Sahitya AajTak 2023: शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2023' का शुभारंभ शुक्रवार को दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में हुआ. आज (रविवार) कार्यक्रम का तीसरा दिन है. इसमें 'चाहे कृष्ण कहो या राम' शीर्षक पर मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी (Jaya Kishori) ने अपने विचार व्यक्त किए.
जया किशोरी ने कहा, मैं खुद को गुरु नहीं कहती. युवाओं के लिए काम करती हूं. सोशल मीडिया पर युवाओं का साथ मिल रहा है. मेरा ये कहना है कि आध्यात्म बुढ़ापे के लिए नहीं है. इसलिए युवाओं के लिए काम कर रही हूं. आप अपनी गलतियों से सीखते हैं. युवा मुझे इसीलिए सुनते हैं क्योंकि वो पाते हैं कि कोई उनके जैसा ही सामने बैठा है. फिर भी मेरा कहना है, अगर मुझे भी सुन रहे हैं तो आंख बंद करके भरोसा न करें. जो अभी (वर्तमान) देख रहे हैं उस पर अभी बात करें और समस्या को हल करें.
जया किशोरी को समस्या से निकलने से कौन सिखाता है
मुझे स्क्रिप्चर्स (धर्मग्रंथ) सिखाते हैं. अच्छी चीज एक बार में समझ नहीं आती है. जिस चीज को आप तलाश रहे हैं, वो सभी आपके स्क्रिप्चर्स में मिलते हैं. लोगों को अपने धर्मग्रंथों को पढ़ना चाहिए.
आप युवा हैं, आपको कथा करने की प्रेरणा कब मिली
मुझे ये कार्य करने की प्रेरणा बचपन से मिली. 15-16 साल की उम्र में मैंने कथाएं शुरू कर दी. परिवार ने माहौल दिया. हर समस्या से लड़ने के लिए सिखाया. मेरा कहना है कि अभिभावकों को बच्चों को समझाना चाहिए और माहौल देना चाहिए. शुरूआत तो बचपन से करनी चाहिए. मेरे पैरेंट्स ने स्क्रिप्चर्स पढे, तभी उन्होंने मुझे सिखाया. आपको भी ये करना होगा.
आपका स्टारडम 5 साल में तेजी से बढ़ा, सोशल मीडिया का योगदान
मैं काफी पहले से ये काम कर रही थी. हां कह सकते हैं कि इससे मदद मिली. मगर, मैं ये सोच कर नहीं कर रही थी कि यही करना है. मेरी फेक आईडी भी काफी सारी बन गई थीं. इसके बाद मुझे सोशल मीडिया पर आना पड़ा. मेरे लिए ये एडिशनल है, इंटेंसनली नहीं.
जब मैं कथा करती हूं, उस समय कभी नहीं सोचती की रील भी बन सकती है. मैं एक ही टॉपिक पर लंबे समय तक बात करती हूं. कथा के बाद रील के बारे में भी सोचती हूं..
क्या आप यूथ को ही अपना ऑडियंस बनाना चाहती हैं
नहीं, मेरी बात को सुनने के लिए हर उम्र के लोग आते हैं. उसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी शामिल हैं.
जया किशोरी की शादी कब होगी, लोग आपको संत समझते हैं इस पर क्या कहेंगी
मुझे ऐसा लगता है कि मैं अपने काम में बहुत खुश हूं. बड़े चेंज के लिए अभी तैयार नहीं हूं. शादी के लिए अभी सोचूं ऐसा कोई विचार नहीं है. जब कुछ तय होगा तो अपने वैरिफाइड चैनल पर बता दूंगी. मैंने हमेशा कहा है कि मैं संत या साध्वी नहीं हूं. मुझे भगवान अच्छे लगते हैं. मैं ज्ञान बाटंने की कोशिश करती हूं.
आपकी सुंदरता भी आपको सोशल मीडिया पर मदद करती है
ये सबकी अपनी-अपनी नजर की बात है. अगर आपको कोई इंसान अच्छा लगता है तो उसकी पर्सनालिटी अच्छी लगती है. मुझे नहीं पता कि ये चीज कितनी मदद करती है. मेरा मानना है कि आप खुद कैसे प्रेजेंट करते हैं, ये चीज मायने रखती है. मेरी भी ये कोशिश रहती है.
