जो दिख रहा उसी के अंदर जो अन दिखा वो शायरी है
जो कह सका था वो कह चुका हूं जो रह गया वो शायरी है... अहमद सलमान की यह शायरी साहित्य आजतक 2022 में 'माइक के लाल' मंच पर आए युवाओं पर बेहद सटीक बैठती है.
दुनिया में भारतीय भाषाओं के इस सबसे बड़े मेले साहित्य के महाकुम्भ 'साहित्य आज तक' में युवा कलाकारों के लिए 'माइक के लाल' मंच सजाया गया था. इस मंच पर 1100 से अधिक उभरते युवा कलाकारों को अपनी रचनाएं पढ़ने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ.
'माइक के लाल' मंच पर अपनी काव्य रचनाएं पढ़ने के लिए लोगों का उत्साह देखते ही बनता था. लोग हर विधा में लिखी गयी अपनी रचनाएं लेकर देश के अलग-अलग कोनें से 'माइक के लाल' मंच पर उपस्थित हुए. हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश , यहां तक कि पश्चिम बंगाल से भी लोग अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए हमारे साथ जुड़े.
'माइक के लाल' की महफ़िल में नए चेहरों, नए भावों, नयी आवाज़ों को जनता से रूबरू होने का मौका मिला. इस मंच ने 7 साल की छोटी बच्ची की मासूमियत भरी रचना से लेकर 80 साल के बुजुर्ग के अनुभव की कहानी को सुना.
दिन के 12 बजे से लेकर रात के 9 बजे तक का समय भी युवा कलाकारों के लिए कम पड़ता नज़र आया. यहां किसी ने अपनी ग़ज़ल सुनाकर लोगों का मन मोह लिया तो किसी ने अपनी कविता से लोगों का दिल जीता.
'माइक के लाल' में समाज की बुराइयों से लेकर देश प्रेम से ओत-प्रोत, हर प्रकार की रचना सुनने को मिली. हज़ारों लोग मंच पर आए कलाकारों से प्रेरित हुए और लिखने का प्रयास करके अगले दिन अपनी रचनाएं लेकर हमारे पास पहुंचे. यहां तक कि स्कूल के बच्चे मंच पर लोगों को पढ़ता देख वहीं बैठकर कविताएं लिखने लगे और 'माइक के लाल' ने उनकी इस खूबसूरत कोशिश को मंच पर आने का मौका दिया.
'माइक के लाल' सिर्फ उभरते कलाकारों के लिए एक मंच नहीं बल्कि लोगों के मन में साहित्य की जड़ें मज़बूत करने का एक सफ़ल प्रयास साबित हुआ. इन तीन दिनों में 'माइक के लाल' में आए सभी लोगों ने हमारे पुराणों, हमारी संस्कृति और हमारे साहित्य की कुछ छिपी हुई कहानियों को सुना और सराहा.
इन तीन दिनों में न तो महफ़िल का जोश कम हुआ, न ही कलाकारों का. मंच पर हमारे साथ संगीतकारों की एक टीम जुडी रही जिन्होंने हर दिन नयी क़व्वाली व ग़ज़लें गाकर महफ़िल में चार चाँद लगाए. नुसरत साहब की रूहानी क़व्वाली से महफ़िल को एक खूबसूरत अंजाम दिया गया.
'माइक के लाल' मंच की एक खासियत यह भी रही कि जिन बड़े रचनाकारों ने साहित्य आज तक में शिरकत की उनमें से कई स्वेच्छा से साहित्य के इन उदीयमान प्रतिभाओं का उत्साह बढ़ाने मंच पर पहुंचे. ऐसी हस्तियों में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी, चर्चित गीतकार बुद्धिनाथ मिश्र, विष्णु सक्सेना, अनामिका जैन अम्बर, सोनरुपा विशाल, चिन्मयी त्रिपाठी और जोएल मुखर्जी आदि उल्लेखनीय हैं.
याद रहे कि साहित्य तक द्वारा संचालित 'माइक के लाल' आयोजन की यह तीसरी कड़ी थी. पहले के दोनों आयोजनों में युवाओं के उत्साह को देखते हुए 'साहित्य आज तक 2022' के दौरान इन्हें मंच प्रदान किया गया था. आयोजक इंडिया टुडे समूह द्वारा इस आयोजन को देश भर में ले जाने की योजना है. युवाओं के उत्साह को देखते हुए इतना तो तय है कि हर साल 'साहित्य आज तक के दौरान युवा रचनाकारों के लिए 'माइक के लाल' का मंच सजता रहेगा और लफ़्ज़ों की खुशबू बिखेरेगा.
# यह रिपोर्ट सलोनी शर्मा ने लिखी है. सलोनी दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में बीए ऑनर्स की छात्रा हैं और वे 'साहित्य आज तक 2022' से प्रशिक्षु के रूप में जुड़ी हैं.