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नाम बदलने से भीड़ नहीं रुकेगी, कुछ करना है तो नए शहर बनाइये: जावेद अख्तर

साहित्य आजतक 2018 में अंतिम दिन ख्यात गीतकार जावेद अख्तर ने शिरकत की. उन्होंने 'साहित्य और हम' सेशन में कई सवालों के दिलचस्प जवाब दिए.

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साहित्य आजतक 2018 में जावेद अख्तर
साहित्य आजतक 2018 में जावेद अख्तर

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साहित्य आजतक 2018 में अंतिम दिन ख्यात गीतकार जावेद अख्तर ने शिरकत की. उन्होंने 'साहित्य और हम' सेशन में कई सवालों के दिलचस्प जवाब दिए. उन्होंने शहरों के नाम बदलने से लेकर अयोध्या विवाद तक पर बेबाकी से बात की. इस सेशन को एंकर अंजना ओम कश्यप ने मॉडरेट किया.

शहरों के नाम बदलने के सवाल पर जावेद अख्तर ने कहा- अब किसी तरह तो शहरों को स्मार्ट बनाया जाए, नाम ही बदलो. महत्वपूर्ण बात यह है, जिस पर कोई गौर नहीं कर रहा है कि इस देश में कम से कम 100-150 नए शहर बनने चाहिए. आज गांवों से शहरों की ओर पलायन बड़े स्तर पर है. दिल्ली, कलकत्ता, मुंबई सब जगह ये हैं. आजादी के बाद से मुट्ठीभर शहर बने हैं. एक चंडीगढ़ बना है, नोएडा और गुड़गांव बने हैं. इसी तरह साउथ में एक-दो शहर हैं.  

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बॉलीवुड एक खराब नाम है, ये राष्ट्रवादी भावना के खिलाफ है: जावेद

अख्तर ने कहा- यदि आपको दोनों तरफ के कम्युनल लोग गलत मानने लगें तो समझना कोई सही काम कर रहे हो. मुझे तो कम्युनल मुस्लि‍म और कम्युनल हिंदू दोनों ही हेट मैसेज भेजते रहते हैं. कम्युनल हिंदू कहते हैं तुम तो पाकिस्तान चले जाओ, देशद्रोही हो, कम्युनल मुस्लि‍म कहते हैं हिंदू नाम भ रख लो न. तुम तो बिक ही गए हो. मतलब दोनों ओर से यदि गाली नहीं पड़ रही तो समझो गड़बड़ है.

''हमें 5000 साल से लोकतंत्र की ट्रेनिंग मिली''

जावेद अख्तर ने कहा कि राष्ट्रवाद नैसर्गिक है. जिस तरह हमें अपने शरीर से, शहर से प्रेम होता है उसी तरह हम जिस देश में पैदा हुए हैं उससे नफरत कैसे कर सकते हैं. हम सुदूर रहने वाली मैरीकॉम जिससे कभी मिले नहीं, जहां वो रहती हैं वहां गए नहीं, फिर भी जब वो जीतती हैं तो हमें खुशी होती है. ये क्यों होती है, क्योंकि हमारे अंदर देशप्रेम है.

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जावेद अख्तर ने कहा कि जो आपसे किसी भी बात से सहमत नहीं उससे आप कितनी नफरत करते हैं, इसे देशप्रेम का बैरोमीटर बनाया जा रहा है. हमें 5000 साल से लोकतंत्र में ट्रेनिंग मिली है. हमारे यहां असहमत होना पाप नहीं है, ये शुरू से हमारे देश की संस्कृति रही है. इस मुल्क में नास्तिक को संत माना गया है. जो लोग असहमत लोगों से नफरत करना सिखा रहे हैं, वे देश की संस्कृति के हमारा पीछा छुड़वा रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रवाद से नफरत की भावना पैदा होती है तो गलत है, लेकिन राष्ट्रवाद यदि प्यार करना सिखाए तो सही है. राष्ट्रवाद के नाम पर फिल्म इंडस्ट्री के बंटे हुए होने पर जावेद अख्तर ने कहा कि जिस समाज में लोकतंत्र  होता वो बंटा हुआ ही होता है. सब एक तरह सोचे अगर ऐसा मानना है तो सउदी अरब चले जाना चाहिए.

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