चाहे कृष्ण कहो या राम शीर्षक पर क्या कहना चाहेंगी
कृष्ण और राम दोनों हर जगह हमारा मार्गदर्शन करते हैं. अपने इमैजनेरी संसार में मत जिएं. जिसने दुनिया बनाई वही यहां आकर सुखी नहीं रहा तो हम कैसे रहेंगे. राम हमें सिखाते हैं मर्यादा में रहते कैसे हैं और कृष्ण सिखाते हैं कि मर्यादा में रखते कैसे हैं. ये चीज सिचुएशन पर निर्भर करती है कि कहां मर्यादा में रहना और कहां मर्यादा में रखना है.
ये चीज आपके धर्मग्रंथ भी सिखाते हैं. भगवान ने 24 अवतार लिए. वो एक अवतार में भी सिखा सकते हैं. पर सिचुएशन के हिसाब से उन्होंने अवतार लिए. गीता सबसे अधिक प्रासंगिक है. क्योंकि आज के समय हर व्यक्ति के अंदर द्वंद चल रहा है. ऐसी दशा में गीता आपको मानसिक युद्ध से जीत दिलाती है.
युवाओं का ध्यान एक जगह नहीं लगता है, इस पर क्या कहेंगी
इसके लिए मेडिटेशन है और अन्य चीजें हैं. मगर, आप अपने बुजुर्गों के साथ बैठिए. वहां से आपको मिलता है. वो आपको अपनी कहानियां बताते हैं. उसमें से कोई एक बात ऐसी होगी जो आपकी लाइफ बदल देगी. उनकी दस कहानियों में से एक कहानी ऐसी होगी. इसके लिए आपको टाइम देगा होगा. उनकी बात को शांति से सुनिए.
एंगर मैनेजमेंट पर क्या कहेंगी
मेरा मानना है कि क्रोध अपनी ही वजह से आता है. अगर आप बॉस के सामने क्रोध को रोक सकते हैं तो घर में व अन्य जगह भी रोक सकते हैं.
युवाओं में दिल टूटने की समस्या पर क्या कहेंगी
मेरा मानना कि हर रिश्ता एक न एक दिन धोखा देगा. ये मान कर चलो. जितनी ज्यादा उम्मीदें, उतने ज्यादा दुख.
धोखे से कैसे बचें कैसे रिकवरी करें
विश्वास करिए पर आंखें खुली रखिए. अंधविश्वास किसी पर मत कीजिए, सिवाय भगवान के. प्यार में बंधी पट्टी में हर गलत चीज अच्छी ही लगती है. धोखे से बचने और रिकवरी के लिए स्वीकार करने की क्षमता होनी चाहिए.
सैडनेस के बाद खुशी कैसे पाएं
सत्संग... आप सत्संग सुनना शुरू कीजिए. इसके आलावा और कुछ आपकी मदद नहीं कर सकता. दिन का कुछ समय सत्संग के लिए रखिए. ऐसा एक महीना कीजिए.
नुकसान (शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और रिश्ते) से कैसे बचें
इससे बचने के लिए स्वीकार्यता रखें. आज बहुत नाम है कल ऐसा भी होगा जब लोगो नहीं पसंद करेंगे, पर मैं कल के लिए तैयार हूं. मेरा काम कर्म करना है. जो ये सोच कर चलेगा वो नुकसान के लिए तैयार रहता है. ऐसा इंसान नुकसान होने पर समाधान की तलाश करेगा.
लोग ईश्वर को लेकर चुनौती देते हैं, ऐसे लोगों को कैसे जोडे़ंगी
लोग अपनी चीजों (धर्मग्रंथों) को सच मानते हैं, सिर्फ हिंदू अपने धर्मग्रंथों को पढ़ना नहीं चाहते. घर में ग्रंथ रखे हैं पर खोले नहीं जाते है. अन्य सभी धर्मों के लोग अपने बच्चों को सिखाते हैं. आप बचपन से बच्चों को सिखाएं.