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सच‍िन तेंदुलकर के आउट होने पर 15 दिन तक बात नहीं करती थीं लता मंगेशकर

साहित्य आज तक 2022 के पहले दिन स्वर कोकिला लता मंगेशकर को श्रद्धाजंलि अर्पित की गई. हरीश भिमानी, संजीवनी भेलांडे और लेखक यतींद्र मिश्रा ने लता मंगेशकर से जुड़ी यादें शेयर करके उन्हें श्रद्धाजंलि दी. इस दौरान यतींद्र मिश्रा ने ये भी बताया कि लता मंगेशकर को क्रिकेट से कितना प्यार था.

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लता मंगेशकर
लता मंगेशकर

साहित्य आज तक 2022 का मंच सज चुका है. साहित्य आज तक के पहले दिन स्वर कोकिला लता मंगेशकर को श्रद्धाजंलि दी गई है. लता मंगेशकर को श्रद्धाजंलि देने के लिये मंच पर हरीश भिमानी, संजीवनी भेलांडे और लेखक यतींद्र मिश्रा मौजूद रहे. इस दौरान यतींद्र मिश्रा ने लता मंगेशकर से जुड़ी से अनकही कहानी बताई. स्वर कोकिला पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि वो सबसे ज्यादा दुखी कब होती थीं. 

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क्रिकेट से था लगाव
लता मंगेशकर संगीत की दुनिया की क्वीन थीं, उन्हें संगीत से कितना प्यार था, ये हर कोई जानता है. पर संगीत के अलावा वो क्रिकेट से भी काफी मोहब्बत करती थीं. लता मंगेशकर को याद करते हुए यतींद्र मिश्रा ने कहा कि जब भी लता जी शूट नहीं करना चाहती थीं, तो उनके सेक्रेटरी फोन करके बता देते थे. वहीं  जब भारत मैच हारता, तो उनसे बात करना मुश्किल हो जाता था. 

यतींद्र मिश्रा बताते हैं कि 'जब भारत मैच हारता तो वो 15 दिन बात नहीं करती थी. खास कर जब सचिन तेंदुलकर आउट होते, तो वो बात करना बंद कर देती थीं. क्रिकेट में भारत की हार उनसे बर्दाशत नहीं होती थी और वो दुखी हो जाती थीं.' यतींद्र मिश्रा बताते हैं कि 'भारत के हारने पर उनसे बात करना बेहद मुश्किल हो जाता था. इसलिये मैं मनाता था कि जब तक उनसे बात हो रही है, सचिन आउट ना हों.' इससे पता चलता है कि उन्हें क्रिकेट से कितनी मोहब्बत थी. यतींद्र मिश्रा ने ये भी बताया कि संगीतजगत का बड़ा नाम होने के बावजूद वो छोटे-बड़े लोगों को जी कह कर बुलाती थीं. लता मंगेशकर की यही चीज उनके बड़प्पन को दर्शाती है. इसलिये हर कोई उनसे खुद को जुड़ा हुआ महसूस करता था. 

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साहित्य संगीत नहीं सीख पाने का दुख था
यतींद्र मिश्रा बताते हैं कि लता मंगेशकर गुलाम अली खान की तरह गाना चाहती थीं. लता जी को साहित्य संगीत ना सीख पाने का दुख था. लता मंगेशकर के बारे में बात करते हुए संजीवनी भेलांडे ने कहा कि लता मंगेशकर 4 मिनट के गाने में पूरी कहानी बयां कर देती थीं. उन सा ना कोई था और ना कोई होगा. 

प्रोग्राम के अंत में  हरीश भिमानी ने कहा कि लता मंगेशकर जी से कहना चाहता हूं कि हम सब आपको बहुत याद करते हैं. जल्द आइयेगा. बस छोटा सा संकेत दे दीजियेगा. हम समझ जाएंगे. इस तरह छोटी-बड़ी और दिलचस्प बातों के साथ साहित्य के मंच पर लता मंगेशकर को याद किया गया. 

साहित्य आज तक का मंच 18 से 20 नवंबर तक सजेगा, जिसमें साहित्य और सिनेमाजगत से जुड़ी कई बड़ी हस्तियां आने वाली हैं. सेलेब्स से जुड़ी दिलचस्प बातें जानने के लिये साहित्य आज तक से जुड़े रहें. 


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