी के लॉन्च के साथ हमारी सहयोगी वेबसाइट 'लल्लनटॉप' की 'लल्लनटॉप की कहानियां' भाग दो का भी लॉन्च हुआ. लल्लटॉप की कहानियां में तमाम उभरते कहानिकारों की कहानियों की एक प्रतियोगिता होती है जिसमें 16 कहानियां चुनी जाती है और जिन्हें पुरस्कृत किया जाता है, जो अंत में एक किताब की शक्ल लेती है.
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