साहित्य आज तक के दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन रविवार को हो गया. दोनों दिन साहित्य और कला से जुड़ी तमाम हस्तियों मौजूदगी से कार्यक्रम बेहद शानदार रहा. हजारों की संख्या में आए श्रोताओं ने जमकर सारे कार्यक्रमों का मजा लिया. रविवार दूसरे दिन पहला सेशन अनुपम खेर की शानदार बातों के साथ शुरू हुआ. साथ ही गालिब की शायरियों के साथ दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के संग दूसरा सेशन चला. साहित्य के सितारों का यह दो दिवसीय महाकुंभ नई दिल्ली के इंदिरा गांधी सेंटर फॉर आर्ट्स में चल रहा था.
कवियों के शब्दों के जाल और मुशायरे की महफिल से सजा दूसरा दिन साहित्य प्रेमियों के दिलों पर बस गया. स्त्री लेखन पर चर्चा हुई मैत्रेयी पुष्पा, चित्रा मुद्गल और नासिरा शर्मा के साथ और इसी के साथ रेडियो को आवाज देने वाले जादूगरों से ने भी अपने अनुभवों को इस मंच पर साझा किया.
'वेद के रस के लिए पुराण पढ़नी होगी'
'साहित्य के देवलोक' के सेशन में लेखक देवदत्त पटनायक ने कहा कि वेद के रस के लिए पुराण पढ़नी होगी. जब तक फल नहीं खाएंगे, स्वाद पता नहीं चलेगा. इस दौरान उन्होंने आध्यात्मिक बातों से लोगों को अभिभूत किया. देवदत्त में अहिंसा पर बोलते हुए कहा कि वीडियो गेम में युद्ध अच्छा लगता है. युद्ध में खुद का नहीं दूसरों का बच्चा मरता है. देवदत्त ने कहा कि जब हम किसी को बड़ा मानते हैं तो जिम्मेदारी से भागते हैं. जंगल में रहने से पशु नहीं बनते और शहर में रहने से पुरुष नहीं बनते.
पत्रकारों को सत्ता से संघर्ष करते रहना चाहिए
वीर रस की कविताओं के जोश के बाद आजतक के मंच पर शुरू हुआ है पत्रकारों के विचारों का घमासान. इस सेशन में बात हो रही है राजदीप सरदेसाई, आशुतोष और उदय माहुरकर से. सबसे दिलचस्प बात ये है कि इन तीनों ने ही प्रधानमंत्री मोदी पर किताब लिखी है. राजदीप सरदेसाई ने कहा हम अब पत्रकार कम नेता ज्यादा होते जा रहे हैं. हम अगर पत्रकार हैं तो हमें किसी भी व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी सबके सामने रखनी चाहिए चाहे वो गलत हो या सही. उदय माहुरकर ने कहा कि ये सरकार अच्छी चल रही है. सरकार गलती भी करेगी ऐसा भी संभव है जैसे, ब्लैक मनी एक बड़ा एक्शन है लेकिन इसकी पूरी प्लानिंग नहीं की गई. राजदीप सरदेसाई ने राजनीति के बदलावों पर बात करते हुए कहा कि हमारे नेता आज सिर्फ अपनी बात सुनते हैं और हम जय-जयकार करते हैं.
'मैं कभी राजनीति की ओर नहीं गया'
हरिओम पंवार वीर रस के मशहूर कवि हैं. देश प्रेम और देश भक्ति के लिए कई रचनाओं को जन्म देने वाले कवि हरिओम आज 'साहित्य आजतक' में अपनी कविताओं से समां बांधा. कवि हरिओम ने कहा कि कालेधन पर उठाया गया सरकार का कदम बहुत ही सराहनीय है. सेना की बहादुरी और प्रधानमंत्री के सर्जिकल स्ट्राइक पर उन्होंने कई कविताओं का सुनाई. उन्होंने कहा कि कविताएं जब-जब सत्ता का साथ देती हैं या तो कविताएं मर जाती हैं या फिर सत्ता गिर जाती है.
सेक्स के बारे में पढ़ना तो चाहते हैं, बोलना नहीं
'साहित्य आजतक' के मंच पर इंग्लिश लिटरेचर पर बात करने के लिए लेखकों की मंडली पहुंची, जिसमें अनुजा चौहान, रविंदर सिंह और श्रीमई पियू कुंडू थे. भाषा को लेकर चलने वाले कंफ्यूजन को लेकर लेखकों को मानना है कि कुछ शब्द और वाक्य इंग्लिश में ज्यादा सही लगते हैं. श्रीमई पियू कुंडू ने कहा कि हम ऐसे देश में रहते हैं जहां लोग सेक्स के बारे में पढ़ना चाहते हैं लेकिन बात नहीं करना चाहते.
गालिब उर्दू शायरी की बेताज बादशाह हैं
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग 'साहित्य आजतक' के मंच पर पहुंचे. उन्होंने गालिब के शेरों से साहित्य के इस उत्सव को महकाए. नजीब जंग उस जमाने से ताल्लुक रखते हैं जब दिल्ली का अपना अलग रंग और पहचान हुआ करती थी. गालिब के बारे में उन्होंने कहा कि गालिब कोई मामूली इंसान नहीं हैं. उनको पढ़ते हुए आज भी रौंगटे खड़े हो जाते हैं. मिर्जा गालिब उर्दू शायरी की बेताज बादशाह हैं और उनके जैसा दूसरा कोई नहीं हुआ. गालिब से किसी ने पूछा कि आपको ये ख्याल आते कहां से हैं तो उन्होंने कहा था कि ये सब मुझे कुदरत से मिल जाते हैं. गालिब को सुनने वाले उनके आशिक उन्हें बिना पढ़े सो नहीं सकते हैं. लीडर होने के साथ ही उपराज्यपाल साहित्य से भी वास्ता रखते हैं, आज उन्होंने गालिब के कई उम्दा शेर पढ़े.
साहित्य आज तक: शायराना अंदाज में नजर आए नजीब जंग
मुझे असफलता से डर नहीं लगता
साहित्य आजतक के मंच पर बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर ने शिरकत की. अनुपम खेर
ने अपनी आने वाली किताब 'बेस्ट थिंग अबाउट की यू इज यू' के बारे में बताया.
अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि मैं अपने परिवार
में अकेला ऐसा इंसान था जिसने दस हजार रुपये देखे. अनुपम खेर ने आगे बात करते हुए कहा कि लोगों को हंसाना बहुत मुश्किल है. हमारा देश बहुत आगे जाने वाला है, बस जरूरत है हमें आपस में एक होने की. हमारे प्रधानमंत्री बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और हमें उनके साथ खड़े होने की जरूरत है. आज सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पूरा विश्व हमारे साथ खड़ा है. हमें अपनी देशभक्ति दिखाने में कोई शर्म नहीं आनी चाहिए. अगर हम कुछ महसूस करते हैं तो उसे बताना बहुत जरूरी है. अगर में एक्टिंग के बारे में ही बात करूं तो अगर मैं अपने किरदार को पर्दे पर शो न करूं तो आपको कैसे पता चलेगा कि मेरा किरदार क्या है. इसलिए भावनाओं को जाहिर करने में कोई डर नहीं होना चाहिए. मुझे असफलता से डर नहीं लगता बस सेहत ठीक रहनी चाहिए. असफलता का जश्न मनाना मैंने अपने पिता से सिखा है.